उत्तर प्रदेश विधानसभा में महिलाओं को समर्पित विशेष सत्र का आयोजन, योगी ने की सराहना

Edited By PTI News Agency,Updated: 22 Sep, 2022 09:41 PM

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लखनऊ, 22 सितंबर (भाषा) उत्तर प्रदेश विधानसभा में बृहस्‍पतिवार को महिलाओं को समर्पित विशेष सत्र का आयोजन किया गया। मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने इसकी प्रस्‍तावना रखते हुए कहा कि भारत के सबसे बड़े विधानमंडल का यह सत्र देश के सामने एक उदाहरण...

लखनऊ, 22 सितंबर (भाषा) उत्तर प्रदेश विधानसभा में बृहस्‍पतिवार को महिलाओं को समर्पित विशेष सत्र का आयोजन किया गया। मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने इसकी प्रस्‍तावना रखते हुए कहा कि भारत के सबसे बड़े विधानमंडल का यह सत्र देश के सामने एक उदाहरण पेश करेगा कि आखिर महिला सदस्य क्या बोलना चाहती है।

समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता अखिलेश यादव ने कहा कि महिलाओं से जुड़ी समस्‍याएं इतनी ज्‍यादा हैं कि विधानसभा सत्र का एक दिन पर्याप्‍त नहीं है।

यादव ने हाथरस और मुरादाबाद की भीषण घटनाओं की ओर इशारा करते हुए कहा कि विपक्षी दलों और समाज को महिलाओं के खिलाफ अपराध रोकने के लिए सरकार के साथ मिलकर काम करना चाहिए।

मुख्‍यमंत्री ने कहा, “आज देश का सबसे बड़ा विधानमंडल एक नया इतिहास बनाने की ओर अग्रसर हो रहा है। आजादी के 75 वर्षों के बाद आधी आबादी की आवाज इस सदन के माध्यम से प्रदेश की 25 करोड़ आबादी तक पहुंचेगी। साथ ही उन्हें प्रदेश की समस्याओं और उपलब्धियों के अलावा अन्य समसामयिक मुद्दों को इस सदन में रखने का अवसर प्राप्त होगा। वास्तव में यह कार्य बहुत पहले होना चाहिए था।”
योगी ने कहा, “इस सत्र से देश के सामने भी एक उदाहरण पेश होगा कि आखिर महिला सदस्य क्या बोलना चाहती हैं। प्रदेश के भविष्य, वर्तमान और स्वावलंबन के बारे में अगर महिला सदस्‍यों की ओर से कोई सकारात्मक सुझाव आता है तो उससे सरकार को जरूरी कदम उठाने में मदद मिलेगी।”
राज्य की 403 सदस्यीय विधानसभा में 47 महिला विधायक हैं, जिनमें 22 पहली बार विधायक हैं और 100 सदस्यीय विधान परिषद में छह महिला विधान पार्षद हैं ।

