Edited By Ramkesh,Updated: 05 Jan, 2025 05:23 PM
प्रयागराज में इस महीने शुरू हो रहे ‘महाकुंभ' में मुसलमानों के प्रवेश को प्रतिबंधित करने की कुछ संगठनों की मांग के बीच मुस्लिम धर्मगुरु इसमें मुस्लिम समुदाय की भागीदारी को लेकर एकमत नहीं हैं। संभवतः महाकुंभ के आयोजन के इतिहास में ऐसा पहली बार है जब...
लखनऊ: प्रयागराज में इस महीने शुरू हो रहे ‘महाकुंभ' में मुसलमानों के प्रवेश को प्रतिबंधित करने की कुछ संगठनों की मांग के बीच मुस्लिम धर्मगुरु इसमें मुस्लिम समुदाय की भागीदारी को लेकर एकमत नहीं हैं। संभवतः महाकुंभ के आयोजन के इतिहास में ऐसा पहली बार है जब इसे लेकर मुसलमान भी चर्चा के केंद्र में हैं। मुसलमानों को महाकुंभ में नहीं जाने की सलाह देकर सुर्खियों में आए ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लिखे एक पत्र में आशंका जताई कि महाकुंभ में सैकड़ों मुसलमानों का धर्मांतरण कराए जाने की योजना है, इसलिए सरकार ऐसे मंसूबों को नाकाम करने के लिये कदम उठाये।
हालांकि, रजवी ने पिछले साल नवंबर में अखाड़ा परिषद द्वारा महाकुंभ में मुसलमानों का प्रवेश प्रतिबंधित करने की मांग का विरोध करते हुए कहा था कि यह मांग अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक है। हालांकि, अब मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में उन्होंने दूसरा नजरिया रखा है। रजवी ने कहा कि उन्हें विश्वस्त सूत्रों से महाकुंभ में मुसलमान का धर्मांतरण करने की तैयारी की सूचना मिली थी, लिहाजा एक जागरूक नागरिक के तौर पर उन्होंने मुख्यमंत्री को इस आशंका से अवगत कराया है।
मुसलमानों को महाकुंभ में नहीं जाने की अपनी सलाह को सही ठहराते हुए रजवी ने कहा, ‘‘अखाड़ा परिषद और नागा संन्यासियों ने बैठक करके मुसलमानों पर महाकुंभ में दुकान लगाने पर पाबंदी लगाने की बात कही थी इसीलिए हमने मुसलमानों को किसी परेशानी से बचने के लिए महाकुंभ में नहीं जाने की सलाह दी थी।'' जमीयत उलमा-ए-हिंद (एएम) की उत्तर प्रदेश इकाई के कानूनी सलाहकार मौलाना काब रशीदी ने कहा कि शायद ऐसा पहली बार है जब महाकुंभ के आयोजन से पहले मुसलमान चर्चा की केंद्र में हैं।
रशीदी ने कहा, ‘‘ऐसी बातें करना संविधान में दिए गए अधिकारों का हनन है क्योंकि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश के रूप में पूरी दुनिया में जाना जाता है लिहाजा महाकुंभ में मुसलमान को प्रतिबंधित करने की बात करना संविधान की आत्मा को कुचलने जैसा है।'' ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना यासूब अब्बास ने कहा, ‘‘अगर कोई मुसलमान अपने ज्ञानवर्धन के लिए महाकुंभ में जाता है तो उसमें कोई हर्ज नहीं है।
इस्लाम मजहब इतना हल्का और कमजोर नहीं है कि कहीं पर जाकर खड़े होने या कोई मेला देखने या किसी मजहबी इबादतगाह को देखने से वह खतरे में पड़ जाएगा।'' महाकुंभ में मुसलमानों का धर्मांतरण कराए जाने की मौलाना रजवी की आशंका के बारे में पूछे जाने पर अब्बास ने कहा, ‘‘अगर किसी की धार्मिक आस्था की नींव मजबूत है तो कोई भी व्यक्ति उसका धर्मांतरण नहीं कर सकता।'' अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने हाल ही में कहा था कि इस बार कुंभ में आधार कार्ड के आधार पर प्रवेश दिया जाए ताकि कोई गैर सनातनी मेला क्षेत्र में दाखिल ना होने पाए। बाबा बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने भी महाकुंभ में मुसलमानों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी।
उत्तर प्रदेश हज कमेटी के अध्यक्ष और प्रदेश के पूर्व अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री मोहसिन रजा ने ‘पीटीआई-भाषा' से कहा, ‘‘आपने देखा होगा कि मोहन भागवत जी का बयान आया था। उन्होंने कहा था कि कुछ लोग विवाद खड़ा करके नेता बनना चाहते हैं। इस तरह के कुछ लोग हर जगह होते हैं। चार भाई हैं तो चारों का मिजाज एक तरह का नहीं होता। इसे कोई रोक भी नहीं सकता। यह हमेशा होता रहा है।'' रजा ने कहा, ‘‘मैं अनेक बार कुंभ में गया हूं और अनेक मुसलमान कुंभ में जाते हैं। मुस्लिम समाज के अनेक लोग महाकुंभ की व्यवस्था में लगते हैं। मुसलमानों को महाकुंभ से बाहर रखने की मांग करना सनातनी संस्कार नहीं है। मुसलमानों के कुंभ में आने पर पाबंदी लगाने की मांग करने वालों को यह सोचना पड़ेगा।