NTPC हादसा: इंजीनियर्स ने बताए विस्फोट के पीछे के ये कारण

Edited By Punjab Kesari,Updated: 02 Nov, 2017 10:35 AM

ntpc blower explosion engineers told reason behind accident

रायबरेली के ऊंचाहार स्थित NTPC प्लांट में ब्वॉयलर फटने के बाद मरने वालों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। घायलों की संख्या भी बढ़कर 200 हो चुकी है। वहीं इस भयंकर विस्फोट के पीछे के कारणों के बारे में भी जानने की कोशिश की जा रही है........

रायबरेली(उत्तर प्रदेश): रायबरेली के ऊंचाहार स्थित NTPC प्लांट में ब्वॉयलर फटने के बाद मरने वालों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। घायलों की संख्या भी बढ़कर 200 हो चुकी है। वहीं इस भयंकर विस्फोट के पीछे के कारणों के बारे में भी जानने की कोशिश की जा रही है।
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बता दें 500 मेगावाट वाले NTPC की यूनिट 6 में करीब 3:30 बजे धमाका हुआ था। इस यूनिट में उत्पादन इसी साल जुलाई से शुरू किया गया था।हालांकि इस घटना के तुरंत बाद योगी आदित्यनाथ ने कहा कि घायलों का इलाज लखनऊ के SGPGI में प्राथमिकता के आधार पर किया जाएगा और खर्च सरकार उठाएगी। उन्होंने कहा कि मृतकों की फैमिली को 2-2 लाख, गंभीर रूप से घायलों को 50-50 हजार रुपए और आंशिक रूप से घायलों को 25-25 हजार रुपए की मदद की जाएगी।
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एनर्जी से लेकर प्रेशर तक इन कारणों पर नजर
बिजली विभाग और NTPC के इंजीनियर के मुताबिक प्लांट में थर्मल पाॅवर के जरिए एनर्जी जेनरेट होती है। एनर्जी जनरेशन के लिए टर्बाइन चलाया जाता है। टर्बाइन चलाने के लिए हाई लेवल प्रेशर की जरूरत होती है। इस प्रेशर को जनरेट करने के लिए स्टीम का इस्तेमाल किया जाता है। कोयले का इस्तेमाल करके ब्वॉयलर में मौजूद पानी को हाई प्रेशर पर गर्म करके उसे स्टीम में कन्वर्ट करते हैं।
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स्टीम का फ्लो बढ़ने पर फटता है ब्वॉयलर 
वहीं ब्वॉयलर से स्टीम को छोटे-छोटे कई पाइप्स के जरिए टर्बाइन तक ले जाया जाता है। सभी ब्वॉयलर आॅटोमेटिक वाल्व पर काम करते हैं। गलती से भी कोई वाल्व काम करना बंद कर दे, तो प्रेशर दूसरे वाल्व पर आता है। एेसे में अगर एक साथ कई वाल्व काम करना बंद कर देंगे, तो ब्वॉयलर पर प्रेशर बढ़ने से स्टीम का फ्लो आगे नहीं बढ़ता। जिससे ब्वॉयलर में प्रेशर तेजी के साथ बढ़कर फट जाता है।
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ब्वॉयलर का कवर खराब होना भी है एक कारण 
इसके साथ ही ब्वॉयलर प्लांट में स्टील की मोटी परत लगती है, जिससे अंदर का टेम्प्रेचर बाहर न आए और न बाहर के टेम्प्रेचर से अंदर कोई फर्क पड़े। मेटल कवर का पुराना या खराब होने से वो स्टीम प्रेशर को सहन नहीं कर पाता और ब्वॉयलर में ब्लास्ट हो जाता है।
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वहीं इंजीनियरस की मानें तो इस विस्फोट के पीछे यह कारण भी हो सकता है कि जब कोयला जलता है, तो जलने के साथ बर्न होता है। उसमें से जो ऐश निकलती है, उसे कुछ ठंडा कर ब्वॉयलर के जरिए निकाला जाता है। जहां से यह ऐश निकलती है, वह तुरंत ही चोक होने से ब्वॉयलर में प्रेशर बना और ब्लास्ट हो गया होगा। एेसे में हादसे के समय जैसे ज्वालामुखी फटता है, ठीक उसी तरह का नजारा था। करीब 50 मीटर के दायरे में जो भी रहा होगा, वह बुरी तरह से घायल हुआ होगा।

क्या है पाॅवर प्लांट और कैसे होता है काम
पाॅवर प्लांट ​में बिजली को बनाने का काम होता है। ​यह 3​ ​तरह के होते हैं। 1.थर्मल पाॅवर प्लांट, 2. हाइड्रो पाॅवर प्लांट, 3. न्यूक्लिअर पाॅवर प्लांट। NTPC ऊंचाहार में थर्मल पाॅवर प्लांट पर काम होता है। इसमें कोयले से पानी को गर्म करके बड़े ब्वॉयलर में भेजा जाता है। पानी को हाई लेवल पर फार्मेशन के जरिए स्टीम में बदला जाता है। जिसके बाद इसे बड़े टर्बाइन को चलाने के लिए भेजा जाता है। टर्बाइन में प्रेशर के जरिए फार्मेटेड स्टीम को भेजते हैं, जिसके बाद हाईलेवल की एनर्जी जनरेट होती है।

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