मुख्‍यमंत्री ने यह भी कहा, “महिला सदस्‍यों को समर्पित विशेष सत्र में कुछ देर के लिए ही सही, अगर पीठासीन अधिकारी के रूप में कोई बहन सदन का संचालन कर सके तो मुझे लगता है कि एक माहौल बनेगा।”
उन्‍होंने महर्षि वेदव्यास की नारी शक्ति को समर्पित कुछ पंक्तियां पढ़ते हुए कहा, “अगर यह भाव हर व्यक्ति के मन में आ जाए तो कुछ भी असंभव नहीं है। महिलाओं और पुरुषों को एक समान दर्जा देने का यह प्रयास पहली बार नहीं हो रहा है। आजादी के बाद इस दिशा में बहुत अच्छे प्रयास हुए। काफी प्रगति भी हुई।”
योगी ने कहा, “भारत के संविधान निर्माताओं ने पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं को भी शुरू से ही मताधिकार दिया था। इंग्लैंड और दुनिया के कई अन्य देशों में महिलाओं को यह अधिकार भारत के बाद मिला।” उन्होंने मजाकिया लहजे में कहा, “मैं यहां पुरुष सदस्यों से ही कहूंगा कि सामान्य दिनों में आपके शोरगुल में महिलाओं की बात दब जाती थी। आज आपके लायक जो भी होगा, उसे स्वीकार करेंगे। अगर अपनी कोई गलती पता लगेगी तो घर में दोनों कान पकड़कर माफी मांग लीजिएगा और आगे सुधार लाइएगा, ताकि सदन को बेहतर ढंग से संचालित करने में मदद मिल सके।”
इस पर सदन में जोरदार ठहाके लगे और नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ने मजाकिया लहजे में पूछा, “आखिर नेता सदन (अविवाहित मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ) यह सब बातें कैसे जानते हैं।”
योगी ने कहा, “मैं चाहूंगा कि अच्छे सुझाव आएं और सकारात्मक चर्चा हो। आरोप-प्रत्यारोप तो हमेशा लगते हैं। आज उनसे ऊपर उठकर बात हो। आज सदन की जो भी कार्यवाही होगी, वह एक दस्तावेज बनेगा और 50 साल या 100 साल बाद यह दस्‍तावेज देखने वाले लोग उससे प्रेरणा प्राप्त करेंगे।” उन्होंने कहा, “इस चर्चा से प्रदेश को नयी पहचान मिलेगी। मेरा आग्रह है कि नियमों को शिथिल करते हुए जितनी देर महिला सदस्‍य चर्चा करना चाहें, उन्‍हें करने दी जाए और उसका प्रकाशन भी हो।”
सुचेता कृपलानी के रूप में उप्र को देश की पहली महिला मुख्यमंत्री होने का गौरव प्राप्त है, जो 2 अक्टूबर 1963 से 13 मार्च 1967 तक राज्य की मुख्यमंत्री रहीं।
सरोजिनी नायडू भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष बनने वाली और एक भारतीय राज्य (संयुक्त प्रांत) के राज्यपाल के रूप में नियुक्त होने वाली पहली भारतीय महिला भी थीं। वह 15 अगस्त 1947 से 2 मार्च 1949 तक राज्यपाल रहीं।

अखिलेश ने उत्तर प्रदेश विधानसभा का बृहस्पतिवार का दिन महिला सदस्‍यों को समर्पित किए जाने पर मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ द्वारा प्रस्‍तुत प्रस्‍तावना के बाद अपने विचार व्‍यक्‍त करते हुए विधानसभा अध्‍यक्ष सतीश महाना को इस खास कदम के लिए धन्‍यवाद दिया।
उन्‍होंने कहा, “आज मैं कह सकता हूं कि महिलाओं के मुद्दे इतने ज्‍यादा हैं कि हमारा एक दिन काफी नहीं है। अगर हम पूरे सत्र में बहस करें तो भी शायद वे खत्म नहीं होंगे।”
सपा प्रमुख ने महिलाओं के खिलाफ अपराध का जिक्र करते हुए कहा, “मैं आज दलगत राजनीति से ऊपर उठकर यह बात कहना चाहता हूं कि जब हम अखबार पढ़ते हैं, तस्वीरें देखते हैं तो पता लगता है कि क्या-क्या घटनाएं हो रही हैं। संसद में कठोर से कठोर कानून पारित हुए हैं, लेकिन महिलाओं के खिलाफ अपराध कम नहीं हो रहे हैं।” उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो के आंकड़े देखें तो उत्तर प्रदेश जहां की आबादी ज्यादा है, वहां सदन की जिम्मेदारी बढ़ जाती है, क्योंकि महिलाओं के साथ जो कुछ हो रहा है, वह सब इस समाज में नहीं होना चाहिए।
पूर्व मुख्‍यमंत्री ने कुछ घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा, “अगर हाथरस या फिर लखीमपुर खीरी की हाल की घटना देखें। मैं आज सरकार का विरोध करने के लिए नहीं खड़ा हुआ हूं। कई ऐसी घटनाएं हैं, जो हमारी सरकार में भी हुई थीं, लेकिन जब सरकार, समाज और विपक्ष मिलकर काम करते हैं तो इन समस्याओं को रोका भी जा सकता है।”
उन्‍होंने महिलाओं को समर्पित सत्र की चर्चा को सार्थक बनाने की अहमियत बताते हुए कहा, “मुझे याद है, इसी सदन ने दिन-रात जगकर सतत विकास लक्ष्‍यों पर भी चर्चा की है। यह केवल चर्चा न रह जाए, इसलिए जहां विपक्ष की जिम्मेदारी है, वहीं विपक्ष से ज्यादा सरकार की जिम्मेदारी है कि चर्चा में जो बातें आ रही हैं, उनके आधार पर ठोस कदम उठाए जाएं।” अखिलेश ने कहा कि देश की आजादी में रानी लक्ष्‍मीबाई, बेगम हजरत महल, अवंतीबाई लोधी, चांद बीबी, कस्‍तूरबा गांधी और सरोजिनी नायडू समेत कई महिलाओं का योगदान रहा है।

