Edited By Pooja Gill,Updated: 22 Jul, 2024 12:50 PM

Varanasi News: आज भगवान शिव के प्रिय सावन महीने का पहला सोमवार है। आज वाराणसी में 90 साल पुरानी परंपरा का निर्वाहन किया गया। इस परंपरा को निभाते हुए यदुवंशी समाज के लोगों ने केदार घाट से जल लेकर काशी विश्वनाथ का जलाभिषेक...
Varanasi News (विपिन मिश्रा): आज भगवान शिव के प्रिय सावन महीने का पहला सोमवार है। आज वाराणसी में 90 साल पुरानी परंपरा का निर्वाहन किया गया। इस परंपरा को निभाते हुए यदुवंशी समाज के लोगों ने केदार घाट से जल लेकर काशी विश्वनाथ का जलाभिषेक किया। साथ ही उन्होंने शहर के मुख्य 9 शिवालयों के शिवलिंगों पर हजारों की संख्या में जुटकर जल अर्पित किया। इस परम्परा को यदुवंशी समाज ने हर साल की तरह इस साल भी धूमधाम से मनाया।
हजारों की संख्या में जुटकर करते है भगवान का जलाभिषेक
बता दें कि यादव बंधुओं द्वारा काशी विश्वनाथ मंदिर में जलाभिषेक का आयोजन विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है। यदुवंशी हजारों की संख्या में हाथों में गागर और अन्य पात्र लिए विश्व की प्राचीनतम शिव नगरी काशी में सावन के पहले सोमवार को यदुवंशी यानि यादव समाज के लोग एकजुट होते है और गंगा घाट से गंगाजल भर बारी-बारी शहर के प्रमुख शिवालयों में भगवान आशुतोष का जलाभिषेक करते है। जिसमे द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से प्रमुख श्री काशी विश्वनाथ भी शामिल हैं। आज भी यदुवंशियों ने भगवान शिव का जलाभिषेक किया। यदुवंशी समाज की यह परंपरा कोई नई नहीं है, बल्कि ब्रिटिश काल से चली आ रही है।
सन 1932 से चली आ रही हैं परम्परा
एक बार सन 1932 में काशी में भयानक सूखा पड़ा था। सभी जतन के बाद जब काशीवासी हार गए तो सावन माह में ही यदुवंशी समाज के कुछ युवाओं ने अपने गागर में गंगाजल भर श्रीकाशी विश्वनाथ सहित अन्य शिवालयों का जलाभिषेक किया और फिर जोरदार बारिश ने काशी की धरती को सीच दीया। समय बीतने के साथ ही अब इस अनोखे जलाभिषेक की परम्परा में शहर के हजारों यदुवंशी समाज का युवा भाग लेता है। लगभग 90 वर्षो पहले भी दैवीय आपदा से काशी को उबारने के लिए आजमाया। माना जाता है कि पुरे विश्व में यह अनोखा ही ऐसा मौका है जब यादव समाज के लोग हजारो की संख्या में सावन के पहले सोमवार को देश दुनिया से एकजुट होकर भोले का जलाभिषेक करते हैं। शहर के सोनारपुरा स्थित गौरी-केदारेश्वर में बाबा का जलाभिषेक करने के बाद तिलभान्डेश्वर मंदिर फिर दशाश्वमेध स्थित शीतला मंदिर और बाबा काशी विश्वनाथ के भव्य जलाभिषेक के बाद हजारो यदुवंशियों का जत्था शहर के अन्य प्रमुख शिवालयो में भी जलाभिषेक करने निकल पड़ता है।