देश की उन्नति के लिए बालिकाओं को कुछ कर दिखाने का मौका देना चाहिए: मोहन भागवत

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 21 Jan, 2021 10:05 AM

mohan bhagwat says for the progress of the country girls should be

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने बुधवार को कहा कि महिलाएं स्वभाव से ही वात्सल्य देने वाली होती हैं, इसीलिए वे समाज का भी काम पुरुषों से ज्यादा अच्छा करती हैं। संघ प्रमुख यहां वृन्दावन के केशवधाम में नवस्थापित रामकली देवी बालिका...

मथुरा: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने बुधवार को कहा कि महिलाएं स्वभाव से ही वात्सल्य देने वाली होती हैं, इसीलिए वे समाज का भी काम पुरुषों से ज्यादा अच्छा करती हैं। संघ प्रमुख यहां वृन्दावन के केशवधाम में नवस्थापित रामकली देवी बालिका सरस्वती विद्या मंदिर के लोकार्पण अवसर पर आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा, ‘‘मनुष्य का सबसे पहली शिक्षक उसकी मां होती है। माता से ही उसकी शिक्षा शुरु होती है और शिक्षा के कारण ही उसका स्वभाव एवं प्रवृत्ति बनती है। माता के दिए संस्कार ही उसके जीवन का आधार बनते हैं। इसलिए बालिका शिक्षा का महत्व और अधिक है। हमारे देश के संविधान ने भी पुरुष और स्त्री को समान अधिकार दिए हैं। लेकिन कुछ परंपराओं के नाम पर कुछ बातों ने आज भी हमारे समाज को जकड़ रखा है जिनसे मुक्त कराना बेहद जरूरी है।'' 

बालिका शिक्षा के महत्व पर भागवत ने कहा, ‘‘‘यह बहुत ही अच्छी बात है कि सरकार ने नई शिक्षा नीति तैयार की है। इस विद्यालय में उसका बहुत ही अच्छा प्रभाव दिखाई देगा।'' संघ प्रमुख ने विदेशी शिक्षा पद्धति के मुकाबले देशज शिक्षा का महत्व समझाने के लिए महात्मा गांधी की गोलमेज सम्मेलन के लिए की गई इंग्लैण्ड यात्रा का वर्णन किया। उन्होंने कहा, ‘‘असल में अंग्रेजों ने खुद तो हमारी शिक्षा पद्धति से ज्ञान लिया लेकिन हमारे यहां ऐसी शिक्षा पद्धति थोप दी गई जिससे शिक्षा पाकर साक्षरता मात्र 17 प्रतिशत पर ही अटकी रही थी। लेकिन भारतीय शिक्षा पद्धति से 70 प्रतिशत तक पहुंच गई।'' 

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