Edited By Ramkesh,Updated: 26 Sep, 2024 07:54 PM
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में विश्व बैंक समूह के दक्षिण एशिया क्षेत्र के उपाध्यक्ष मार्टिन रेजर के साथ बातचीत में ‘फसल अवशेष' का मुद्दा उठाया। रेजर ने कहा कि संभावित निवेशक न केवल इस मुद्दे को हल करने के लिए तैयार हैं, बल्कि...
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में विश्व बैंक समूह के दक्षिण एशिया क्षेत्र के उपाध्यक्ष मार्टिन रेजर के साथ बातचीत में ‘फसल अवशेष' का मुद्दा उठाया। रेजर ने कहा कि संभावित निवेशक न केवल इस मुद्दे को हल करने के लिए तैयार हैं, बल्कि इसके माध्यम से आर्थिक लाभ उत्पन्न करने में भी मदद करना चाहते हैं। रेजर ने बृहस्पतिवार को बातचीत में कहा, “मुख्यमंत्री के मन में एक विषय यह था कि फसल अवशेषों का क्या किया जाए। फिलहाल इसे मानसून के मौसम के अंत में जलाया जाता है, और इससे वायु प्रदूषण की बहुत समस्याएं पैदा होती हैं। लेकिन यह बायोमास भी है जिसका सैद्धांतिक रूप से मूल्य है। इसलिए यदि आप इसे एकत्र कर सकते हैं, बायोगैस संयंत्रों में डाल सकते हैं या बायोचार बनाने के लिए इसका उपयोग कर सकते हैं, तो आपको महत्वपूर्ण अतिरिक्त आर्थिक लाभ हो सकते हैं।”
आदित्यनाथ की विश्व बैंक के अधिकारी के साथ बैठक महत्वपूर्ण है क्योंकि अक्टूबर-नवंबर में आमतौर पर फसल अवशेष या पराली जलाने के मामलों में वृद्धि देखी जाती है। उत्तर प्रदेश सरकार भी इस मुद्दे से “प्रभावी” तरीके से निपटने के लिए एक कार्ययोजना तैयार कर रही है। रेजर ने कहा कि संभावित निवेशक ‘फसल अवशेष' मुद्दे का समाधान प्रदान करने के लिए तैयार हैं।
उन्होंने कहा,“समस्या यह है कि एकत्रीकरण कैसे किया जाए क्योंकि किसानों के पास फसल की कटाई के अंत और गेहूं की फसल की बुवाई के बीच बहुत सीमित समय होता है और मज़दूरों की कमी होती है। इसलिए हमने इस बारे में बात की कि क्या (परियोजना में) हम इस मुद्दे से निपटने के तरीकों की खोज शुरू कर सकते हैं। मेरा मानना है कि सिर्फ़ परियोजनाओं के संदर्भ में नहीं, इसपर मुख्यमंत्री (योगी आदित्यनाथ) का दृष्टिकोण इससे कहीं अधिक व्यापक है।” यह पूछे जाने पर कि विश्व बैंक इस समस्या का समाधान खोजने में कैसे योगदान दे सकता है, उन्होंने कहा: “बहुत सरल शब्दों में कहें तो, निवेश और मशीनरी के माध्यम से जो फसल कटाई और गठरी बनाने में मदद करती है और जो पहले से ही एकत्रीकरण में मदद करती है।”
उन्होंने कहा, “हम इस परियोजना के संदर्भ में निवेशकों को लाने में भी मदद कर सकते हैं ताकि वे बायोचार कारखाने स्थापित की योजनाएं बना सकें।'' विश्व बैंक के अधिकारी ने कहा कि “फसल अवशेष” परियोजना में “निवेशकों की रुचि” है। रेजर ने कहा, ‘‘मैं वाराणसी के एक इलाके में गया और सिंगापुर की एक कंपनी से मिला, जो वर्तमान में फसल अवशेष संग्रह, जैव उत्पाद के रूप में बायो-गैस ऑर्गेनिक किण्वित खाद और फिर अंत में बायोचार की पूरी मूल्य श्रृंखला में निवेश कर रही है। हम संभावित निवेशकों से मिले हैं जो इसमें रुचि रखते हैं और वे हमारे साथ काम करना चाहते हैं। इसके जरिये हम लक्षित जिलों की पहचान कर सकते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘वाराणसी में जिस विशेष कंपनी से मैं मिला, वह सिंगापुर से थी और मैंने नीदरलैंड की बायोचार में एक अन्य कंपनी के बारे में सुना ... बायोगैस में भी काफी स्वदेशी नवाचार है।'' यह पूछे जाने पर कि क्या विश्व बैंक इन संभावित निवेशकों को राज्य की फसल अवशेष समस्या को हल करने में मदद कर सकता है, उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि हम कुछ कनेक्शन, कुछ आयोजन में मदद कर सकते हैं। मुख्यमंत्री के पास एक ऐसा दृष्टिकोण है जो निजी निवेश के लिए अवसर प्रदान करता है और हमारी ओर से हम इसके लिए सार्वजनिक घटक को वित्तपोषित करने में रुचि रखते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास एक घटक है जो इसपर निजी निवेश को आकर्षित करने के लिए प्रोत्साहन तंत्र प्रदान करता है। हम इसमें बहुत आगे हैं और हालांकि मैं कोई समयसीमा नहीं दे सकता लेकिन अगले कुछ महीनों में हम राज्य में निवेशकों और विश्व बैंक के सहयोग से इस परियोजना को आगे बढ़ते देखेंगे।'
' उन्होंने कहा, ‘‘मैंने फसल अवशेष प्रबंधन और वायु प्रदूषण से इसके संबंध का उल्लेख किया। जाहिर है कि यह (प्रदूषण का) एकमात्र स्रोत नहीं है क्योंकि यह मौसमी है। घर पर खाना पकाने, सार्वजनिक परिवहन से संबंधित स्थायी स्रोत भी हैं। इसलिए यह चर्चा का एक और क्षेत्र है और यह एक दूसरी परियोजना है जो अपेक्षाकृत बहुत आगे है लेकिन आप देख सकते हैं कि बातचीत का दायरा (उप्र के मुख्यमंत्री के साथ) एक या दो परियोजनाओं से कहीं अधिक व्यापक था। उन्होंने कहा, ‘‘अगले कुछ महीनों में हम कृषि के क्षेत्र में प्रगति देखेंगे, मैं (मुख्यमंत्री के साथ) चर्चाओं से बहुत उत्साहित हूं। वायु गुणवत्ता के मामले में भी हम प्रगति देखेंगे... न केवल फसल अवशेषों पर बल्कि वायु प्रदूषण के अन्य स्रोतों पर भी।'' उन्होंने कहा, ‘‘हमने शिक्षा पर भी चर्चा की... प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में बच्चों को बेहतर तरीके से कैसे तैयार किया जाए। हमने चर्चा की कि व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रणाली कैसे बनाई जाए जो बच्चों को विशेषज्ञता हासिल करने और उन्हें आवश्यक कौशल प्रदान करने की अनुमति दे।'' उन्होंने बताया कि राज्य में अक्षय ऊर्जा की संभावना चर्चा का एक और विषय था क्योंकि यहां सूरज बहुत चमकता है और इसलिए छतों पर सौर संयंत्र के लिए बहुत संभावनाएं हैं।