सरकार पर बरसीं मायावती, कहा- भाजपा राज में भी दलितों की हालत बदतर

Edited By Ramkesh,Updated: 29 Jul, 2022 07:31 PM

mayawati lashed out at the government said condition of dalits

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की उम्मीदवारी को सबसे पहले समर्थन देने का दावा करते हुये बहुजन समाज पाटर्ी (बसपा) अध्यक्ष मायावती ने कहा कि दलित और पिछड़े वर्ग के प्रति कांग्रेस की तरह सहानुभूति का दिखावा करने वाली भारतीय जनता पाटर्ी (भाजपा) के शासनकाल में...

लखनऊ: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की उम्मीदवारी को सबसे पहले समर्थन देने का दावा करते हुये बहुजन समाज पाटर्ी (बसपा) अध्यक्ष मायावती ने कहा कि दलित और पिछड़े वर्ग के प्रति कांग्रेस की तरह सहानुभूति का दिखावा करने वाली भारतीय जनता पाटर्ी (भाजपा) के शासनकाल में भी इन वर्गों के हित, कल्याण तथा आत्म-सम्मान की स्थिति नगण्य रही है और यही कारण है कि आज़ादी के 75 वर्षों में आज भी इन वर्गों की हालत बद से बदतर ही बनी हुई है।   बिहार,झारखंड,पश्चिम बंगाल और ओडिशा के पार्टी पदाधिकारियों की एक बैठक को संबोधित करते हुये मायावती ने शुक्रवार को कहा कि श्रीमती मुर्मू को बसपा के भरपूर समर्थन के बाद उम्मीद से कहीं अधिक हर वर्ग व पाटिर्यों का मिला समर्थन काफी संतोष की बात है, मगा क्या केवल इसी के सहारे देश में करोड़ों दलितों, अति-पिछड़े व अल्पसंख्यक समाज के लोगों को बेपनाह गरीबी, पिछड़ेपन, जातिवादी शोषण, तिरस्कार व अन्याय-अत्याचार से मुक्ति मिल जाएगी।

उन्होंने कहा कि इससे पहले कांग्रेस और अब भाजपा भी इसी प्रकार के दिखावटी कार्य करके इन वर्गों का चैम्पियन बनने का प्रयास करती रही है, लेकिन इन वर्गों के असली हित, वास्तविक कल्याण तथा आत्म-सम्मान के मामले में ठोस स्थिति लगभग नगण्य रही है और यही कारण है कि आज़ादी के 75 वर्षों में आज भी इन वर्गों की हालत बद से बदतर ही बनी हुई है   बसपा अध्यक्ष ने कहा कि उनकी पार्टी के कालखण्ड में इन वर्गों के सामाजिक परिवर्तन, आर्थिक उन्नति व प्रगति की मिसाल लोगों के सामने है, जबकि मौजूदा सरकार ने इन वर्गों के लिए सरकारी नौकरी व शिक्षा के क्षेत्र में आरक्षण की व्यवस्था को निष्क्रिय व निष्प्रभावी बना दिया है। असंख्य रिक्तयां हैं मगर आर्थिक आधार पर की गई आरक्षण की नई व्यवस्था को सभी सरकारें बड़ी मुस्तैदी से लागू करने में तत्पर है, सरकारों का यह सब जातिवादी रवैया नहीं है तो और क्या है।

उत्तर प्रदेश के राजनीतिक हालात का जिक्र करते हुये उन्होने कहा कि सुप्रीम कोटर् द्वारा लचर कानून-व्यवस्था व मानवाधिकार आदि के सम्बंध में दी जा रही बार-बार चेतावनी/सख़्त टिप्पणी के बावजूद राज्य सरकार के कामकाज में कोई जरूरी सुधार देखने को नहीं मिल रहा है। यूपी सरकार अपने अति-संकीर्ण नफरती जातिवादी व साम्प्रदायिक ऐजेण्डे पर काम करने में पूरे देश में एक मिसाल बनती जा रही है जिससे हर तरफ बेचैनी व चिन्ता की लहर है। उन्होने कहा कि लोगों का जीवन आत्म-निर्भर बनाने जैसी बुनियादी जरूरत तथा यूपी के लोगों की खास परेशानी की गंदगी व गड्डा-मुक्त सड़़क बनाने आदि के मामले में भी यूपी सरकार अभी तक विफल रही है जबकि इन्हें केन्द्र सरकार की भरपूर मदद मिलने का दावा अक्सर किया जाता है, लेकिन इन विभागों में भी उच्च स्तर पर व्याप्त भारी भ्रष्टाचार सुर्खियों में हैं।

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