‘काशी तमिल संगमम्’: CM योगी बोले- काशी और तमिलनाडु में भारतीय संस्कृति के सभी तत्व समान रूप से संरक्षित हैं

Edited By Mamta Yadav,Updated: 20 Nov, 2022 01:16 AM

all elements of indian culture are equally preserved in kashi and tamil nadu

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि काशी और तमिलनाडु में भारतीय संस्कृति के सभी तत्व समान रूप से संरक्षित हैं और आज हो रहे दक्षिण और उत्तर के अद्भुत संगम से सहस्त्राब्दियों पुराने संबंध को फिर से नवजीवन प्राप्त हो रहा है।

वाराणसी: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि काशी और तमिलनाडु में भारतीय संस्कृति के सभी तत्व समान रूप से संरक्षित हैं और आज हो रहे दक्षिण और उत्तर के अद्भुत संगम से सहस्त्राब्दियों पुराने संबंध को फिर से नवजीवन प्राप्त हो रहा है।
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‘काशी तमिल संगमम्' के उद्घाटन के अवसर पर मुख्यमंत्री योगी ने अपना संबोधन तमिल में शुरू किया और सभी का स्वागत करते हुए कहा कि यह आयोजन आजादी के अमृत काल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत' की परिकल्पना को जीवंत कर रहा है। वाराणसी में आयोजित हो रहे एक महीने लंबे ‘काशी तमिल संगमम्' में तमिलनाडु से छात्रों, शिक्षकों, शिल्पकारों और साहित्यकारों के अलावा अध्यात्म, उद्योग जगत, विरासत, नवाचार, व्यवसाय, देवालय व्यवस्था, ग्रामीण पृष्ठभूमि तथा संस्कृति से जुड़े 12 समूह वाराणसी का दौरा कर विषय विशेषज्ञों से संवाद करेंगे। ये लोग प्रयागराज और अयोध्या भी जाएंगे।
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आदित्यनाथ ने , ‘‘भगवान श्रीराम द्वारा श्रीरामेश्वरम में स्थापित पवित्र ज्योतिर्लिंग है और काशी में विराजमान भगवान आदि विश्वेश्वर पवित्र ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजित हैं। दोनों ज्योतिर्लिंग काशी और तमिलनाडु के संबंधों के केंद्रबिंदु हैं। भगवान श्रीराम और भगवान शिव के माध्यम से निर्मित इस संबंध सेतु को आदि शंकराचार्य ने भारत के चारों कोनों में पवित्रपीठ की स्थापना कर आगे बढाया। और आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस महायज्ञ को गति दे रहे हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘तमिलनाडु की तेनकाशी में भगवान विश्वनाथ का एक प्रचीन मंदिर है। तेनकाशी का अर्थ है दक्षिण की काशी। पांड्य वंश के सम्राट ने काशी से शिवलिंग लाकर तेनकाशी में स्थापित किया था। तमिलनाडु में शिवकाशी भी है।''

उन्होंने कहा, ‘‘काशी के धार्मिक महत्व के कारण देश के सभी भागों के लोग सदियों से यहां आते रहे हैं। गंगा जी के तट पर बसी ये पवित्र नगरी भारत की धर्म, संस्कृति और आध्यात्मिक चेतना का केंद्र बनी हुई है। इसी प्रकार तमिलनाडु प्राचीन काल से ही ज्ञान, कला और संस्कृति का केंद्र रहा है, जिसे पांड्य, चोल, पल्लव आदि राजाओं ने विस्तार दिया।'' मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘समस्त भारतीय भाषाएं सभी को अपने में समाहित करती हैं। यह समावेश सांस्कृतिक प्रेरणा का स्रोत रहा है जो समाज में सद्भाव और समरसता बनाये हुए है।'' इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया।

‘काशी तमिल संगमम्' के उद्घाटन समारोह में केन्द्रीय शिक्षामंत्री धर्मेन्द्र प्रधान, केन्द्रीय शिक्षा राज्यमंत्री एल मुरुगन, सांसद इलियाराजा, पूर्व केन्द्रीय मंत्री पी राधाकृष्णन, भारतीय जनता पार्टी की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष के अन्नामलाई, आईआईटी चेन्नई के निदेशक प्रोफेसर बी. कामाकोली, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के कुलपति सुधीर जैन आदि मौजूद थे।

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