Edited By Imran,Updated: 26 Dec, 2024 06:28 PM
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बृहस्पतिवार को कहा कि सिख परंपरा काफी समृद्ध है और इन्होंने विपरीत परिस्थितियों में लड़ते हुए न केवल अपनी परंपरा को सुरक्षित-संरक्षित रखा, बल्कि देश और धर्म के लिए भी बलिदान देकर नई प्रेरणा प्रदान की।
लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बृहस्पतिवार को कहा कि सिख परंपरा काफी समृद्ध है और इन्होंने विपरीत परिस्थितियों में लड़ते हुए न केवल अपनी परंपरा को सुरक्षित-संरक्षित रखा, बल्कि देश और धर्म के लिए भी बलिदान देकर नई प्रेरणा प्रदान की। मुख्यमंत्री आवास पर बृहस्पतिवार को वीर बाल दिवस (साहिबजादा दिवस) के आयोजन को संबोधित करते हुए योगी ने कहा कि सुनते हैं कि काबुल में सिखों के दो-चार परिवार ही बचे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘जब बांग्लादेश की घटना और पाकिस्तान के अंदर अत्याचार के बारे में सुनते हैं, तब सिख गुरुओं के त्याग-बलिदान का स्मरण होता है। सिख गुरुओं के आदर्श हमें आगे बढ़ने की ऊर्जा देंगे। उनकी प्रेरणा से आगे बढ़ेंगे, तब काबुल-बांग्लादेश होने से बच पाएंगे।'' इस दौरान ऐतिहासिक समागम और 11,000 सहज पाठ का भी शुभारंभ हुआ। मुख्यमंत्री ने गुरु तेग बहादुर के श्लोकों पर आधारित पुस्तक का विमोचन भी किया। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि देश के इस जुझारू और समृद्ध समुदाय ने सामर्थ्य, पुरुषार्थ और परिश्रम की मिसाल प्रस्तुत की है। सिखों ने बड़ी संख्या में फौज में जाकर भारत की सुरक्षा के लिए खुद को समर्पित किया है। लेकिन वे कौन दुश्मन हैं, जो उनके परिश्रम और पुरुषार्थ को कुंद करने की साजिश कर रहे हैं। युवा पीढ़ी को मादक पदार्थों की चपेट में लाने का कुत्सित प्रयास कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे लोगों को पहचानने और उनसे सावधान रहने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सिख-हिंदू एक दूसरे के पूरक हैं, जो इन्हें लड़ाते हैं, उनसे बचना होगा।
उन्होंने कहा कि आज के दिन गुरु गोबिंद सिंह के दो साहिबजादे-बाबा जोरावर सिंह और फतेह सिंह, वजीर खां के हाथों दीवार में चुने गए थे। उन्होंने कहा कि चमकौर के युद्ध में दो बड़े साहिबजादे-बाबा अजीत सिंह और जुझार सिंह शहादत को प्राप्त हुए। उन्होंने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह के चारों साहिबजादों ने शहादत देकर देश और धर्म की रक्षा की पक्की नींव खड़ी की जिस पर ना केवल आज भी सिख पंथ, बल्कि पूरा देश गौरव की अनुभूति करता है। इससे पूर्व मुख्यमंत्री ने आलमबाग गुरुद्वारे से लाई गई श्री गुरु ग्रंथ साहिब के पावन स्वरूप को समागम स्थल पर स्थापित किया और कार्यक्रम के पश्चात पंगत में बैठकर लंगर का आनंद लिया।