मुजफ्फरनगर दंगा: गैंगरेप पीड़िता को 10 साल बाद मिला इंसाफ, बोली- 'कभी अपने गांव नहीं लौटूंगी, अब भी जान का खतरा लगता'

Edited By Anil Kapoor,Updated: 12 May, 2023 11:02 AM

i will never return to my village even now i feel threatened

बलात्कार पीड़िता शमीमा (काल्पनिक नाम) का कहना है कि वह उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) जिला स्थित अपने गांव कभी नहीं लौटेगी क्योंकि उसे खुद की और अपने बच्चों की जान को लेकर डर बना रहता है। मुजफ्फरनगर जिले की एक अदालत...

मुजफ्फरनगर\नई दिल्ली: बलात्कार पीड़िता शमीमा (काल्पनिक नाम) का कहना है कि वह उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) जिला स्थित अपने गांव कभी नहीं लौटेगी क्योंकि उसे खुद की और अपने बच्चों की जान को लेकर डर बना रहता है। मुजफ्फरनगर जिले की एक अदालत (Court) ने 2013 के मुजफ्फरनगर दंगे (Muzaffarnagar Riots) के दौरान शमीमा (काल्पनिक नाम) से सामूहिक बलात्कार (Gangrape) के जुर्म में मंगलवार को दो व्यक्तियों को 20 साल की सजा सुनाई। साथ ही अदालत (Court) ने दोषियों महेशवीर और सिकंदर पर 15,000-15,000 रुपए का जुर्माना (Fine) भी लगाया।

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दोषी सलाखों के पीछे हैं, लेकिन उनका परिवार अब भी हमें डराता और धमकाता है: पीड़िता
जानकारी के अनुसार, पीड़िता ने यहां एक प्रेस वार्ता में कहा कि वे (दोषी) सलाखों के पीछे हैं, लेकिन उनका परिवार अब भी हमें डराता और धमकाता है... मैं कभी वापस नहीं लौटूंगी। मुझे खुद के लिए और अपने बच्चों के लिए डर बना हुआ है। अपने वकीलों से घिरी शमीमा ने उस दुर्भाग्यपूर्ण दिन को याद करते हुए कहा कि वह घर के कामों में व्यस्त रहती थी, लेकिन एक मुस्लिम व्यक्ति और एक हिंदू महिला के बीच हुई घटना को लेकर जाट समुदाय के लोगों में गुस्सा होने की खबरों के बाद तनाव साफ नजर आ रहा था। जल्द ही उसने सुना कि हत्याएं शुरू हो गई हैं और उसे गांव छोड़ने की सलाह दी गई।

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दोषियों के वकीलों ने उसके चरित्र पर सवाल उठाए और उसे अपमानित किया: पीड़िता
उन्होंने कहा कि उस दिन मैंने कभी नहीं लौटने के इरादे से उस जगह को छोड़ दिया। मैं अपने दो बच्चों के साथ वहां से निकल गई। मैं खेतों से होते हुए भाग रही थी लेकिन मुझे नहीं पता था कि मुझे कहां जाना है। मैं भटक गई और मुझे पकड़ लिया गया। इसके बाद उन लोगों ने मेरे साथ बलात्कार किया। शमीमा ने रुंधे गले से कहा कि जब मेरा बलात्कार हो रहा था तब मेरा तीन महीने का बच्चा मेरे पास ही था और मुझसे कह रहे थे कि मैं उनका साथ दूं नहीं तो वे मेरे बच्चे मार देंगे। न्याय के लिए अपनी 10 साल की लड़ाई को याद करते हुए शमीमा ने कहा कि दोषियों के वकीलों ने उसके चरित्र पर सवाल उठाए और उसे अपमानित किया।

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मैं हर कीमत पर न्याय चाहती थी, लेकिन दोषी चाहते थे कि मैं मामला वापस ले लूं: पीड़िता
उन्होंने कहा कि बीते दशक में दोषियों के वकीलों ने मेरे चरित्र पर सवाल उठाया। मेरे पति से पूछा कि कहीं मैं उनकी रखैल तो नहीं हूं। वे चाहते थे कि मैं मामला वापस ले लूं लेकिन मैं हर कीमत पर न्याय चाहती थी। पीड़िता ने कहा कि अपराध की रिपोर्ट करने की उसमें हिम्मत नहीं थी। पीड़िता ने कहा कि हालांकि, सामाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशमी ने उससे और 6 अन्य बलात्कार पीड़िताओं से संपर्क किया जिन्होंने उन्हें वरिष्ठ वकील वृंदा ग्रोवर से मिलवाया और उन्होंने ही उनका मुकदमा लड़ा।

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7 बलात्कार पीड़िताओं में से 6 पीछे हट गईं लेकिन वह (शमीमा) दृढ़ता से डटी रहीं
अनहद (एक्ट नाउ फॉर हारमनी एंड डेमोक्रेसी) की न्यासी हाशमी ने कहा कि 7 बलात्कार पीड़िताओं में से 6 पीछे हट गईं लेकिन वह (शमीमा) दृढ़ता से डटी रहीं और आखिरकार इस लंबी लड़ाई के बाद उन्हें न्याय मिला। पीड़िता ने दावा किया कि ग्रोवर से पहले कोई वकील उनका मुकदमा लड़ने के लिए तैयार नहीं हुआ था। पत्रकारों से बातचीत के दौरान वहां मौजूद ग्रोवर ने कहा कि 10 साल की इस कानूनी लड़ाई में घटना और पीड़िता के चरित्र को लेकर सवाल उठाए गए थे। उन्होंने कहा कि उन्हें (दोषियों को) राजनीतिक संरक्षण प्राप्त था। उन्होंने कहा कि दोनों संभवत: इस फैसले के खिलाफ अपील दायर कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह उनका अधिकार है लेकिन वे जीत नहीं पाएंगे क्योंकि हमारा मामला बेहद मजबूत है।

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