जातीय जनगणना के बाद अब धार्मिक जनगणना की मांग, मुस्लिमों का खत्म हो अल्पसंख्यक का दर्जा- बीजेपी सांसद सुब्रत पाठक

Edited By Ramkesh,Updated: 12 Aug, 2023 12:30 PM

after the caste census now the demand for religious census has arisen

बिहार से उठी जातीय जनगणना की मांग के बाद अब यूपी में धार्मिक जनगणना की मांग उठने लगी है। इसे लेकर बीजेपी सांसद सुब्रत पाठक केन्द्रीय गृह मंत्री को पत्र लिखा है। उन्होंने लिखा कि मेरी जानकारी के अनुसार सन् 1947 में हुए भारत के विभाजन के समय भारत की...

लखनऊ: बिहार से उठी जातीय जनगणना की मांग के बाद अब यूपी में धार्मिक जनगणना की मांग उठने लगी है। इसे लेकर बीजेपी सांसद सुब्रत पाठक केन्द्रीय गृह मंत्री को पत्र लिखा है। उन्होंने लिखा कि मेरी जानकारी के अनुसार सन् 1947 में हुए भारत के विभाजन के समय भारत की कुल जनसंख्या में अल्पसंख्यकों की आबादी लगभग 79% ( सात प्रतिशत) थी, जिसमें प्रमुख रूप से मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, पारसी, जैन आदि संप्रदाय के लोग आते थे।

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उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त 93 प्रतिशत हिंदू थे, जिनमें अगड़ा, पिछडा, अनुसूचित जाति और जनजाति के लोग शामिल थे, जिनकी देश भर में सैकड़ों हजारों जातियां होंगी। किंतु आज हम लोग आजादी के 75 वर्ष पूरे कर चुके है और देश की आबादी लगभग 140 करोड़ हो गई है। ऐसी बातें अनेक बार सामने आ चुकी है कि इस दौरान पड़ोसी देशों से भारी तादाद में अवैध रूप से रोहिंग्या, बांग्लादेशी और पाकिस्तानी मुस्लिमों की साजिशन घुसपैठ देश की धार्मिक जनसांख्यिकी को प्रभावित करने के षड्यंत्र के साथ कराई गई और वोटबैंक के लालच में इनके वोट और आधार कार्ड तक भी बनवाये गये हैं। इतना ही नहीं विदेशी फंड का उपयोग कर देश में बड़े पैमाने पर धर्म परिवर्तन भी कराया गया है जिसके उदाहरण लव जिहाद लैंड जिहाद, गेम जिहाद जैसे षड्यंत्र के तौर पर समय-समय पर सामने आते रहते हैं।

उन्होंने कहा कि इसी का परिणाम है कि देश के कश्मीर केरल, असम और बंगाल जैसे कई राज्यों में मुस्लिमों की आबादी बेतहाशा बढ़ी है और वर्तमान में देश के 200 से अधिक जिले मुस्लिम बाहुल्य हो चुके हैं। अतः देश के कुछ राजनीतिक दल नहीं चाहते कि देश का ध्यान इस सच्चाई की ओर जाए कि आजादी के समय हिंदुओं की जनसंख्या का लगभग 93 प्रतिशत थी, जो आज तेजी से कम होती जा रही है। वही दल देश विरोधियों और कट्टरपंथियों के दबाव में जाति जनगणना की मांग कर रहे हैं।

पाठक ने कहा कि मैं  मांग कर रहा हूँ कि जाति जनगणना से पहले धार्मिक जनसंख्या की गणना हो ताकि पता चल सके कि देश भर के कुल अल्पसंख्यक समाज में मुस्लिम, ईसाई, मिस्र, बौद्ध, जैन और पारसियों आदि की संख्या कितनी है और पिछले 75 साल में इनकी वृद्धि का अनुपात क्या है? साथ ही धार्मिक जनगणना के बाद यदि मुस्लिमों की जनसंख्या अधिक पाई जाय तो उनका दर्जामान किया जाय।

गौरतलब है कि बिहार में जातीय जनगणना का 80 फीसदी काम पूरा हो चुका है। सुप्रीम कोर्ट से भी हरी झंडी मिल गई है। इसके बाद यूपी में जातीय जनगणना की मांग जोर पकड़ रही है।अखिलेश यादव, मायावती समेत कई नेताओं ने जातीय जनगणना कराने की मांग की है। वहीं अब बीजेपी सांसद सुब्रत पाठक  ने धार्मिक जनगणना की मांग उठाई है।

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