Kaushambi News: जिलाधिकारी ने पराली प्रबन्धन के लिए जिलास्तरीय जागरूकता गोष्ठी का किया शुभारम्भ

Edited By Mamta Yadav,Updated: 01 Oct, 2023 04:31 AM

dm inaugurated district level awareness seminar for stubble management

उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी जिलाधिकारी सुजीत कुमार ने उदयन सभागार में कृषि विभाग द्वारा आयोजित पराली प्रबन्धन के लिए जनपद स्तरीय जागरूकता गोष्ठी का दीप प्रज्ज्वलित कर तथा कलेक्ट्रेट परिसर में आयोजित कृषि प्रदर्शनी का फीता काटकर शुभारम्भ एवं अवलोकन किया।

Kaushambi News: उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी जिलाधिकारी सुजीत कुमार ने उदयन सभागार में कृषि विभाग द्वारा आयोजित पराली प्रबन्धन के लिए जनपद स्तरीय जागरूकता गोष्ठी का दीप प्रज्ज्वलित कर तथा कलेक्ट्रेट परिसर में आयोजित कृषि प्रदर्शनी का फीता काटकर शुभारम्भ एवं अवलोकन किया। जिलाधिकारी ने गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए किसान भाइयों से कहा कि इस गोष्ठी का उद्देश्य आप लोगों को पराली जलाये जाने के दुष्परिणामों एवं पराली प्रबन्धन के उपायों आदि के बारे में जागरूक करना है। उन्होंने किसानों से कहा कि वे पराली न जलायें तथा पराली प्रबन्धन के उपायों को अपनाकर अपना योगदान दें।
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पराली जलाने पर लगेगा जुर्माना
कुमार ने कहा कि पराली जलाये जाने से प्रदूषण का स्तर बढ़ता है तथा जमीन की उर्वरता घटती है। शासन द्वारा पराली जलाये जाने की घटना को गम्भीरता से लिया जाता है तथा सम्बन्धित के खिलाफ कार्यवाही के लिए निर्देशित किया जाता है। उन्होंने कहा कि जिले में विगत वर्ष पराली जलाये जाने की घटनायें सामने आई थी। उन्होंने कहा कि पराली जलाये जाने पर दो एकड़ से कम भूमि पर 2500 रुपए और दो एकड़ से अधिक तथा पांच एकड से कम भूमि पर पराली जलाए जाने पर 5000 रुपए तथा पांच एकड़ से अधिक भूमि पर पराली जलाये जाने पर 15000 रुपए जुर्माना लगायें जाने का प्रावधान है।

पराली को खेतों में ही सड़ाकर मिट्टी की उर्वराशक्ति को बढ़ाकर उत्पादन बढ़ाएं: DM
कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अजय सिंह ने कृषकों से अनुरोध किया कि पराली न जलायें, पराली को खेतों में ही सड़ाकर मिट्टी में मिलायें और मिट्टी की उर्वराशक्ति को बढ़ाकर उत्पादन बढ़ायें। पराली को सड़ाने के लिए कृषि विभाग द्वारा पूसा बायो डिकम्पोजर की 21200 बोतलों की मांग भेजी गयी है, एक सप्ताह में इसकी आपूर्ति कर कृषकों को नि:शुल्क उपलब्ध कराया जायेगा। इस दवा की प्रत्येक बोतल 100 मिलीलीटर की होगी। वेस्ट डिकम्पोजर का घोल बनाने के लिए एक ड्रम में 200 लीटर पानी लेकर उसमें दो किलोग्राम गुड़ डालकर अच्छे से हिलाकर मिलायें तथा घुलने पर एक बोतल वेस्ट डिकम्पोजर की 100 मिलीलीटर पूरा डालकर लकड़ी या डण्डे से घोल को हिलाकर मिलायें। इसके बाद पालीथीन से अच्छी तरह ढककर सात दिन के लिए रख दें, इसके बाद इसमें झाग या मैट तैयार होने पर पराली को एकत्रित कर एक गड्ढे में डालकर कुछ पानी डालें व इसमें प्रतिदिन दवा के घोल का छिड़काव करें व गड्ढे में गोबर भी डाल सकते हैं। कुछ ही दिन में पराली सड़कर उपजाऊ खाद बन जायेंगी।

पूरक यन्त्रों को क्रय करने पर 50 प्रतिशत का अनुदान
गोष्ठी में किसानों को अवगत कराया गया कि जिन कम्बाइन हार्वेस्टर मशीनों द्वारा बिना फसल अवशेष प्रबन्धन वाले कृषि यन्त्रों जैसे-सुपर स्ट्रा मैनेजमेन्ट सिस्टम (एसएमएस) अथवा स्ट्रारेक या बेलर अथवा स्ट्रारीपर के धान की कटाई करते हुये पकड़ी जायेगी, उसे तत्काल सीज किये जाने की कार्यवाही की जायेंगी और उन मशीनों को तब तक नही छोड़ा जाएगा, जब तक पराली प्रबन्धन यन्त्र मशीन मालिक द्वारा न लगवा लिया जाय। उप कृषि निदेशक सतेन्द्र तिवारी द्वारा कृषकों एवं कम्बाइन हार्वेस्टर स्वामियों को अवगत कराया कि जनपद के कम्बाइन हार्वेस्टर मालिकों द्वारा हार्वेस्टर मशीनों में लगाये जाने वाले पूरक यन्त्रों को क्रय करने पर 50 प्रतिशत का अनुदान अनुमन्य है। 10-12 दिनों में अनुदान प्राप्त करने के लिए शासन द्वारा ऑनलाइन आवेदन करने के लिए पोटर्ल खोल जाने की सम्भावना है। किसान भाई पराली प्रबन्धन के यन्त्रों पर अनुदान के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकतें हैं।

मुख्य पशु चिकित्साधिकारी द्वारा कृषकों से कहा कि जिनके यहॉ पराली अधिक होती है, वे अपने नजदीकी गौ आश्रय केन्द्र अथवा गौशाला में पराली लें जाय, व इसके बदले एक ट्राली गोबर की खाद ला सकतें हैं। इस प्रकार से आप अपने खेतों की उर्वरा शक्ति को बढ़ा सकते हैं व जुर्माना आदि से भी स्वयं को बचा सकतें हैं।

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