बच्ची से दरिंदगी करने वाले को आजीवन कारावास, 25 दिन में ट्रायल, 44वें दिन मिला न्याय

Edited By Ramkesh,Updated: 31 Jul, 2025 07:57 PM

life imprisonment for the person who raped the girl trial in 25 days

फिरोजाबाद की विशेष न्यायाधीश पॉक्सो न्यायालय मुमताजएक आठ वर्षीय बच्ची से दुष्कर्म व हत्या के मामले में न्यायपालिका और पुलिस की सक्रियता से सिर्फ 44 दिनों में न्याय सुनिश्चित हुआ। विशेष अदालत ने मुख्य आरोपी कौशल को आजीवन कारावास (अंतिम सांस तक) और...

फिरोजाबाद (अरशद अली):  फिरोजाबाद की विशेष न्यायाधीश पॉक्सो न्यायालय मुमताजएक आठ वर्षीय बच्ची से दुष्कर्म व हत्या के मामले में न्यायपालिका और पुलिस की सक्रियता से सिर्फ 44 दिनों में न्याय सुनिश्चित हुआ। विशेष अदालत ने मुख्य आरोपी कौशल को आजीवन कारावास (अंतिम सांस तक) और ₹1.40 लाख के आर्थिक दंड से दंडित किया है। इसके साथ ही शव छिपाने में मदद करने के आरोप में आरोपी के माता-पिता और भाई को सात-सात साल की जेल और ₹20,000-₹20,000 के जुर्माने की सजा सुनाई गई है।

खेलने निकली बच्ची को बनाया शिकार
यह
हृदयविदारक घटना 17 जून को नारखी थाना क्षेत्र के एक गांव में घटित हुई थी। पीड़िता हाथरस से अपने ननिहाल आई थी और उसी शाम घर से खेलने के लिए निकली, लेकिन वापस नहीं लौटी। पुलिस जांच में सामने आया कि गांव के ही युवक कौशल ने बच्ची को चाऊमीन मंगाने के बहाने बुलाया और फिर उसके साथ दुष्कर्म किया। वारदात को छिपाने के लिए गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी। इसके बाद आरोपी ने शव को एक बोरे में बंद कर अपने घर के एक कोने में छुपा दिया और ऊपर ईंटें रख दीं।

परिजनों ने छिपाई जानकारी, पुलिस ने खोला राज
शक होने पर जब ननिहाल पक्ष कौशल के घर पहुंचे, तो उसके पिता अर्जुन, मां राधा देवी और भाई मनीष ने घर में किसी को घुसने नहीं दिया। अगले दिन पुलिस ने मौके से बच्ची का शव बरामद किया। इसके बाद आरोपी कौशल को एक दिन बाद मुठभेड़ में गिरफ्तार किया गया, जबकि उसके तीनों स्वजनों को भी गिरफ्तार कर जेल भेजा गया।

तेज गति से जांच और ट्रायल
पुलिस ने सिर्फ 6 दिनों में विवेचना पूरी कर 135 पन्नों का आरोप पत्र दाखिल किया। इसमें 18 गवाहों के बयान, डीएनए रिपोर्ट, बच्ची की चेन, और तकनीकी साक्ष्य शामिल थे, जो आरोपियों की संलिप्तता साबित करने में निर्णायक रहे। 25 कार्यदिवसों के भीतर ट्रायल पूरा हुआ और एडीजे/पॉक्सो कोर्ट के विशेष जज मुमताज अली ने फैसला सुनाया। अभियोजन की ओर से एडीजीसी अवधेश भारद्वाज ने प्रभावी पैरवी की।

कानून का कठोर संदेश
इस पूरे मामले में पुलिस, अभियोजन और न्यायालय की त्वरित कार्यवाही ने यह संदेश दिया है कि बाल यौन अपराधों में किसी प्रकार की ढिलाई नहीं बरती जाएगी। दोषियों को सख्त से सख्त सजा दी जाएगी।



 

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