लोकसभा चुनाव में अतीक की चर्चा कर मतों का ध्रुवीकरण करने में कोशिश

Edited By Ajay kumar,Updated: 16 Apr, 2024 11:02 PM

attempt to polarize votes by discussing atiq in lok sabha elections

पूर्व सांसद अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या एक साल पूर्व 15 अप्रैल को गई थी। गली-मोहल्लों और सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अब चर्चा न के बराबर होती है लेकिन वोट की राजनीति ने उसे जिंदा कर रखा है।

लखनऊ: पूर्व सांसद अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या एक साल पूर्व 15 अप्रैल को गई थी। गली-मोहल्लों और सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अब चर्चा न के बराबर होती है लेकिन वोट की राजनीति ने उसे जिंदा कर रखा है। मौजूदा लोकसभा चुनाव में अतीक की चर्चा कर मतों का ध्रुवीकरण करने में कोशिश में लगे हैं। भाजपा और सपा दोनों ही दलों के लिए अतीक एक मुद्दा बना हुआ है।

कालिंदीपुरम कब्रिस्तान में अतीक की पुण्यतिथि पर पुलिस का पहरा
अपराधी अतीक के खिलाफ हुई कार्रवाइयों को भाजपा अपनी सफलताओं में गिना रही है, जबकि सपा उसकी हत्या के मुद्दे को उठाकर मुस्लिमों की सहानुभूति को वोटों में बदलने की फिराक में है। मंगलवार को अतीक की पुण्यतिथि थी। जिस कालिंदीपुरम कब्रिस्तान में अतीक दफन है, उसके बाहर सिविल ड्रेस में पुलिस कर्मियों का पहरा रहा। दरअसल पुलिस को अनुमान था कि भगोड़ा घोषित अतीक की पत्नी शाइस्ता और जैनब कब्रिस्तान पहुंच सकते हैं। हटवा में रह रहे बेटे आबान व एहजम के भी कब्रिस्तान जाने की संभावना थी। भगोड़ा शाइस्ता और जैनब को लेकर भी पुलिस को आशंका थी कि वह कब्रिस्तान पहुंच सकती हैं, लेकिन वह भी नहीं पहुंची। हालांकि पुण्यतिथि पर किसी भी दल के बड़े नेता ने अतीक की हत्या पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी लेकिन इस लोकसभा चुनाव में सत्ता पक्ष और विपक्ष अपने-अपने हिसाब से मुद्दे को भुना रहे हैं।

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अतीक के दोनों बेटों की हिस्ट्रीशीट खुली
अतीक अहमद के दोनों बेटों उमर और अली की प्रयागराज के खुल्दाबाद थाने में मंगलवार को हिस्ट्रीशीट खोल दी गई। उमर का हस्ट्रीशीट नंबर 57 बी और अली अहमद उर्फ अली अतीक का हिस्ट्रीशीट नंबर 48 बी है। अतीक की हिस्ट्रीशीट का नंबर 39 और अशरफ का 93बी था। अतीक अंतरराज्ययीय गैंग आईएस 227 का सरगना था। खुल्दाबाद थाने में ही अतीक और अशरफ की भी हिस्ट्रीशीट खुली थी। अतीक पर 105 मुकदमे दर्ज थे। उमर पर तीन और अली पर 11 मुकदमे दर्ज हैं।

अतीक की 1800 करोड़ की संपत्तियों पर हुई कार्रवाई
उमेश पाल हत्याकांड के बाद पुलिस ने अतीक अहमद और उसके सिंडीकेट को खत्म करने का अभियान चलाया। अतीक, अशरफ, उसके परिवार और आईएस-227 गैंग के सदस्यों की करीब 1800 करोड़ की नामी-बेनामी संपत्तियां कुर्क की गई।

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