Edited By Ramkesh,Updated: 21 Feb, 2025 03:22 PM
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जिले में अवैध अस्पतालों में लगातार हो रही प्रसव पीड़िता महिलाओं की मौत का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा हैं , बात अगर इस तरह के अवैध अस्पतालों पर स्वास्थ्य विभाग के कार्यवाई की करे तो श्रावस्ती का स्वास्थ्य विभाग अवैध अस्पतालों पर कार्यवाई करने में...
श्रावस्ती (दुर्गेश शुक्ला): जिले में अवैध अस्पतालों में लगातार हो रही प्रसव पीड़िता महिलाओं की मौत का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा हैं , बात अगर इस तरह के अवैध अस्पतालों पर स्वास्थ्य विभाग के कार्यवाई की करे तो श्रावस्ती का स्वास्थ्य विभाग अवैध अस्पतालों पर कार्यवाई करने में नाकाम साबित हो रहा हैं।
पूर्व में उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम बृजेश पाठक के द्वारा श्रावस्ती के सीएमओ AP सिंह को जिले में अवैध अस्पतालों पर रोक न लगापाने के लिए सस्पेंड कर दिया गया था, और दूसरे CMO अशोक कुमार सिंह को भेजा गया की जाओ अवैध अस्पतालों को जड़ से खत्म करो लेकिन जिले की हालात जस का तस बना हुआ हैं जिसका खामियाजा एक परसों पीड़िता महिला और उसके नवजात बच्चे को अपनी जान को देकर चुकाना पड़ा।
दरअसल, मामला श्रावस्ती जिले भिनगा कोतवाली क्षेत्र के रहने वाले राम नगर केरवनिया गांव के रहने वाले पीड़ित सुरेश कुमार चौहान के यहां हैं जिनके द्वारा आरोप लगाते हुए बताया गया की उनकी पत्नी रानी गर्भवती थी जिसकी डिलीवरी का लास्ट समय चल रहा था तभी उसे गांव की आशा अनीता के द्वारा 108 एम्बुलेंस से गिलौला के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया जहां के डॉक्टर के द्वारा बताया गया की प्रसव पीड़िता को परिसर में ही कुछ देर पैदल चलाए जाने की सलाह दी।
आरोप है कि आशा अनीता के द्वारा पीड़ित पति से कहा गया की सरकारी अस्पताल में इलाज सही से नहीं होगा अपनी पत्नी को प्राइवेट अस्पताल ले चलो। इसके बाद आशा के द्वारा प्रसव पीड़िता को दूसरे अस्पताल ले जाया गया। पीड़ित के मुताबिक मेडिकल स्टोर की आड़ में अवैध अस्पताल चल रहा था जहां पर एक अंट्रेंड महिला और दो पुरुषो के द्वारा प्रसव पीड़िता महिला की डिलेवरी कराया गया जिस दौरान जन्मे बच्चे की मौत हो गई। जिसके बाद बेड पर पड़ी महिला के परिजनों से इलाज के नाम पर 8 हजार रूपये लिया गया और महिला को बाहर निकाल दिया जिसकी घर ले जाते समय रास्ते में मौत हो गई।
पीड़ित पति ने गिलौला थाने की पुलिस को प्रार्थना पत्र देकर न्याय की गुहार लगाई हैं। अब देखने वाली बात यह होंगी की प्रसव पीड़िता महिला और उसके नवजात बच्चे को जो अब इस दुनिया में नहीं हैं उनको गिलौला की पुलिस और जिले की स्वास्थ्य विभाग की टीम न्याय दिला पाएगी या फिर डिप्टी सीएम बृजेश पाठक को ही पीड़ित परिवार को न्याय देना होगा।