Uttarakhand Election: कांग्रेस के सेनापति हरीश रावत के लिए एक तरफ कुआं तो दूसरी तरफ खाई

Edited By Nitika,Updated: 23 Jan, 2022 08:56 PM

harish rawat not ready to contest elections

उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव को लेकर बिसात बिछ गई है। भाजपा व कांग्रेस की ओर से सैनिकों की घोषणा भी कर दी गई है लेकिन कांग्रेस के सेनापति हरीश रावत अभी भी रणभूमि में उतरने को लेकर सौ फीसदी तैयार नहीं हैं।

नैनीतालः उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव को लेकर बिसात बिछ गई है। भाजपा व कांग्रेस की ओर से सैनिकों की घोषणा भी कर दी गई है लेकिन कांग्रेस के सेनापति हरीश रावत अभी भी रणभूमि में उतरने को लेकर सौ फीसदी तैयार नहीं हैं। वह कहां से चुनाव लड़ेंगे, यह तय नहीं कर पा रहे हैं।

वर्ष 2017 के चुनाव की तरह हरिद्वार ग्रामीण से लड़ेंगे या फिर कुमाऊं को अपनी कर्मभूमि बनाएंगे। दूसरी ओर भाजपा राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में चुनाव लड़ने को लेकर एकदम तैयार है। उसने धामी को नेता घोषित किया है। भाजपा ने नामांकन से ऐन पहले 59 उम्मीदवारों के नाम घोषित कर कांग्रेस से बाजी भी मार ली। कांग्रेस की ओर से भी गिरते पड़ते बीती देर रात को 53 उम्मीदवारों की घोषणा कर दी गई है। पर कांग्रेस अभी भी 17 सीटों पर अपने उम्मीदवार तय नहीं कर पाई है। जिन सीटों पर पार्टी उम्मीदवार तय नहीं कर पाई है, उनमें नरेन्द्र नगर, टिहरी, देहरादून कैंट, डोईवाला, ऋषिकेश, ज्वालापुर, झबरेड़ा, रूड़की, खानपुर, लक्सर, हरिद्वार ग्रामीण, चौबट्टाखाल, लैंसडॉन, सल्ट, लालकुआं, कालाढूंगी व रामनगर शामिल हैं। यही नहीं खास बात यह है कि सूची में सर्वश्री हरीश रावत, हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए हरक सिंह रावत व पार्टी के उपाध्यक्ष रणजीत रावत के नाम शामिल नहीं हैं। हरीश रावत तो खुद पार्टी के सेनापति हैं। उन्होंने दावा किया है कि वह चुनाव अभियान समिति के प्रभारी हैं। इसके बावजूद वह अपने चुनाव लड़ने को लेकर आश्वस्त नहीं हैं। वह कौन सी सीट से चुनाव लड़ेंगे यह तय नहीं कर पाए हैं।

दरअसल हरीश रावत की मुश्किल यह है कि कुमाऊं में जिन सीटों पर अभी प्रत्याशी घोषित नहीं किए गए हैं, उनमें सभी सीटें वर्तमान में भाजपा के पास हैं। वर्तमान में उनके विधायक हैं। ऐसे में रावत सौ फीसदी सुरक्षित सीट की तलाश में हैं। उन्हें अल्पसंख्यक बहुल सीट की तलाश है। कयास लगाए जा रहे हैं कि रावत के लिए हरिद्वार ग्रामीण व रामनगर सीट सबसे मुफीद हो सकती है लेकिन हरिद्वार ग्रामीण से चुनाव लड़ने पर उनके राजनीतिक विरोधी इसे बड़ा मुद्दा बना सकते हैं। इसके बाद माना जा रहा है कि रामनगर सीट उनके लिये अधिक फायदेमंद हो सकती है। यहां अल्पसंख्यकों की संख्या यहां अच्छी खासी है लेकिन हरीश रावत को यहां से अपने धुर विरोधी रणजीत रावत से खतरा है। रणजीत रावत, हरीश रावत के लिए आसानी से मैदान खाली कर देंगे इसमें संशय है। इनके अलावा हरीश रावत के पास कम विकल्प बचे हैं।

माना जा रहा है कि अंत में वह लालकुआं से भी भाग्य आजमा सकते हैं लेकिन भाजपा भी इस स्थिति से वाकिफ है और उसने पहले से इस सीट पर अभी पत्ते साफ नहीं किए हैं। ऐसे में हरीश रावत के लिए एक तरफ कुआं तो दूसरी ओर खाई वाली स्थिति हो गई है। गौरतलब है कि वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में हरीश रावत 2-2 विधानसभाओं हरिद्वार ग्रामीण व किच्छा से एक साथ चुनाव लड़े थे लेकिन वह दोनों जगह से बुरी तरह से हार गए थे। इसीलिए वह इस बार फूंक-फूंक कर कदम उठा रहे हैं।

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