आजमगढ़ में हार कर भी कैसे जीत गई बसपा? नतीजों से खुश मायावती 'वोट कटवा' फॉर्मूला से बिगाड़ेगी अखिलेश का खेल

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 27 Jun, 2022 04:34 PM

how did bsp win even after losing in azamgarh

लोकसभा उपचुनाव में आजमगढ़ और रामपुर दोनों सीटों पर बीजेपी ने जीत का परचम लहराया है, फ्रंटफुट पर तो बीजेपी की जीत दिख रही है, अंदर की बात की जाए जीत के पीछे बसपा सुप्रीमो मायावती का फोर्मूला हिट रहा है...

लखनऊ: लोकसभा उपचुनाव में आजमगढ़ और रामपुर दोनों सीटों पर बीजेपी ने जीत का परचम लहराया है, फ्रंटफुट पर तो बीजेपी की जीत दिख रही है, अंदर की बात की जाए जीत के पीछे बसपा सुप्रीमो मायावती का फोर्मूला हिट रहा है। यां फिर यू कहें की मायावती की रणनीति भाजपा के पूरी तरह काम आई है। चुनाव में तीसरे नंबर पर रहे बसपा प्रत्याशी शाह आलम उर्फ गुड्‌डू जमाली के प्रदर्शन से मायावती गदगद हैं, क्योंकि मायावती मुस्लिम वोटों का बंटवारा कराकर सपा की राह में रोड़े बिछाकर खेल बिगाड़ने में कामयाब रही। ऐसे में बसपा के प्रदर्शन को भी 'वोट कटवा' की संज्ञा दी जा रही है। इसमें कोई शक नहीं  है कि नतीजों से उत्साहित मायावती सपा प्रमुख अखिलेश यादव के लिए भविष्य की राहें कठिन कर सकती हैं?

रामपुर लोकसभा सीट पर मायावती ने अपना प्रत्याशी नहीं उतारा था जबकि आजमगढ़ सीट पर बसपा ने गुड्डू जमाली को कैंडिडेट बनाया था। आजमगढ़ में बीजेपी प्रत्याशी दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ को 3,12,768 वोट मिले हैं। सपा के धर्मेंद्र यादव को 3,04,089 मिले तो बसपा के गुड्डू जमाली को 2,66,210 मत प्राप्त हुए। बीजेपी 8679 वोट से जीत दर्ज करने में जरूर कामयाब रही, लेकिन आजमगढ़ की हार ने सपा को टेंशन में डाल दिया है तो बसपा अपने पुराने जनाधार को वापस पाने से खुश है।

यहां देखिए आजमगढ़ सीट का पूरा गणित
आजमगढ़ जिले में तो दस विधानसभा सीटें आती हैं, लेकिन लोकसभा क्षेत्र में 5 सीटें आती हैं। गोपालपुर, सगड़ी, मुबारकपुर, आजमगढ़ सदर और मेहनगर विधानसभा इस लोकसभा क्षेत्र में आती हैं। इन सभी सीटों पर सपा के विधायक हैं। 2022 चुनाव में इन पांचों सीटों पर सपा को 4.35 लाख तो भाजपा को 3.30 लाख और बसपा को 2.24 लाख मत मिले थे। विधानसभा चुनाव में मुसलमानों का एकतरफा वोट सपा को गया था, जबकि बसपा को वोट नहीं मिल सका था। बसपा की आजमगढ़ में वापसी का एक ही मंत्र बचा था, जो दलित दलित-मुस्लिम समीकरण का था। मायावती ने उपचुनाव में गुड्डू जमाली को उतारकर दलित-मुस्लिम फॉर्मूले को आजमाया तो सफल साबित हुआ। बसपा का वोट 2.24 लाख से बढ़कर 2.66 लाख पहुंच गया जबकि सपा का वोट 4.35 लाख से घटकर 3.04 लाख पर आ गया। इस तरह से 1.31 लाख वोट घट गए।

एक अनुमान के मुताबिक आजमगढ़ संसदीय सीट पर मुस्लिम का करीब 55 फीसदी वोट बसपा को गए हैं तो 42 फीसदी वोट सपा को मिले हैं। सपा ने मुस्लिम नेताओं की पूरी फौज यहां उतार दी थी। आजम खान से लेकर अबु आजमी तक जैसे बड़े मुस्लिम चेहरों ने प्रचार किया था। बावजूद इसके सपा जीत नहीं सकी। यही वजह है कि सपा प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव ने अपनी हार के लिए मुस्लिमों को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि हम अल्पसंख्यकों को समझा नहीं पाए।

बसपा का बढ़ा वोट प्रतिशत 
उपचुनाव नतीजे के आंकड़े भी बता रहे हैं कि बसपा का वोट विधानसभा चुनाव की तुलना में बढ़ा है तो 2014 के लोकसभा चुनाव में मिले वोट के बराबर है। 2014 में गुड्डू जमाली को 27 फीसदी वोट मिले थे जबकि 2022 उपचुनाव में बसपा को 29.27 फीसदी वोट मिले हैं। आजमगढ़ उपचुनाव में मुस्लिम  वोटर सपा और बसपा के बीच बंट गए। 

नतीजों पर मायावती क्यों हुई खुश?
बसपा प्रमुख मायावती ने ट्वीट कर कहा, 'यूपी के इस उपचुनाव परिणाम ने एकबार फिर से यह साबित किया है कि केवल बीएसपी में ही भाजपा को हराने की सैद्धान्तिक और जमीनी शक्ति है। यह बात पूरी तरह से खासकर समुदाय विशेष को समझाने का पार्टी का प्रयास लगातार जारी रहेगा ताकि प्रदेश में बहुप्रतीक्षित राजनीतिक परिवर्तन हो सके। मायावती साफ तौर पर दलित-मुस्लिम कॉम्बिनेशन पर ही आगे बढ़ सकती है, जो सपा के लिए चिंता का सबब बन सकता है।


 

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