UP Election 2022: बलरामपुर में इस बार भाजपा को मिल रही कड़ी टक्कर

Edited By Imran,Updated: 02 Mar, 2022 02:49 PM

up election 2022 this time bjp is getting tough competition in balrampur

भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को पहली बार चुनकर संसद भेजने वाले बलरामपुर जिले में भारतीय जनता पार्टी को गत विधानसभा चुनाव में चारों सीटें जीतने का अपना प्रदर्शन दोहराने के लिए प्रतिद्वंद्वियों से कड़ी चुनौती मिल रही है।

बलरामपुर: भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को पहली बार चुनकर संसद भेजने वाले बलरामपुर जिले में भारतीय जनता पार्टी को गत विधानसभा चुनाव में चारों सीटें जीतने का अपना प्रदर्शन दोहराने के लिए प्रतिद्वंद्वियों से कड़ी चुनौती मिल रही है। वाजपेई पहली बार वर्ष 1957 में बलरामपुर से ही चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे। बलरामपुर जिले में चार विधानसभा सीटें हैं। इनमें तुलसीपुर, उतरौला, गैसड़ी और बलरामपुर शामिल हैं। वर्तमान में इन सभी सीटों पर भाजपा के विधायक हैं।

बलरामपुर में राज्य विधानसभा चुनाव के छठे चरण के तहत आगामी तीन मार्च को मतदान होगा। नेपाल की सीमा से सटे इस जिले का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी संबंध है। पाटेश्वरी देवी का मंदिर देवीपाटन मंदिर गोरक्ष पीठ से जुड़ा है, जिसके योगी अधीश्वर हैं। वर्ष 2007 में हुए विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और भाजपा ने बलरामपुर जिले की दो-दो सीटों पर जीत हासिल की थी जबकि 2012 के विधानसभा चुनाव में चारों सीटें समाजवादी पार्टी (सपा) की झोली में गई थी। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में इन चारों सीटों पर भाजपा का कब्जा हो गया था। उतरौला स्थित एचआरए इंटर कॉलेज के प्रबंधक अंसार अहमद खां ने कहा "इस बार हालात बदल गए हैं और ऐसा नहीं लगता कि भाजपा जिले की चारों सीटें जीत पाएगी। ज्यादातर सीटों पर भाजपा और सपा के बीच सीधी टक्कर नजर आती है। हालांकि यहां बसपा और कांग्रेस के उम्मीदवार भी जोर आजमाइश कर रहे हैं।" स्थानीय चुनावी मुद्दों के बारे में उन्होंने बताया कि विकास, गन्ना मूल्य का भुगतान और छुट्टा पशुओं की समस्या यहां के मुख्य मुद्दे हैं। हालांकि यहां जाति और धर्म जैसे मामले भी अपना असर रखते हैं। 

बलरामपुर सदर सीट अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित सीट है। यहां मौजूदा भाजपा विधायक और राज्य सरकार में मंत्री पलटू राम को सपा के जगराम पासवान से चुनौती मिल रही है। यहां कांग्रेस की बबीता मौर्या भी मैदान में हैं। इस सीट पर 4.14 लाख से ज्यादा मतदाता हैं, जिनमें 38 प्रतिशत अन्य पिछड़े वर्ग के, 23 प्रतिशत मुस्लिम और 21 प्रतिशत अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के हैं। तुलसीपुर सीट पर सबसे ज्यादा 35 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाता हैं। इसके अलावा 23 प्रतिशत अनुसूचित जाति और 22 फीसद मुस्लिम मतदाता हैं। यहां पूर्व सांसद रिजवान जहीर की बेटी जेबा रिजवान ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतर कर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है। जहीर और जेबा दोनों ही हत्या के एक मामले में इस वक्त जेल में हैं। सपा द्वारा टिकट देने से मना करने पर जेबा निर्दल प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं और उनके समर्थकों का कहना है कि उन्हें व्यापक समर्थन मिल रहा है। तुलसीपुर में जहां भाजपा ने एक बार फिर कैलाश नाथ शुक्ला को मैदान में उतारा है। वहीं सपा ने दो बार के विधायक अब्दुल मसूद खान को टिकट दिया है। एक स्थानीय निवासी शमशाद खान का कहना है कि अगर जेबा सपा के मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाने में कामयाब रहीं तो इससे भाजपा को फायदा होगा और यहां अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाता निर्णायक साबित होंगे। 

गैसड़ी सीट पर मौजूदा विधायक और लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष शैलेश कुमार सिंह 'शैलू' को सपा के एसपी यादव से कड़ी टक्कर मिल रही है। शैलू वर्ष 2017 में यादव को 2303 मतों के अंतर से हराने में कामयाब रहे थे। कांग्रेस और बसपा ने इस सीट पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं। जिले की उतरौला सीट पर सबसे ज्यादा 34 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाता हैं। वहीं, 25 फीसद मुसलमान हैं। यहां भाजपा ने मौजूदा विधायक राम प्रताप वर्मा उर्फ शशिकांत को फिर से चुनाव मैदान में उतारा है। वहीं, सपा ने हसीब खान और कांग्रेस ने धीरेंद्र प्रताप सिंह उर्फ धीरू को उम्मीदवार बनाया है। सुभाष नगर के एजाज मलिक का कहना है कि यहां के लोगों ने मन बना लिया है कि इस बार उन्हें किसे वोट देना है। यहां के मुस्लिम मतदाता एक ऐसी पार्टी के खिलाफ एकजुट हो गए हैं जो उन्हें भारत का सच्चा नागरिक तक मानने को तैयार नहीं है। 

अपने राजनीतिक जीवन के शुरुआती वर्षों में जनसंघ से जुड़े रहने के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई बलरामपुर जिले की उतरौला तहसील स्थित रमुआपार खुर्द गांव में रहते थे। वह बलरामपुर से तीन बार लोकसभा का चुनाव लड़े, जिनमें से वर्ष 1957 और 1967 में वह यहां से जनसंघ के सांसद रहे जबकि वर्ष 1962 के चुनाव में उन्हें पराजय मिली थी। 

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!