बिना जांच हटाए गए दरोगाओं को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दी राहत, कहा - नहीं छिनेगी नौकरी, मिलेंगे सभी लाभ

Edited By Ramkesh,Updated: 18 Apr, 2025 08:12 PM

allahabad high court all benefits will be given

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मेरठ, शाहजहांपुर, बरेली, फिरोजाबाद, गोरखपुर, अलीगढ़ और बलिया जिलों में तैनात दरोगाओं को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने इन्हें नौकरी से निकाले जाने के आदेश को रद्द कर दिया है और सभी को सेवा में बहाल करने का निर्देश दिया है। इसके साथ...

प्रयागरा, (सैयद आकिब रजा ): इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मेरठ, शाहजहांपुर, बरेली, फिरोजाबाद, गोरखपुर, अलीगढ़ और बलिया जिलों में तैनात दरोगाओं को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने इन्हें नौकरी से निकाले जाने के आदेश को रद्द कर दिया है और सभी को सेवा में बहाल करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही उन्हें सभी लाभ भी दिए जाएंगे।
यह फैसला जस्टिस अजित कुमार ने गौरव कुमार, रोहित कुमार, सुधीर कुमार गुप्ता, निर्भय सिंह जादौन, ज्योति और अन्य दरोगाओं की याचिकाओं पर सुनाया।

जानिए पूरा मामला 
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम और अतिप्रिया ने कहा कि दरोगाओं को नौकरी से निकालने से पहले न तो सेवा नियमों का पालन किया गया और न ही विभागीय जांच की गई। सभी याचीगणों को फरवरी 2023 में दरोगा पद पर नियुक्त किया गया था और ट्रेनिंग के बाद मार्च 2024 में पोस्टिंग दी गई थी। लेकिन 27 अक्टूबर 2024 को उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड, लखनऊ ने उनका चयन रद्द कर दिया और सेवा से हटा दिया।

बोर्ड का आरोप था कि इन अभ्यर्थियों दूसरे दिलवाई थी परीक्षा 
बोर्ड का आरोप था कि इन अभ्यर्थियों ने खुद परीक्षा नहीं दी, बल्कि किसी और से दिलवाई। अंगूठे के निशानों का मिलान न होने का हवाला दिया गया। वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम ने बताया कि भर्ती प्रक्रिया के दौरान कई अभ्यर्थियों को गलत तरीके से एफआईआर दर्ज कर जेल भेजा गया था। उन्होंने कहा कि दरोगाओं को हटाने से पहले 'उत्तर प्रदेश अधीनस्थ श्रेणी के पुलिस अधिकारियों की (दंड एवं अपील) नियमावली-1991' के नियम 14(1) का पालन नहीं हुआ और न ही उन्हें अपनी बात कहने का मौका दिया गया।

भर्ती बोर्ड चाहे तो नियमों के तहत नई जांच के दे सकता है आदेश 
कोर्ट ने "रणविजय सिंह बनाम भारत सरकार" और "विजय पाल सिंह बनाम भारत सरकार" जैसे मामलों का हवाला देते हुए कहा कि भर्ती बोर्ड का फैसला गलत और गैर-कानूनी था। हालांकि कोर्ट ने यह भी कहा कि भर्ती बोर्ड चाहे तो नियमों के तहत नई जांच के बाद उचित कार्यवाही कर सकता है।

  

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