'एक नई 'नाम पट्टिका' पर लिखा जाए 'सौहार्द मेवजयते...', नेम प्लेट मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अखिलेश की प्रतिक्रिया

Edited By Pooja Gill,Updated: 22 Jul, 2024 03:06 PM

souhard mevjayate   should be written on a new  name plate

UP News: सुप्रीम कोर्ट ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों के मालिकों के नाम प्रदर्शित करने संबंधी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार के निर्देश पर सोमवार को अंतरिम रोक लगा दी। इसके साथ ही न्यायालय ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के इन निर्देशों के...

UP News: सुप्रीम कोर्ट ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों के मालिकों के नाम प्रदर्शित करने संबंधी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार के निर्देश पर सोमवार को अंतरिम रोक लगा दी। इसके साथ ही न्यायालय ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के इन निर्देशों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड एवं मध्य प्रदेश सरकारों को नोटिस जारी किया। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।

अखिलेश यादव ने दिया ये बयान
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया के एक्स हैंडल पर पोस्ट कर लिखा, '' ‘नाम-पट्टिका’ पर लिखा जाए : सौहार्द मेवजयते! इसके अलावा अखिलेश ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जानकारी ली और रोक लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को संज्ञान में लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिबंध को हटा दिया है। संप्रदाय की राजनीति खत्म हो रही है। सपा प्रमुख ने कहा कि जनता संप्रदाय की राजनीति को समझ गयी है। उन्होंने कहा कि अपनी कुर्सी बचाने के लिए दुकानों के बाहर बोर्ड (मालिकों के नाम) लगाने को कहा है। और सच तो यह है कि इसमें दिल्ली और लखनऊ की सरकारें मिली हुई हैं।

नाम प्रदर्शित करने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिएः पीठ
बता दें कि इस मामले में न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति एस. वी. एन. भट्टी की पीठ ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकारों को नोटिस जारी किया और उनसे निर्देश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर जवाब देने को कहा। पीठ ने मामले पर आगे की सुनवाई शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दी। उसने कहा, ‘‘हम उपरोक्त निर्देशों के परिवर्तन पर रोक लगाने के लिए अंतरिम आदेश पारित करना उचित समझते हैं। दूसरे शब्दों में, खाद्य विक्रेताओं को यह प्रदर्शित करने के लिए कहा जा सकता है कि उसके पास कौन से खाद्य पदार्थ हैं लेकिन उन्हें मालिकों, स्टाफ कर्मचारियों के नाम प्रदर्शित करने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए।''

राज्य सरकार की ओर से अदालत में कोई पेश नहीं हुआ
इस मामले में राज्य सरकार की ओर से अदालत में कोई पेश नहीं हुआ। शीर्ष अदालत ने राज्य सरकारों के निर्देश को चुनौती देने वाली गैर सरकारी संगठन ‘एसोसिएशन ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स', सांसद एवं तृणमूल कांग्रेस की नेता महुआ मोइत्रा और अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया। मोइत्रा ने अपनी याचिका में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों द्वारा जारी आदेश पर रोक लगाए जाने का आग्रह करते हुए कहा कि ऐसे निर्देश समुदायों के बीच विवाद को बढ़ावा देते हैं। इसमें आरोप लगाया गया है कि संबंधित आदेश मुस्लिम दुकान मालिकों और कारीगरों के आर्थिक बहिष्कार तथा उनकी आजीविका को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से जारी किया गया है। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों ने आदेश जारी कर कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों से अपने मालिकों के नाम प्रदर्शित करने को कहा था।​ 

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