संभल हिंसा के विरोध में AMU के छात्रों ने निकाला मार्च, राष्ट्रपति को सौंपा ज्ञापन

Edited By Pooja Gill,Updated: 03 Dec, 2024 08:26 AM

amu students took out a march in protest

अलीगढ़: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) में छात्रों के एक समूह ने संभल में हुई हालिया हिंसा के खिलाफ अपना विरोध जताने और देश में सांप्रदायिक नफरत की कथित बढ़ती घटनाओं पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए एक मार्च निकाला...

अलीगढ़: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) में छात्रों के एक समूह ने संभल में हुई हालिया हिंसा के खिलाफ अपना विरोध जताने और देश में सांप्रदायिक नफरत की कथित बढ़ती घटनाओं पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए एक मार्च निकाला। प्रदर्शनकारियों ने सोमवार को दोपहर बाबे सर सैयद गेट तक मार्च किया और भारत के राष्ट्रपति को संबोधित एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें उनसे देश में बढ़ते सांप्रदायिक ध्रुवीकरण पर संज्ञान लेने का आग्रह किया गया। एएमयू छात्रों ने मांग की है कि जिन परिवारों ने अपने सदस्यों को खो दिया है, उन्हें तुरंत न्यायोचित और उचित अनुग्रह राशि प्रदान की जानी चाहिए।

24 नवंबर को हुई हिंसा
यूपी के संभल में 24 नवंबर को एक अदालती आदेश के तहत शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के दौरान हिंसा भड़क उठी, जिसके परिणामस्वरूप चार लोगों की मौत हो गई और कम से कम 25 लोग घायल हो गए। पुलिस ने हिंसा के लिए 2,750 से अधिक लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है, जिनमें से अधिकांश अज्ञात हैं। जिन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है, उनमें समाजवादी पार्टी के संभल से सांसद जिया उर रहमान बर्क और संभल के विधायक इकबाल महमूद के बेटे सोहेल इकबाल भी शामिल हैं। संभल के जिला प्रशासन ने 10 दिसंबर तक बाहरी लोगों के शहर में प्रवेश पर रोक लगा दी है। मामले की जांच तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग ने शुरू कर दी है।

छात्रों ने की पुलिस पर कार्रवाई की मांग
संभल हिंसा के विरोध स्वरूप मार्च निकालने वाले छात्रों ने अपने ज्ञापन में राष्ट्रपति से मामले में हस्तक्षेप करने और देश में सांप्रदायिक शांति और सौहार्द्र बनाए रखने के लिए कड़े निवारक कदम उठाने का आग्रह किया है। ज्ञापन में राष्ट्रपति से उच्च स्तरीय जांच का आदेश देने और फिर दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों और पुलिस सहित उन लोगों के खिलाफ ‘‘कड़ी'' दंडात्मक कार्रवाई करने का आग्रह किया गया है, जिन्होंने स्थिति को इतना गंभीर मोड़ लेने दिया। ज्ञापन में कहा गया है कि अगर देश की एकता और अखंडता को बनाए रखना है तो सरकार को ‘‘देश में कानून प्रवर्तन सेवाओं में व्यवस्थित सुधार'' के लिए तत्काल सुधारात्मक कदम उठाने होंगे। 

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