बिना साक्ष्य के 12 वर्षों तक जेल में रहा हत्यारोपी, हाईकोर्ट ने कहा- पर्याप्त साक्ष्य न होने के बावजूद आरोपी को रिहाई न मिलना न्याय के लिए दुर्भाग्यपूर्ण

Edited By Ajay kumar,Updated: 01 May, 2024 05:07 PM

it is unfortunate for justice that the accused is not released high court

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक 11 वर्षीय लड़की की हत्या और दुष्कर्म के आरोपी को बरी करते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि आरोपी के खिलाफ कोई साक्ष्य ना होने के बावजूद उसे 12 वर्षों से भी अधिक समय तक जेल में रहने के लिए बाध्य होना पड़ा।

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक 11 वर्षीय लड़की की हत्या और दुष्कर्म के आरोपी को बरी करते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि आरोपी के खिलाफ कोई साक्ष्य ना होने के बावजूद उसे 12 वर्षों से भी अधिक समय तक जेल में रहने के लिए बाध्य होना पड़ा। ट्रायल कोर्ट द्वारा मुकदमे के दौरान साक्ष्य का सही मूल्यांकन न करने के कारण कोर्ट ने आक्षेपित निर्णय, दोषसिद्धि तथा सजा के आदेश को रद्द करने योग्य पाया।

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कोई भी व्यक्ति कोर्ट में प्रस्तुत नहीं हुआ
अतः कोर्ट ने अपीलकर्ता को सभी आरोपों से बरी करते हुए उसे तुरंत रिहा करने का आदेश दिया। उक्त आदेश न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति मोहम्मद अजहर हुसैन इदरीसी की खंडपीठ ने नन्हकू सिंह की अपील को स्वीकार करते हुए पारित किया। कोर्ट ने पाया कि अपीलकर्ता के पास से हमले का कोई हथियार बरामद नहीं हुआ है और ना ही उसकी निशानदेही पर शव की बरामदगी की गई। इसके साथ ही मृतका के पिता ने स्वीकार किया कि घटना के समय वह गांव में मौजूद नहीं थे और मृतका की मां ने आरोपी को अपराध करते नहीं देखा। इसके अलावा ऐसा कोई भी व्यक्ति कोर्ट में प्रस्तुत नहीं हुआ, जिसने आरोपी द्वारा घटना को अंजाम देते हुए देखा हो। इस प्रकार कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट द्वारा साक्ष्यों के मूल्यांकन में चूक पाई।

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