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Holi पर शाहजहांपुर में जुलूस के दौरान बवाल: 'लाट साहब' पर फेंका गया पत्थर, पुलिस ने शरारती तत्वों को खदेड़ा

Edited By Anil Kapoor,Updated: 15 Mar, 2025 07:36 AM

a stone was thrown at  laat sahab  during a procession in shahjahanpur

Shahjahanpur News: शाहजहांपुर शहर में शुक्रवार को होली पर निकलने वाला ‘बड़े लाट साहब का जुलूस' कड़ी सुरक्षा के बीच संपन्न हो गया। जुलूस के दौरान कुछ बच्चों ने लाट साहब पर पत्थर फेंका मगर पुलिस ने उन्हें खदेड़ दिया। पुलिस अधीक्षक राजेश एस. ने बताया...

Shahjahanpur News: शाहजहांपुर शहर में शुक्रवार को होली पर निकलने वाला ‘बड़े लाट साहब का जुलूस' कड़ी सुरक्षा के बीच संपन्न हो गया। जुलूस के दौरान कुछ बच्चों ने लाट साहब पर पत्थर फेंका मगर पुलिस ने उन्हें खदेड़ दिया। पुलिस अधीक्षक राजेश एस. ने बताया कि लाट साहब का जुलूस कुंचालाल से शुरू होकर पहले फूलमती मंदिर और टाउन हॉल होते हुए वापस कुंचालाल पर संपन्न हुआ। इस दौरान खिरनी बाग चौराहे पर जुलूस के पीछे से 5-6 बच्चों ने 'लाट साहब' पर गुलाल और जूते-चप्पल के बाद एक पत्थर फेंका। मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने उन्हें खदेड़ दिया।

शाहजहांपुर में जुलूस के दौरान 'लाट साहब' पर फेंका गया पत्थर
मिली जानकारी के मुताबिक, इस सवाल पर कि क्या पुलिस ने लाठीचार्ज किया है, पुलिस अधीक्षक ने कहा कि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है। उन्होंने बताया कि लाट साहब का जुलूस कुंचालाल से शुरू होकर पहले फूलमती मंदिर पहुंचा, जहां लाट साहब ने पूजा अर्चना की। इसके बाद जुलूस परंपरा के अनुसार कोतवाली पहुंचा, जहां लाट साहब को सलामी दी गई। बाद में लाट साहब ने कोतवाल से पूरे साल हुए अपराधों का ब्यौरा मांगा। इस पर कोतवाल ने उन्हें बतौर रिश्वत एक शराब की बोतल तथा नकद धनराशि दी। राजेश ने बताया कि इसके बाद जुलूस टाउन हॉल पहुंचा और वहां से होता हुआ कुंचालाल में सम्पन्न हो गया।

शाहजहांपुर में होली के जूलूस के दौरान बवाल
पुलिस सूत्रों के मुताबिक लाट साहब के इस जुलूस में हजारों की तादाद में होरियारे होली खेल रहे थे और 'लाट साहब की जय' कहते हुए उन्हें जूते मार रहे थे। वहीं, महिलाएं भी छत पर खड़ी होकर लाट साहब के ऊपर रंग डाल रही थी। हालांकि पुलिस ने लाट साहब की बैलगाड़ी के चारों ओर मजबूत सुरक्षा घेरा बना रखा था। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि शाहजहांपुर शहर में होली पर निकलने वाले बड़े लाट साहब के जुलूस के साथ-साथ ऐसे कुल 18 जुलूस शहर में निकलते हैं। इनमें से दो जुलूस प्रमुख होते हैं। इन जुलूसों में सुरक्षा के लिए सम्पूर्ण जुलूस मार्ग को तीन जोन तथा 8 सेक्टरों में बांटा गया था।

जिला जेल परिसर में भी लाट साहब का पुतला बनाकर निकाला गया  जुलूस
नगर आयुक्त विपिन कुमार मिश्रा ने बताया कि लाट साहब के जुलूस के मार्ग पर पड़ने वाली लगभग 20 मस्जिदों को तिरपाल से ढक दिया गया था, ताकि उन पर रंग ना पड़े। इसके साथ ही मस्जिदों तथा विद्युत ट्रांसफार्मर के पास बेरीकेडिंग कराई गई थी। उधर, शहर में निकलने वाले लाट साहब के जुलूस की तर्ज पर पहली बार शाहजहांपुर की जिला जेल परिसर में भी लाट साहब का पुतला बनाकर जुलूस निकाला गया। जेल अधीक्षक मिजाजी लाल ने बताया कि कैदियों के अनुरोध पर उन्होंने शहर में निकलने वाले लाट साहब के जुलूस की तर्ज पर लाट साहब का पुतला बनवाकर जेल परिसर में उसका जुलूस निकाला। इस दौरान कैदियों ने उल्लास के साथ एक-दूसरे को रंग लगाया।

जानिए, क्या है 'लाट साहब' के जुलूस की परम्परा?
बताया जाता है कि लाट साहब के जुलूस की परम्परा वर्ष 1728 में शाहजहांपुर में रहने वाले नवाब अब्दुल्ला खान के शहर में घूम-घूम कर लोगों के साथ होली खेलने के बाद पड़ी थी। समय के साथ इसका स्वरूप बिगड़ता गया और किसी अनजान व्यक्ति को 'लाट साहब' बनाकर उसका मुंह काला करके भैंसागाड़ी पर बैठाने और जुलूस के रास्ते में उस पर रंग के साथ जूते-चप्पल बरसाने का रिवाज शुरू हो गया। इतिहासकार डाक्टर विकास खुराना ने बताया कि वर्ष 1990 के दशक में इस जुलूस को रोकने के लिए उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई जिसमें न्यायालय ने इसे पुरानी परंपरा मानते हुए हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था।

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