बुन्देलखंड में सैकड़ों साल पुरानी 20 धरोहरों को मिलेगा राजकीय संरक्षण, पर्यटन स्थल के रुप में किया जाएगा विकसित

Edited By Mamta Yadav,Updated: 17 Aug, 2022 10:25 PM

20 heritage sites will get state protection in bundelkhand

उत्तर प्रदेश के बुन्देलखंड में पुरातत्व विभाग ने 20 स्मारकों को राजकीय संरक्षण के लिये क्लीन चिट दे दी है। इन सभी धरोहरों को पर्यटन स्थल के रुप में विकसित किया जायेगा।

हमीरपुर: उत्तर प्रदेश के बुन्देलखंड में पुरातत्व विभाग ने 20 स्मारकों को राजकीय संरक्षण के लिये क्लीन चिट दे दी है। इन सभी धरोहरों को पर्यटन स्थल के रुप में विकसित किया जायेगा।

पुरातत्व विभाग के चित्रकूट व झांसी मंडल के मंडलीय अधिकारी डा. एसके दुबे ने बुधवार को बताया कि बुन्देलखंड की सैकड़ो साल पुरानी धरोहरों को संजोये रखने के लिये शासन ने हरी झंडी दे दी है। इन धरोहरों को विभाग की टीम ने गावों में भ्रमण कर खोजा है जिसमे झांसी जिले के रामपुरा गांव के रामजानकी मंदिर, डिमरौनी गांव का डिमरौनी की गढि़या,दीन गांव का दीन का प्राचीन मंदिर, खैलार गांव का खैलार की बावली, पचार गांव का चंदेली मंदिर, रौनी गांव का केदारेश्वर मंदिर, सिजारीखुर्द गांव का शिवमंदिर, बकारा गांव का विष्णुप्रतिमा, मोठ का गुलाईयों का किला, सट्टा गांव का रामजानकी मंदिर आदि दस स्मारकों को राजकीय सरंक्षण के अंतर्गत लिया गया है।      

इसी प्रकार ललितपुर जिले के देवगढ़ का प्राचीन दुर्ग का परकोटा, मड़ावरा गांव का मड़ावरा का किला,सिरसी गांव की सिरसी की गढ़ी,बानपुर गांव का बानपुर का किला, नवागढ़ गांव का चित्रित भिलाश्य को राजकीय सरंक्षण में शामिल किया गया है। इसी प्रकार हमीरपुर जिले के नादगांव का चंदेलकालीन मंदिर,हमीरपुर शहर का ब्रिट्रिश सेमेट्री को शामिल किया गया है। महोवा जिले में कुलपहाड़ कस्बे का सेनापत महल व जालौन जिले में कालपी कस्बे के बीरबल की रंगशाला और नदीगांव का नदीगांव का किला को राजकीय सरंक्षण दिया गया है।      

इस प्रकार बुन्देलखंड की बीस स्मारको को पूरी तरह संरक्षित कर इसमे बाउन्ड्रीवाल व इनकी मरम्मत रंगाई पुताई करायी जायेगी ताकि लोगो को यह धरोहरे एक यादगार बन सके। मंडलीय अधिकारी ने बताया कि इन धरोहरो को बड़ी मेहनत कर इनकी खोजवीन की गयी है। उत्तर प्रदेश राज्य पुरातत्व परामर्शदात्री समिति ने अनुमित प्रदान कर दी गयी है। शासन ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है। यदि किसी को कोई आपत्ति हो तो अवगत करा सकता है। इसके बाद इनके रखरखाव के लिये शासन से बजट की मांग की जायेगी इसके पहले हमीरपुर जिले में करियारी समेत दो स्मारकों को संरक्षित किया जा चुका है। पुरातत्व विभाग का कहना है कि इसके बाद अन्य स्मारकों की खोजबीन की जायेगी।

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