उन्नाव कांड: पीड़िता के पिता की हत्या मामले में कांस्टेबल की याचिका पर CBI से जवाब तलब

Edited By Deepika Rajput,Updated: 22 Aug, 2019 05:18 PM

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दिल्ली हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश पुलिस के एक कांस्टेबल की याचिका पर सीबीआई से जवाब मांगा है। कांस्टेबल ने उन्नाव दुष्कर्म कांड की पीड़िता के पिता की कथित हत्या और उन पर गैर कानूनी रूप से हथियारों को रखने का आरोप लगाने के लिए अपने खिलाफ ...

नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश पुलिस के एक कांस्टेबल की याचिका पर सीबीआई से जवाब मांगा है। कांस्टेबल ने उन्नाव दुष्कर्म कांड की पीड़िता के पिता की कथित हत्या और उन पर गैर कानूनी रूप से हथियारों को रखने का आरोप लगाने के लिए अपने खिलाफ आरोप तय किए जाने को चुनौती दी है। न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा ने सीबीआई को नोटिस जारी किया और याचिका पर अगली सुनवाई के लिए 30 अगस्त की तारीख तय की।

हाईकोर्ट ने मामले में निचली अदालत के डिजिटल रिकॉर्ड भी मांगे। न्यायिक हिरासत में लिए गए आमिर खान ने अपने खिलाफ हत्या और आपराधिक षड्यंत्र समेत अन्य आरोप तय किए जाने को रद्द करने की मांग की है। खान ने आरोप लगाया कि 13 अगस्त का आदेश ‘अवैध, अनुचित, प्रतिकूल और दंड प्रक्रिया संहिता के स्थापित सिद्धांतों के खिलाफ' है। याचिका में कहा गया है, ‘‘निचली अदालत के न्यायाधीश ने अपने आदेश और तय किए गए आरोप में स्वीकार किया है कि पीड़िता के पिता की पिटाई के षड्यंत्र में याचिकाकर्ता की कोई भूमिका नहीं थी। इसलिए, याचिकाकर्ता (खान) समेत पुलिस अधिकारियों को हत्या के लिए जिम्मेदार बताना अवैध है। उनके वकील ने हाईकोर्ट में दलील दी कि खान की भूमिका केवल प्राथमिकी दर्ज करने तक सीमित थी और उन्होंने हथियार की बरामदगी के एक मेमो पर हस्ताक्षर किए थे।

खान ने अपनी याचिका में कहा कि कथित हत्या और अवैध हथियार मामले में घटनाओं का आपस में कोई लेना-देना नहीं है और उन्हें साथ नहीं मिलाया जा सकता और न ही उन पर संयुक्त रूप से मुकदमा चल सकता है। याचिका में दावा किया गया कि निचली अदालत ने दोनों मामलों को गलत ढंग से मिला दिया है क्योंकि एक पर मुकदमा सत्र अदालत में चलना था और दूसरे की सुनवाई मजिस्ट्रेट अदालत में होनी थी। इसमें कहा गया कि हत्या मामले का आरोप-पत्र खान को आरोप तय होने के बाद उपलब्ध कराया गया जो कि अवैध है। उसे अपने वरिष्ठों/ सह आरोपियों के कहने पर प्राथमिकी दर्ज करनी पड़ी और ड्यूटी पर मौजूद अधिकारी होने के कारण उसे प्राथमिकी दर्ज करनी ही थी। याचिका में कहा गया कि अगर प्राथमिकी दर्ज करने भर से वह षड्यंत्र के लिए जिम्मेदार है तो उस समय थाने में मौजूद सभी पुलिसकर्मियों को अवैध हथियार मामले में आरोपी बनाया जाना चाहिए।

बता दें कि, दुष्कर्म पीड़िता के पिता को 3 अप्रैल 2018 को गिरफ्तार किया गया था और 9 अप्रैल 2018 को न्यायिक हिरासत में उनकी मौत हो गई थी। वहीं दुष्कर्म पीड़िता उत्तर प्रदेश के रायबरेली में हुई सड़क दुर्घटना के बाद मौत से लड़ रही है। इस हादसे में पीड़िता के दो रिश्तेदारों की मौत हो गई थी और उसका वकील घायल हो गया था। बीजेपी से निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर 2017 में उससे बलात्कार करने का आरोप है। पीड़िता के पिता की मौत से संबंधित मामले में निचली अदालत ने सेंगर और 9 अन्य के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (भादंसं) की धारा 302 (हत्या), 506 (आपराधिक धमकी), 341 (गलत ढंग से रोकना), 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र) और 193 (गलत सबूत) और शस्त्र अधिनियम की धारा 25 के तहत 13 अगस्त को आरोप तय किए थे। 

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