Edited By Imran,Updated: 13 Oct, 2024 06:39 PM
यूपी के वाराणसी में रविवार को विश्व विख्यात नाटी इमली का भरत मिलाप मेले में भगदड़ मच गई। मेले में श्रीराम के पुष्पक विमान के साथ पहुंचे यादव बंधुओं को पुलिस ने रोक दिया। जिसको लेकर समाजवादी पार्टी ने योगी सरकार पर सवाल खड़ा किया है। एक्स पर सपा ने...
वाराणसी: यूपी के वाराणसी में रविवार को विश्व विख्यात नाटी इमली का भरत मिलाप मेले में भगदड़ मच गई। मेले में श्रीराम के पुष्पक विमान के साथ पहुंचे यादव बंधुओं को पुलिस ने रोक दिया। जिसको लेकर समाजवादी पार्टी ने योगी सरकार पर सवाल खड़ा किया है। एक्स पर सपा ने बोला है कि 481 साल से चली आ रही परंपरा को आखिर क्यों रोक रही है भाजपा/योगी सरकार ?
सपा ने लिखा है कि क्या अब धर्म पालन की परिभाषा भी भाजपा/योगी सत्ता सिखाएगी ? सीएम योगी और भाजपाई जो अपने आपको हिंदुत्व का ठेकेदार बताते हैं उनके ही राज में हिंदू धर्म की परंपराओं पर कुठाराघात हो रहा है और धार्मिक मान्यताओं का हनन हो रहा है एवं धर्म को भाजपा ने सत्ता पाकर धंधा बना दिया है जहां पैसों से ही सब कुछ तय होता है ,आस्था और विश्वास के बजाय भाजपा/योगी सरकार में पैसा ही सबकुछ है।
जानिए क्या है पूरा मामला?
लक्खा मेले में शुमार भरत मिलाप का आयोजन वाराणसी में शुरू हुआ था। जो अलग-अलग रास्तों से होते हुए नाटी इमली मैदान में पहुंचा। इसके पहले मैदान के आसपास के मकानों की छतें भी भर गई थीं। सभी लोग उस पल का इंतजार कर रहे हैं जब राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुधन का मिलन होगा। हर वर्ष होने वाले इस भावपूर्ण का विशेष और धार्मिक महत्व है। भरत मिलाप के पूर्व पुष्पक विमान का गेट खोलने के दौरान भगदड़ मच गई। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज का सहारा लेना पड़ा। इस दौरान कुछ लोगों को हल्की चोटें भी आईं। आयोजन शुरू होने से पहले स्थिति पर काबू पा लिया गया था। दशरथ पुत्रों के गले लगते ही पूरा माहौल गमगीन हो जाता है। हर किसी की आंखें नम हो जाती हैं। श्रीचित्रकूट रामलील समिति की ओर से होने वाले इस विश्वप्रसिद्ध आयोजन का 481वां वर्ष है। इस आयोजन में काशीराज परिवार के अनंत नारायण सिंह परंपरानुसार हाथी पर सवार होकर शामिल होते हैं।
481 वर्ष पुराना है इतिहास
यह विश्व विख्यात भरत मिलाप मेला का आयोजन 481 वर्ष पुराना है। काशी की जनता यदुकुल के कंधे पर रघुकुल के मिलन की साक्षी पिछले 481 सालों से बन रही है। नाटी इमली के भरत मिलाप की कहानी 481 वर्ष पहले मेघा और तुलसी के अनुष्ठान से आरंभ हुई। पांच टन का वजनी पुष्पक विमान अपने माथे पर धरकर जब यादव बंधु प्रस्थान करते हैं तो पल भर के लिए वक्त ठहर सा जाता है। कहा जाता है कि अस्ताचलगामी भगवान भास्कर भी इस दृश्य को निहारने के लिए अपने रथ के पहियों को थाम लेते हैं। श्रद्धा और आस्था के महामिलन का साक्षी बनने के लिए श्रद्धालुओं का ज्वार ऐसा उमड़ता है कि तिल रखने को जगह नहीं होती। चित्रकूट रामलीला समिति के व्यवस्थापक पं. मुकुंद उपाध्याय बताते हैं कि 480 साल पहले रामभक्त मेघा भगत को प्रभु के सपने में हुए थे।