UP Police में होमगार्ड निकला कुख्यात गैंगस्टर...35 साल से नाम बदल कर नौकरी कर रहा था हत्यारा, घर के भेदी ने खोली पोल

Edited By Purnima Singh,Updated: 09 Jan, 2025 04:19 PM

home guard in up police turns out to be a notorious gangster

आजमगढ़ में 35 साल तक होमगार्ड की नौकरी करने वाला गैंगस्टर का पर्दाफाश हो गया है। इस गैंगस्टर पर हत्या, हत्या के प्रयास, डकैती जैसे कई मामले दर्ज थे। सितंबर 1989 से लेकर 2024 तक जिले के रानी की सराय और मेंहनगर थाने में में होमगार्ड की नौकरी करता रहा।

आजामगढ़ (शुभम सिंह) : आजमगढ़ में 35 साल तक होमगार्ड की नौकरी करने वाला गैंगस्टर का पर्दाफाश हो गया है। इस गैंगस्टर पर हत्या, हत्या के प्रयास, डकैती जैसे कई मामले दर्ज थे। सितंबर 1989 से लेकर 2024 तक जिले के रानी की सराय और मेंहनगर थाने में में होमगार्ड की नौकरी करता रहा।

होमगार्ड हुआ निलंबित 
तीन दिसंबर को इस मामले की शिकायत DIG वैभव कृष्ण से की गई। जिसके बाद DIG वैभव कृष्ण ने मामले की जांच के आदेश दिए गए, जिसमें मामला सही पाया गया। इसके बाद आरोपी के इस पूरे फर्जीवाड़े का खुलासा हो सका। मामले की जानकारी होने पर होमगार्ड कमांडेंट मनोज सिंह बघेल ने आरोपी होमगार्ड को निलंबित कर दिया।

हत्या के मामले में लिप्त है आरोपी 
रानी की सराय थाना क्षेत्र के चकवारा निवासी नकदू पर 1984 में हत्या और साक्ष्य छुपाने का मुकदमा दर्ज हुआ था। नकदू ने 1984 में जहानागंज थाना क्षेत्र के रहने वाले मन्नु यादव की रंजिश में गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसके बाद नकदू पर 1987 में डकैती का मुकदमा दर्ज हुआ। इसके बाद नकदू पर 1988 में गैंगस्टर की कार्रवाई की गई। जिसकी हिस्ट्री-शीट नंबर-52A है।

ऐसे खुला मामला
आजमगढ़ में रहने वाले भतीजे नंद लाल ने चाचा नकदू के खिलाफ 3 दिसंबर को शिकायत DIG वैभव कृष्ण से की थी। बताया कि चाचा 35 साल से फर्जी तरीके से होमगार्ड की नौकरी कर रहे हैं। इस पर DIG ने जांच के आदेश दिए। मामले में रानी की सराय थाने के सब इंस्पेक्टर गोपाल जी ने मुकदमा दर्ज किया। इसके बाद मामला सही पाया गया।

फर्जी दस्तावेज बनवाकर होमगार्ड की नौकरी हासिल की। 1990 के पहले तक आरोपी की पहचान नकदू यादव पुत्र लोकई यादव के रूप में थी। 1990 में आरोपी नकदू से नंदलाल बन गया। आरोपी होमगार्ड नकदू यादव पर 1988 में गैंगस्टर की कार्रवाई कर हिस्ट्रीशीटर में शामिल कर लिया गया। इसके बाद भी आरोपी ने 1 सितंबर 1989 को होमगार्ड विभाग ज्वाइन कर लिया।

इंटेलिजेंस ने आरोपी के चरित्र प्रमाण पत्र पर किए हस्ताक्षर 
खास बात यह है कि आरोपी के हिस्ट्रीशीटर होने के बाद भी तत्कालीन रानी की सराय थाने और लोकल इंटेलिजेंस की टीम ने आरोपी को क्लीन चिट दी थी। थाने और इंटेलिजेंस के प्रभारियों ने आरोपी होमगार्ड के चरित्र प्रमाण पत्र पर सितंबर 1992 में हस्ताक्षर भी किए हैं। होमगार्ड विभाग में सेवा के दौरान आरोपी होमगार्ड कई बार अनुशासनहीनता कर चुका है। आरोपी का कई बार 151 में चालान भी हो चुका है।

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