Edited By Purnima Singh,Updated: 18 Jan, 2025 02:41 PM
प्रयागराज के संगम तट पर लगे देश के सबसे बड़े धार्मिक मेले में आए एक संत ने काशी और मथुरा में भी भव्य मंदिर बने, आतंकवाद का पूर्ण खात्मा हो इसके लिए अनोखी साधना शुरू कर दी है। 7 करोड़ 51 लाख से अधिक रुद्राक्ष और 11 हज़ार अलग-अलग रंग के त्रिशूल...
प्रयागराज (सैय्यद रजा) : प्रयागराज के संगम तट पर लगे देश के सबसे बड़े धार्मिक मेले में आए एक संत ने काशी और मथुरा में भी भव्य मंदिर बने, आतंकवाद का पूर्ण खात्मा हो इसके लिए अनोखी साधना शुरू कर दी है। 7 करोड़ 51 लाख से अधिक रुद्राक्ष और 11 हज़ार अलग-अलग रंग के त्रिशूल श्रद्धालुओं को आकर्षित कर रहे हैं। इसके साथ ही साथ मौनी बाबा के अनोखे शिविर में 12 बड़ी शिवलिंग भी स्थापित हैं, जो पूरी तरीके से रुद्राक्ष की मालाओ से ढकी हुई है। ऐसे में अमेठी से आए शिव योगी मौनी बाबा अपनी अनोखी पूजा और तपस्या के चलते श्रद्धालुओं को अपने शिविर की ओर आकर्षित कर रहे हैं। शिवयोगी मौनी बाबा अपने शिविर में हर शाम 6 बजे अनोखी पूजा में लीन रहते हैं।
मौनी बाबा ने संकल्प लिया है कि जिस तरीके से अयोध्या में राम मंदिर का भव्य निर्माण हुआ है। उसी तरीके से काशी और मथुरा में भी मंदिर का निर्माण हो। इसके लिए वह अनोखी साधना में मग्न रहते हैं। ऐसे में बाबा ने पौष पूर्णिमा से लेकर माघी पूर्णिमा तक दो लाख से अधिक दीप दान का भी संकल्प लिया है। इस शिविर में 12 बड़ी शिवलिंग भी हैं। जिसको 5 करोड़ 51 लाख से अधिक रुद्राक्ष के दानों से ढका गया है। । इस शिविर में अनोखी एक और खास बात यह है कि इस शिविर में 4 तरीके के अलग-अलग रंग के त्रिशूल भी हैं। जो आकर्षण का केंद्र बने हैं। देश में आतंकी हमला ना हो, देश में शांति बनी रहे , देश की अर्थव्यवस्था दुरुस्त रहे और महंगाई और वैश्विक महामारी न फैले इसके लिए लगाए गए हैं। हर रोज मौनी बाबा पूजा के दौरान अनोखे अंदाज से पूरे शिविर की परिक्रमा खास पूजा और लेट करके हैं। शिविर में कई कुंड भी बनाए गए हैं। जहां पर मौनी बाबा हर दिन हवन पूजा करते हैं। इस दौरान हर रोज भारी संख्या में कल्पवासी या कहें कि श्रद्धालु उनकी इस साधना के गवाह भी बनते हैं। श्रद्धालुओं का कहना है कि मौनी बाबा द्वारा की जा रही इस अनोखी साधना या कहें कि पूजा पाठ से सभी काफी प्रभावित हैं।
अपनी अनोखी पूजा करने के बाद मौनी बाबा अपने शिविर से लेट करके गंगा स्नान के लिए जाते हैं और गंगा स्नान करने के बाद ही उनकी पूजा पूरी तरीके से समाप्त होती है। बाबा का मानना है कि जितनी कठिन तपस्या होगी उतना ही अच्छा परिणाम होगा। आपको बता दें मौनी बाबा पिछले 35 सालों से संगम तट पर लगने वाले माघ मेले में आ रहे हैं। देश में सुख शांति के लिए हमेशा ही अनोखी पूजा पाठ में लगे रहते हैं। करीब 20 किलो से अधिक रुद्राक्ष की मालाओं को पहनकर श्रद्धालुओं को आशीर्वाद भी देते हैं।