Edited By Pooja Gill,Updated: 06 Feb, 2023 04:19 PM
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में दोषी कैदियों की समय से पहले रिहाई के मामले में भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) ने सुनवाई की है। इस मामले में CJI की अध्यक्षता वाली बेंच ने एक आदेश जारी किया है। इस आदेश में कहा गया है कि स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी...
लखनऊः उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में दोषी कैदियों की समय से पहले रिहाई के मामले में भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) ने सुनवाई की है। इस मामले में CJI की अध्यक्षता वाली बेंच ने एक आदेश जारी किया है। इस आदेश में कहा गया है कि स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी (State Legal Service Authority) हर एक जिला जेल के सुपरिटेंडेंट से हर महीने जानकारी इकट्ठी करेगी कि जेल में बंद ऐसे कौन दोषी कैदी है, जिनकी समय से पूर्व रिहाई की जा सकती है।
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बता दें कि इस मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी इस बात का भी पता लगाए कि कौन से मामले में यह छूट राज्य की ओर से दी जा रही है तथा नीति के तहत पारदर्शी और प्रभावी तरीके से प्री-मैच्योर रिलीज (premature release) का लाभ दिया जा रहा है। साथ ही अदालत ने कहा कि 1 अप्रैल, 1 अगस्त और 1 दिसंबर को इस पर स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी निगरानी के लिए बैठक करेगी। यह बैठक कोर्ट के आदेश का सही से पालन करने के लिए राज्य के गृह विभाग के इंचार्ज के साथ DG जेल में करेंगे। राज्य सरकार कानूनी नियमों के तहत समय से पूर्व रिहाई पर अदालत के निर्देशों के तहत कार्य करेगा और मामलों का तीन महीने में निपटारा किया जाएगा।
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कोर्ट ने कहा दोषियों की ऑनलाइन सूचना की जाए तैयार
कोर्ट ने कहा कि ऐसे दोषियों की ऑनलाइन सूचना तैयार की जाएगी, जिससे इसकी जानकारी आसानी से मिल सकें कि कौन से दोषी कैदी है जो समय से पूर्व रिहाई के योग्य हैं। बता दें कि इसके अलावा बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र में उम्रकैद की सजा में बंद दोषियों की समय से पूर्व रिहाई के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों से पूछा कि इसके लिए क्या कदम उठाए गए हैं। कोर्ट ने कहा कि सरकार इस बात पर जवाब दें कि किस तरह से राज्य दोषी कैदियों के समय से पूर्व रिहाई के लिए किस तरह से प्रक्रिया अपनाई जाती है। सुप्रीम कोर्ट 2 हफ्ते बाद मामले की सुनवाई करेगा।