बुंदेलखंड में ‘जलग्राम’ के नाम से जाना जाता है यह गांव, हर नल से आता है पानी

Edited By Anil Kapoor,Updated: 26 Jun, 2019 01:00 PM

this village is known as  jalgram  in bundelkhand water comes every tap

समस्या चाहे जितनी भी विकराल क्यों ना हो पर अगर व्यक्ति ठान ले तो कुछ भी संभव है। बिहार के मांझी की कहानी तो आप सब ने सुनी ही होगी। समस्याओं से जूझने व तमाम निराशाओं के बीच उम्मीद की एक किरण खोजने की एक और कहानी है....

बुंदेलखंड(जफर अहमद): समस्या चाहे जितनी भी विकराल क्यों ना हो पर अगर व्यक्ति ठान ले तो कुछ भी संभव है। बिहार के मांझी की कहानी तो आप सब ने सुनी ही होगी। समस्याओं से जूझने व तमाम निराशाओं के बीच उम्मीद की एक किरण खोजने की एक और कहानी है उत्तर प्रदेश के बुंदलेखंड जिले की। जहां सरकारी सिस्टम फेल हो गए, जहां करोड़ों रूपए और बड़ी-बड़ी योजनाएं भी धरासाई हो गई वहां असंभव को संभव करने की पहल लेकर उभरे चंद हाथों के चमत्कार को उकेरती हैं यहां की कहानी।

PunjabKesariजानकारी मुताबिक जहां एक तरफ देश के तमाम हिस्से मौजूदा समय में जल संकट से जूझ रहे हैं। बूंद-बूंद पानी को तरसते सूखा क्षेत्र के नाम से जाना जाने वाले बुंदेलखंड में भी पानी को लेकर हाहाकार मचा हुआ है। सरकार करोड़ों रूपए पानी के लिए पानी की तरह बहा रही है। लेकिन फिर भी बुंदेलखंड में 0.20 मीटर प्रति वर्ष भू गर्भ जल स्तर गिर रहा है। वहीँ इसी इलाके का एक गांव ऐसा भी है जिसे जलग्राम नाम से जाना जाता है और यहां के लोग पूरे बुंदेलखंड के लिए एक प्रेरणा बन कर उभरे हैं। खास बात यह भी है कि बिना किसी सरकारी मदद के खुद से ही जल संरक्षण के लिए इन्होंने ऐसा काम किया है जो दूसरों के नजीर बना हुआ है। यहां के युवा जो परदेश नौकरी के लिए चले गए थे वह भी वापस आकर अब गांव में खेती कर रहे हैं।

PunjabKesariदरअसल जलग्राम नाम से जाना जाने वाले इस गांव का का नाम "जखनी" है, जो बांदा जिले के महुआ ब्लॉक के अंतर्गत आता है। शहर से लगभग 20 किलोमीटर दूर इस गांव में पानी ही पानी है। जखनी गांव में 32 कुए हैं, जिनमें सब में पानी है। यहां 25 हैंडपंप हैं और इन हैंडपंपों में भी पानी है। इसके साथ ही यहां 6 तालाब हैं, जिनमें 4 में पानी है बाकी 2 में साफ सफाई का काम इस समय किया जा रहा है। खास बात यह है कि जहां अन्य इलाकों में इस समय जून के तपते महीने में हैंडपंपों ने पानी देना बंद कर दिया है तो वहीँ इस गांव के सभी हैडपम्प पानी दे रहे हैं और तो और यहां के कुओं में 8 फीट में ही पानी है।

PunjabKesariइस गांव की रहने वाली महिला शांति बताती है कि नालियों से बहने वाले पानी को उन्होंने अपने खेतों की तरफ मोड़ दिया, जिससे वो सब्जियों का उत्पादन कर अच्छा मुनाफा पा रही है। इसके साथ ही साल भर उनके खुद के खाने के लिए भी भरपूर सब्जी पैदा कर लेती है। इसी गांव के रहने वाले अली मोहम्मद ने बताया की लगभग 8 साल से वो पानी को संरक्षित करने का काम कर रहे हैं। पहले उन्होंने खेतों में मेड़बंदी कराई और फिर गांव से निकलने वाले गंदे पानी को वो लोग तालाबों और खेतों में ले जाते है जिससे यहां पानी की कोई कमी नहीं है।

PunjabKesariबता दें कि पानी को बर्बाद होने से बचाने के लिए यहां के लोगों के मन में विचार लगभग 7-8 साल पहले पैदा हुआ। जल संरक्षण और जल संचयन ध्यान में रखते हुए यहां के कुछ लोगों ने मिलकर "सर्वोदय आदर्श जल ग्राम स्वराज अभियान समिति" का गठन किया। सर्वोदय आदर्श जल ग्राम स्वराज अभियान समिति के संयोजन उमाशंकर पांडेय ने बताया कि गांव के घरों से निकलने वाले और हैंडपंपों से नालियों में बहने वाला पानी बर्बाद ना हो इसके लिए इन्होंने इस पानी को खेतों की ओर मोड़ दिया और जब यह पानी खेतों की ओर मुड़ गया तो बिना खर्च के ही यह सिचाई का साधन बन गया जिससे लोग इससे अपने खेतों में सब्जियों का उत्पादन करने लगे और आज यहां के लोग सब्जियों का उत्पादन कर पैसे भी कमा रहे हैं।

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