अखिलेश ने कहा, “अक्सर हम सावित्री को आदर्श मान लेते हैं, क्योंकि वह पति के प्रति पूरी तरह से समर्पित थी। लेकिन लोहिया ने कहा था कि इस देश की औरतों के लिए अगर आदर्श कोई हो सकता है तो वह द्रौपदी है। अगर हम महिला शक्ति को इतनी ऊंचाई पर ले जाएं तो दुनिया में हमारी एक नयी पहचान बनेगी।” सपा अध्‍यक्ष ने राज्‍य के पिछले विधानसभा चुनाव के लिए तैयार किए गए पार्टी के घोषणापत्र के विभिन्‍न वादों को सरकार के सामने सुझाव के तौर पर पेश किया।
उन्‍होंने कहा कि सरकार महिलाओं सहित प्रत्येक नागरिक के प्रति घृणा अपराधों के खिलाफ ‘कत्तई बर्दाश्त नहीं’ की नीति अपनाए, पुलिस समेत सभी सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण दे और लड़कियों की केजी (किंडरगार्टन) से पीजी (परास्नातक) तक की शिक्षा मुफ्त करे।
अखिलेश ने यह भी कहा कि महिला पावर लाइन (1090 सेवा) को मजबूत बनाया जाए और ईमेल व व्हाट्सएप के जरिये भी शिकायत दर्ज कराने का प्रावधान किया जाए।
उन्होंने मांग की कि महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों को लेकर पुलिस महानिदेशक की अगुवाई में एक प्रकोष्ठ गठित किया जाए और जेंडर सेंसटिविटी (लैंगिक संवेदनशीलता) का पता लगाने के लिए एक सूचकांक बनाया जाए !
इसके बाद महिला विधायकों ने भाजपा की अनुपमा जायसवाल (बहराइच से विधायक) ने सदन में चर्चा की कमान संभाली। उन्‍होंने कहा कि महिलाओं के सम्मान की कहानी जो आज प्रस्तुत की गई है, वह महिला विधायकों के लिए सम्मान की बात है, और यह अनुकरणीय है ।
बाद में अनुपमा जायसवाल ने पीठासीन अधिकारी के रूप में सदन की कार्यवाही भी संचालित की।

समाजवादी पार्टी की डॉ रागिनी (आजमगढ़ के मछलीशहर से) ने अपने भाषण में पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव और डिंपल 'भाभी' (पूर्व सांसद डिंपल यादव) को उनके प्रगतिशील विचारों के लिए धन्यवाद दिया, और समाजवादी पार्टी को भी धन्यवाद दिया, ।

उन्होंने मांग की कि महिलाओं को हर क्षेत्र में आरक्षण दिया जाना चाहिए और सरकार को यह जिम्मेदारी लेनी चाहिए।

इस अवसर पर कांग्रेस विधायक दल की नेता आराधना मिश्रा ने कहा कि महिलाओं के विभिन्न अवतार हैं, और विभिन्न प्रतिष्ठित महिला हस्तियों के नाम सूचीबद्ध हैं। उन्होंने यह भी कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी उनकी आदर्श हैं।

उन्होंने कहा कि कई प्रधानमंत्रियों ने दुनिया का इतिहास बदल दिया, इंदिरा जी ने बांग्लादेश के निर्माण से दुनिया का भूगोल बदल दिया।

माध्यमिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गुलाब देवी ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि सरकार द्वारा महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है ।
उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ सरकार बनने के बाद राज्य में महिलाओं को मजबूती मिली है और उन्होंने उप्र सरकार की विभिन्न योजनाओं की सूची भी दी है ।

इस अवसर को ऐतिहासिक बनाने के लिए विभिन्न शिक्षण संस्थानों की महिला डॉक्टरों, एमबीए छात्राओं, कानून स्नातकों और लड़कियों ने गैलरी से विशेष सत्र देखा। उप्र सरकार की एक वरिष्ठ महिला अधिकारी भी मौजूद थीं।

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश विधानमंडल का बृहस्पतिवार का सत्र महिला सदस्यों के लिए आरक्षित किया गया था ।


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