UP मिलेट्स पुनरोद्धार कार्यक्रम को योगी कैबिनेट की मिली मंजूरी, जानें कैसे किसानों के लिए वरदान साबित होगी योजना

Edited By Mamta Yadav,Updated: 29 Jan, 2023 12:30 AM

yogi cabinet approves up millets revival program

मिलेट्स यानी मोटा अनाज की खेती और उपभोग को प्रोत्साहित करने के लिये उत्तर प्रदेश सरकार ने शनिवार को ‘उप्र मिलेट्स पुनरोद्धार कार्यक्रम' के संचालन के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में देर रात हुयी मंत्रिमंडल...

लखनऊ: मिलेट्स यानी मोटा अनाज की खेती और उपभोग को प्रोत्साहित करने के लिये उत्तर प्रदेश सरकार ने शनिवार को ‘उप्र मिलेट्स पुनरोद्धार कार्यक्रम' के संचालन के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में देर रात हुयी मंत्रिमंडल की बैठक में मिलेट्स (ज्वार, बाजरा, कोदो, सावां, रागी/मडुआ आदि) की खेती, प्रसंस्करण एवं उपभोग को बढ़ावा देने के लिए ‘उत्तर प्रदेश मिलेट्स पुनरोद्धार कार्यक्रम' के संचालन के प्रस्ताव को अनुमति प्रदान कर दी गयी।
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आधिकारिक प्रवक्ता ने बताया कि उत्तर प्रदेश मिलेट्स पुनरोद्धार कार्यक्रम नामक यह नई योजना वर्ष 2022-23 से वर्ष 2026-27 तक संचालित किये जाने का प्रस्ताव है। कार्यक्रम क्रियान्वयन की इस अवधि में 18626.50 लाख रुपये का अनुमानित खर्च आंकलित है, जिसे राज्य सरकार वहन करेगी। उल्लेखनीय है कि केन्द्र सरकार द्वारा खाद्य एवं पोषण सुरक्षा के तहत मिलेट्स के उपभोग के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए वर्ष 2023 को अन्तरराष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष (इण्टरनेशनल ईयर आफ मिलेट्स) के रूप में मनाये जाने का निर्णय लिया गया है। मंत्रिमंडल ने एक अन्य फैसले में प्रदेश में संचालित प्रशिक्षित कृषि उद्यमी स्वावलम्बन (एग्रीजंक्शन) योजना को अगले 5 साल के लिए संचालित करने के प्रस्ताव को अनुमति प्रदान कर दी है। कृषि क्षेत्र में प्रशिक्षित युवाओं की सेवाओं का उपयोग कर कृषि सेक्टर में रोजगार सृजन को बढ़ाने के उद्देश्य से वर्ष 2015-16 से यह योजना क्रियान्वित है।
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5 साल में कुल 10,000 एग्रीजंक्शन केन्द्र स्थापित करने का लक्ष्य
इस कार्यक्रम का मकसद किसानों को उनके फसल उत्पादों के लिए कृषि केन्द्र (एग्रीजंक्शन) बैनर तले समस्त सुविधाएं ‘वन स्टॉप शॉप' के माध्यम से उपलब्ध कराया जाना है। प्रदेश में अब तक कुल 4311 केन्द्र स्थापित किये जा चुके है जबकि अगले पांच साल में कुल 10,000 एग्रीजंक्शन केन्द्र स्थापित करने का लक्ष्य प्रस्तावित है। प्रवक्ता ने बताया कि सरकार ने औद्योगिक भूमि की आवश्यकता को सुनिश्चित कराने के लिये ‘निजी औद्योगिक पाकरें के विकास की योजना के प्रस्ताव को भी मंजूरी प्रदान कर दी है। इसे निजी प्रवर्तक के द्वारा बिल्ड, ओन, आपरेट (बीओओ) के आधार पर संचालित किया जाएगा। एमएसएमई इकाइयों के द्वारा कृषि के बाद सबसे अधिक रोजगार का सृजन किया जाता है।

वर्तमान में प्रदेश में ऐसी लगभग 95 लाख एमएसएमई इकाइयां हैं, जिन्हें और अधिक बढ़ाया जाना प्रदेश के हित में होगा। निजी औद्योगिक पाकरं के भू-खण्डों के आवंटन, संचालन तथा मूलभूत अवस्थापना सुविधाओं के रख-रखाव का सम्पूर्ण दायित्व निजी प्रवर्तक का होगा। योजना के अन्तर्गत निजी प्रवर्तकों द्वारा 10 एकड़ से 50 एकड़ तक की भूमि पर औद्योगिक पार्क विकसित करने का प्रस्ताव भूमि के स्वामित्व के कागजात एवं आगणन सहित जिला उद्योग एवं उद्यम प्रोत्साहन केन्द्र को उपलब्ध कराया जाएगा। चयनित भूमि का भू उपयोग औद्योगिक इकाइयों की स्थापना के लिये होना चाहिए।

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