Edited By Pooja Gill,Updated: 11 Jun, 2023 11:45 AM

Bareilly News: उत्तर प्रदेश के बरेली में केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान (CARI) ने एक नई उपलब्धि हासिल की है। जहां पर वैज्ञानिकों ने अंडे सेने की तकनीक विकसित की है। वैज्ञानिकों ने एक मशीन बनाई है, जिससे चूजे पैदा किए जाएंगे। दरअसल, चूजों को पैदा...
Bareilly News: उत्तर प्रदेश के बरेली में केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान (CARI) ने एक नई उपलब्धि हासिल की है। जहां पर वैज्ञानिकों ने अंडे सेने की तकनीक विकसित की है। वैज्ञानिकों ने एक मशीन बनाई है, जिससे चूजे पैदा किए जाएंगे। दरअसल, चूजों को पैदा करने के लिए अंडों को मशीन में रखने के कुछ दिन बाद चूजे विकसित हो जाएंगे। बहुत जल्द यह मशीन बाजार में भी उपलब्ध हो जाएगी। इससे पोल्ट्री किसानों को अंडों का ध्यान रखने में भी परेशानी नहीं होगी। इसके अलावा जो मुर्गियां अंडे नहीं देती, उनके मांस का अचार बनाया जा सकेगा।

बता दें कि, CARI के वैज्ञानिकों ने अंडे सेने की जो तकनीक विकसित की है, उसे डेलापीर के एक कारोबारी को हस्तांतरित कर दिया है। यह मशीन जल्द ही बाजार में उपलब्ध होगी। वैज्ञानिक डॉ. जयदीप जयवंत रोकाडे के मुताबिक पोल्ट्री फार्म हो या घर, अंडे से चूजे निकालने के लिए निगरानी की जरूरत होती है। अक्सर दूसरे जानवर अंडों को खा लेते हैं या जाने-अनजाने इसके टूटने की आशंका भी रहती है। इस समस्या के समाधान के लिए दो साल पहले शोध शुरू किया गया था, जो अब पूरा हो गया है।

वैज्ञानिक डॉ. जयदीप ने बताया कि, अंडों को सेने में सर्वाधिक भूमिका तापमान की होती है। 20 डिग्री से ज्यादा तापमान होने पर ही अंडों में चूजे के विकास की प्रक्रिया शुरू होती है। जब तक चूजे बाहर न आ जाएं, तब तक मुर्गियों का क्रय-विक्रय भी नहीं किया जा सकता। कई प्रयोगों के बाद कैरी पोर्टेबल पोल्ट्री इंक्यूबेटर तकनीक तैयार की गई जो चूजे के विकास के लिए अनुकूल माहौल देती है। उन्होंने बताया कि संस्थान में तैयार इंक्यूबेटर में एक बार में अधिकतम 20-25 अंडे रख सकते हैं। एक बार में इतने अंडे न हों तो दस दिन तक प्राप्त अंडों को सुरक्षित स्थान पर रख लें, जहां तापमान 20 डिग्री से नीचे होना चाहिए। दसवें दिन इंक्यूबेटर में सभी अंडों को एक साथ रखकर बंद कर दें। एक बार इंक्यूबेटर बंद होने पर खोलना नहीं चाहिए। विकसित होने पर अंडे से चूजे निकालकर बाहर आ जाएंगे।