योगी सरकार का महत्वपूर्ण कदम, UP की गौशालाएं होंगी आत्मनिर्भर... गाय के गोबर-मूत्र का इस खास योजना के तहत होगा इस्तेमाल

Edited By Anil Kapoor,Updated: 16 Mar, 2025 03:15 PM

important step of yogi government cow shelters of up will become self reliant

Lucknow News: उत्तर प्रदेश में गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए राज्य सरकार पर्यावरण के अनुकूल कृषि पद्धतियों के लिए गाय के गोबर और मूत्र का इस्तेमाल करने की योजना बना रही है। अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश की...

Lucknow News: उत्तर प्रदेश में गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए राज्य सरकार पर्यावरण के अनुकूल कृषि पद्धतियों के लिए गाय के गोबर और मूत्र का इस्तेमाल करने की योजना बना रही है। अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश की गौशालाएं पर्यावरण के अनुकूल खेती को बढ़ावा देंगी, मिट्टी की उर्वरता बढ़ाएंगी और किसानों के लिए आर्थिक रूप से लाभकारी होंगी।

'हम गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हर स्तर पर काम कर रहे'
पशुपालन मंत्री धर्मपाल सिंह ने न्यूज एजेंसी से कहा कि हम गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हर स्तर पर काम कर रहे हैं। राष्ट्रीय दुग्ध विकास बोर्ड, कृषि विभाग और अन्य हितधारकों से बात करके हम सभी पशुशालाओं में ‘वर्मीकम्पोस्ट' बनाएंगे। इसे किसानों को बेचा जाएगा और गाय आधारित प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा।" मंत्री ने कहा कि इसके लिए परियोजनाओं पर काम किया जा रहा है और नाबार्ड (राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक) जैसे संगठनों से भी मदद ली जाएगी। हाल में संपन्न महाकुंभ के दौरान, पशुपालन और दुग्ध विकास मंत्रालय ने गहन विचार-विमर्श किया और पर्यावरण के अनुकूल कृषि में गौशालाओं की भूमिका को मजबूत करने के लिए रणनीतिक योजनाएं तैयार कीं।

'प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए गोबर, मूत्र का होगा इस्तेमाल'
विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि योजनाओं के अनुसार गाय के गोबर और मूत्र का उपयोग पर्यावरण के अनुकूल कृषि पद्धतियों के लिए किया जाएगा। साथ ही, किसानों और गौशालाओं के कर्मचारियों को मवेशियों के पोषण में सुधार के लिए चारा उत्पादन और संरक्षण के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार लोगों के स्वास्थ्य और भूमि एवं पानी की गुणवत्ता को प्राथमिकता दे रही है, जिसके तहत प्राकृतिक खेती पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। यह एक ऐसी विधि है जिसमें खेती के लिए रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक का इस्तेमाल नहीं किया जाता। अधिकारी ने कहा कि इस कृषि पद्धति में मवेशी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसमें गाय के गोबर और मूत्र को जैविक उर्वरक के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इससे किसानों को दोहरा लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि उनके परिवारों को शुद्ध दूध मिलेगा और जैविक उर्वरकों के माध्यम से मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ेगी। अधिकारी ने कहा कि समय के साथ ये प्रयास गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनने में मदद करेंगे।

'प्रदेश की 7,700 से अधिक गौशालाओं में इस वक्त साढ़े 12 लाख छुट्टा मवेशी रखे गए'
विभाग के अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश की 7,700 से अधिक गौशालाओं में इस वक्त साढ़े 12 लाख छुट्टा मवेशी रखे गए हैं। इसके साथ ही राज्य ने मुख्यमंत्री सहभागिता योजना भी लागू की है जिसके तहत एक लाख किसानों को 1.62 लाख छुट्टा मवेशी दिए गए हैं और उनकी देखभाल के लिए हर महीने 1,500 रुपए प्रति पशु की दर से दिये जा रहे हैं। अपने नवीनतम बजट में सरकार ने छुट्टा मवेशियों की सुरक्षा के लिए 2,000 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं। यह पहले दिए गए 1,001 करोड़ रुपए के अतिरिक्त है। इसके अलावा 543 नई गौशालाओं को मंजूरी दी गई है। प्रत्येक बड़ी गौशाला के लिए 1.60 करोड़ रुपए की अतिरिक्त धनराशि दी गई है। राज्य सरकार पशुपालकों को मवेशी पालने के लिए लगातार प्रोत्साहित कर रही है। मवेशी पालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार नंदिनी कृषक समृद्धि योजना के तहत देशी नस्लों को बढ़ावा दे रही है। साथ ही बैंक ऋण पर 50 प्रतिशत सब्सिडी दे रही है। अमृत धारा योजना 10 लाख रुपये तक की सब्सिडी वाले ऋण प्रदान करती है। तीन लाख रुपये से कम के ऋण के लिए किसी गारंटर की आवश्यकता नहीं होती है।

देश में जैविक खेती को बढ़ावा देने की दिशा में उठाया कदम
अधिकारियों ने बताया कि देश में जैविक खेती को बढ़ावा देने की दिशा में कदम उठाते हुए उत्तर प्रदेश सरकार किसानों को गाय आधारित जैविक उर्वरकों का उपयोग करके रसायन मुक्त कृषि अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। उन्होंने बताया कि ये पहल विशेष रूप से गंगा नदी और बुंदेलखंड क्षेत्र के गांवों में केंद्रित हैं और इनमें स्थानीय जल संसाधनों को पर्यावरण के अनुकूल खेती के मॉडल में जोड़ा जा रहा है। कोविड महामारी ने स्वास्थ्य को लेकर वैश्विक जागरूकता बढ़ाई है, जिससे जैविक और प्राकृतिक रूप से उगाए गए उत्पादों की मांग बढ़ रही है। अधिकारियों ने बताया कि खान-पान की आदतों में यह बदलाव न केवल स्थानीय बल्कि वैश्विक भी है जिससे उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए नए अवसर पैदा हो रहे हैं।

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