Edited By Pooja Gill,Updated: 13 Nov, 2024 01:01 PM
प्रयागराज: उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने कुंभ मेला प्राधिकरण में महाकुंभ मेले की समीक्षा बैठक के बाद कहा कि इस बार का महाकुंभ मेला स्वच्छ और सुरक्षित होने के साथ ही डिजिटल भी होगा। मेला प्रशासन, इस बार एआई से लैस सीसीटीवी...
प्रयागराज: उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने कुंभ मेला प्राधिकरण में महाकुंभ मेले की समीक्षा बैठक के बाद कहा कि इस बार का महाकुंभ मेला स्वच्छ और सुरक्षित होने के साथ ही डिजिटल भी होगा। मेला प्रशासन, इस बार एआई से लैस सीसीटीवी कैमरे लगा रहा है। वहीं, महाकुंभ में पहली बार ‘चैटबॉट कुम्भ सहायक' विकसित किया जा रहा है। इससे श्रद्धालु 10 से अधिक भाषाओं में लिख और बोलकर सूचनाएं प्राप्त कर सकेंगे।
40,000 पुलिस बलों की होगी तैनाती
मुख्य सचिव ने बताया, “अधिकारियों को मेले से जुड़े सभी महत्वपूर्ण कार्य 15 दिसंबर तक पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं। राज्य सरकार पिछले एक वर्ष से महाकुंभ की तैयारी में लगी हुई है और लगभग 6,000 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाएं स्वीकृत की गई हैं। ये परियोजनाएं अंतिम चरण में हैं।” उन्होंने कहा, ‘‘इस बार के मेले में सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा है। इसलिए साइबर सुरक्षा से लेकर भौतिक सुरक्षा तक सभी की व्यवस्था की जा रही है। महाकुम्भ 4,000 हेक्टेयर क्षेत्र में लगने जा रहा है जहां लगभग 40,000 पुलिस बलों की तैनाती की जाएगी।''
'पूरे मेला क्षेत्र को प्लास्टिक मुक्त रखा जाएगा'
मुख्य सचिव ने कहा, “पूरे मेला क्षेत्र को प्लास्टिक मुक्त रखा जाएगा। जहां भी अखाड़ों के शिविर होंगे.. भंडारों का आयोजन होगा, वहां दोना पत्तल आदि का इस्तेमाल किया जाएगा। विदेश से भी लोगों को महाकुंभ मेले में आमंत्रित करने का काम शासन और प्रशासन द्वारा किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से मिलकर उन्हें आने का निमंत्रण दिया है। अब मुख्यमंत्री विदेश मंत्री से मिलेंगे जिसके बाद विभिन्न दूतावासों के अधिकारियों के साथ एक बैठक आयोजित की जाएगी।''
'मेला प्रशासन कर रहा है काम'
मनोज कुमार सिंह ने बताया, ‘‘आज की तिथि में गंगा में 18,000 क्यूसेक पानी है जोकि ज्यादा है। सामान्य तौर पर इस समय 8,000 से 9,000 क्यूसेक पानी रहता है। पानी ज्यादा रहने से काम में दिक्कत आ रही थी, जिसे लेकर मेला प्रशासन काम कर रहा है।'' उन्होंने कहा, “जल निगम और सिंचाई विभाग को निर्देश दिया गया है कि किसी भी नाले से बिना शोधित जल गंगा में ना जाए। यह व्यवस्था पूरी सख्ती के साथ सुनिश्चित की जानी है। प्रयागराज में 10 एसटीपी बने हुए हैं जहां उचित शोधन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है।''