UP में हार पर BJP की मंडल रिपोर्ट तैयार! सांसद-विधायक ही निकले विलेन, जानें क्या रही हार की बड़ी वजह

Edited By Harman Kaur,Updated: 17 Jun, 2024 12:42 PM

bjp s report ready on defeat in up

उत्तर प्रदेश में काफी मंथन के बाद भारतीय जनता पार्टी की उत्तर प्रदेश में करारी हार की वजह सामने आ गई है.....

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में काफी मंथन के बाद भारतीय जनता पार्टी की उत्तर प्रदेश में करारी हार की वजह सामने आ गई है। सूत्रों के हवाले से खबर सामने आ रही है कि यूपी में हार पर भाजपा की प्रारंभिक रिपोर्ट तैयार हो गई है। मंडल लेवल की रिपोर्ट तैयार की गई है और इसके बाद दो रिपोर्ट और आएंगी। जिसके बाद तीनों रिपोर्ट का मिलान किया जाएगा। सूत्रों के हवाले से पता चला है कि एक रिपोर्ट 80 लोगों की टीम तैयार कर रही है और दूसरी रिपोर्ट जो हारे हुए प्रत्याशियों की तरफ से यूपी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष को सौंपी जा रही है। इसके बाद रिपोर्ट को केंद्रीय आलाकमान को भेजा जाएगा।

सूत्रों के हवाले से पहली रिपोर्ट के मुताबिक, प्रत्याशी पीएम मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम पर खुद को जीता हुआ मानकर बहुत ज्यादा अतिउत्साही हो गए थे। 2 बार से ज्यादा जीते हुए सांसदों से जनता में नाराजगी थी। वहीं, कुछ सांसदों का व्यवहार भी जनता के प्रति ठीक नहीं था। रिपोर्ट के अनुसार, राज्य सरकार ने करीब 3 दर्जन सांसदों के टिकट काटने या बदलने के लिए कहा था, लेकिन इस बात पर ध्यान नहीं दिया गया। अगर टिकट बदलते तो परिणाम बेहतर होते।

वहीं, विपक्ष द्वारा रैलियों में कही गई संविधान बदलने और आरक्षण खत्म करने की बातें भी कहीं न कहीं भाजपा की हार की वजह बनकर उभरी हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, भाजपा ने विपक्ष के संविधान बदलने और आरक्षण खत्म करने की बात का सही ढंग से जवाब नहीं दे पाई। पार्टी पदाधिकारियों का सांसदों के साथ तालमेल अच्छा नहीं रहा। यही वजह थी कि मदतदाताओं की वोट वाली पर्ची इस बार पूरे प्रदेश के बहुत कम घरों तक पहुंची। कुछ जिलों में विधायकों की अपने ही सांसद प्रत्याशियों से नहीं बनी और फिर चुनाव प्रचार के दौरान विधायकों ने ठीक ढंग से सपोर्ट नहीं किया, नतीजा हार हुई।

बीजेपी के लाभार्थी वर्ग को 8500 रुपए महीने की गारंटी (कांग्रेस की तरफ से) ने आकर्षित किया, यहां भी लाभार्थियों से सीधा संवाद न होना हार की वजह बना है। कई जिलों मे सांसद प्रत्याशी की अलोकप्रियता इतनी हावी हो गई की बीजेपी कार्यकर्त्ता अपने घरों से नहीं निकला। बताया जा रहा है कि कार्यकत्तओ की अनदेखी भी बड़ा मुद्दा रही है। निराश और उदासीन कार्यकर्त्ता पार्टी के लिए वोट तो किया, लेकिन दूसरों को घर से नहीं निकाला वोट करने के लिए। हर सीट पर उसके अपने कुछ फैक्टर रहे हैं। जैसे कि पेपर लीक और अग्निवीर जैसी योजनाओं पर विपक्ष लोगों को भ्रमित करने मे कामयाब रहा, बीजेपी ठीक ढंग से काउंटर नहीं कर पाई। भाजपा की सबसे कमजोर कड़ी रही दलित वर्ग का वोट न पाना।

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