टीईटी छात्रा से दरिंदगी और हत्या के दोषी को मिली सजा:  मुख्य आरोपी को फांसी, दो अन्य को कारावास

Edited By Ramkesh,Updated: 21 May, 2025 06:43 PM

the culprits of brutality and murder of tet student got punishment

टीईटी की तैयारी कर रही 19 साल की छात्रा के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामले में कोर्ट ने बुधवार को बड़ा फैसला सुनाया। मुख्य आरोपी अजय उर्फ शीलू को फांसी की सजा सुनाई गई है, जबकि उसके दो साथियों – अवनीश उर्फ छोटू और माया देवी – को 7-7 साल के कठोर...

फतेहपुर,  (मो0 यूसुफ):  टीईटी की तैयारी कर रही 19 साल की छात्रा के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामले में कोर्ट ने बुधवार को बड़ा फैसला सुनाया। मुख्य आरोपी अजय उर्फ शीलू को फांसी की सजा सुनाई गई है, जबकि उसके दो साथियों – अवनीश उर्फ छोटू और माया देवी – को 7-7 साल के कठोर कारावास की सजा दी गई है।

फैसले के वक्त अजय ने नहीं दिखाई कोई शर्म
जब कोर्ट ने फैसला सुनाया और पुलिस अजय को ले जा रही थी, तब उसके चेहरे पर कोई पछतावा नहीं दिखा। वह निडर होकर वहां मौजूद लोगों से कह रहा था – "हां, खूब वीडियो बना लो।" वहीं बाकी दोनों दोषी अपना चेहरा छिपाते नजर आए।

जज का सख्त संदेश
फांसी की सजा सुनाने वाले जज अशोक कुमार ने कहा कि ऐसे जघन्य अपराधों में जल्द और कठोर सजा मिलनी चाहिए, ताकि समाज में एक कड़ा संदेश जाए कि इस तरह की घटनाओं में माफ नहीं किया जाएगा।

घटना का विवरण
यह वारदात 30 मई 2022 को हुई थी। टीईटी की छात्रा कोचिंग से लौट रही थी, तभी अजय और अवनीश ने उसका अपहरण कर खैराबाद के जंगलों में ले जाकर दुष्कर्म किया। विरोध करने पर बेरहमी से पीटने के बाद गला दबाकर उसकी हत्या कर दी गई। शव अगले दिन जंगल से बरामद हुआ।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट और सबूत
पोस्टमॉर्टम में छात्रा के शरीर पर 24 गंभीर चोटों के निशान मिले। पास में किताबों से भरा बैग मिला, जबकि साइकिल घटनास्थल से 2 किलोमीटर दूर मिली थी। अजय, उसी गांव का रहने वाला था जहां छात्रा का घर है।

सबूत मिटाने में महिला की भूमिका
हत्या के बाद अजय अपने रिश्तेदार के घर गया जहां माया देवी ने उसके खून से सने कपड़े और सबूत नष्ट करने में मदद की। इसी आरोप में उसे भी दोषी पाया गया और सजा दी गई।

पीड़िता के पिता बोले- अब बेटी की आत्मा को मिलेगी शांति
छात्रा के पिता ने कोर्ट के फैसले पर संतोष जताया और कहा कि इससे उनकी बेटी की आत्मा को शांति मिलेगी। उन्होंने बताया कि घटना के बाद से वे हर तारीख पर कोर्ट में हाजिर रहे, ताकि बेटी को न्याय दिलाया जा सके।

तीन साल में मिला इंसाफ
यह मामला न्यायिक मजिस्ट्रेट एडीजे (FTC)-1 की अदालत में चला और सभी गवाहों व सबूतों के आधार पर तीन साल के भीतर कोर्ट ने फैसला सुना दिया। परिवार को अब न्याय मिल चुका है।


 

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