गोंडा ट्रेन हादसे की जांच में हुआ बड़ा खुलासा, सेक्शन इंजीनियर को बनाया जिम्मेदार

Edited By Pooja Gill,Updated: 21 Jul, 2024 12:39 PM

big revelation made in the investigation

Gonda Train Accident: उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में 18 जुलाई को चंडीगढ़ से डिब्रूगढ़ जा रही एक ट्रेन के 12 डिब्बे मोतीगंज तथा झिलाही रेलवे स्टेशनों के बीच पटरी से उतर गये। इस घटना में 4 लोगों की मौत हो गई तथा अन्य कई घायल हो गए। इस हादसे की जांच...

Gonda Train Accident: उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में 18 जुलाई को चंडीगढ़ से डिब्रूगढ़ जा रही एक ट्रेन के 12 डिब्बे मोतीगंज तथा झिलाही रेलवे स्टेशनों के बीच पटरी से उतर गये। इस घटना में 4 लोगों की मौत हो गई तथा अन्य कई घायल हो गए। इस हादसे की जांच में हादसे की वजह का खुलासा हो गया है। हादसे की जांच रिपोर्ट में रेलवे के इंजीनियरिंग सेक्शन की लापरवाही के चलते डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस ट्रेन के बेपटरी होने की बात कही गई है। इसमें कहा गया है कि जिस जगह पर ट्रेन बेपटरी हुई, वहां ट्रैक में चार दिन से बकलिंग (गर्मी में पटरी में फैलाव होना) हो रही थी। रेल पटरी की फास्टनिंग सही नहीं थी, जिसके कारण गर्मी में पटरी ढीली हो गई थी। बताया जा रहा है कि एक्सप्रेस की स्पीड 30 KM/घण्टे के बजाए 80km/घण्टे थी, जिस वजह से डिब्बे पलट गए।

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जांच में कई महत्वपूर्ण चीजें आई सामने
घटना की जांच कर रहे वरिष्ठ रेलवे अधिकारियों की पांच सदस्यीय टीम ने दुर्घटना के लिए ठीक से नहीं कसी हुई पटरी को जिम्मेदार ठहराया। इस जांच रिपोर्ट में बताया गया कि जांच टीम की रिपोर्ट में कहा गया है कि लखनऊ डिवीजन, जिसके अंतर्गत यह सेक्शन आता है, के वरिष्ठ अनुभाग अभियंता (एसएसई) ने दोपहर 1:30 बजे आईएमआर दोष (तत्काल निष्कासन दोष) का पता लगाया और चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस ने 2:28 बजे मोतीगंज स्टेशन को पार किया। इसमें कहा गया कि दोपहर 2:30 बजे मोतीगंज के स्टेशन मास्टर को खराब स्थान से ट्रेनों को पार करने के लिए गति नियंत्रण का ज्ञापन दिया गया था। उसके मुताबिक, खराब स्थान से 30 किमी प्रति घंटे की गति से ही ट्रेन को पार कराया जाना था।

इन कर्मचारियों के बयान हुए दर्ज 
रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रेन दोपहर 2:31 बजे बेपटरी हुई, जब इंजन खराब जगह से गुजरा। वहीं, शनिवार को 30 से अधिक रेलकर्मी रेलवे ट्रैक के पास मुस्तैद रहे। वह गिट्टी व मिट्टी डालकर नमी के स्थानों को ढक रहे थे। जलभराव छिपाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन इसके बावजूद वहां पर नमी दिखाई दी। माना जा रहा है कि जलभराव के चलते ही ट्रैक कमजोर हुआ था और बड़ी दुर्घटना हो गई। इस मामले में गोंडा, डिब्रूगढ़ व गुवाहाटी (मालीगांव) के 41 रेल अधिकारी व कर्मचारी रविवार को डीआरएम दफ्तर लखनऊ में तलब किए गए हैं। नॉर्थ ईस्टर्न रेलवे के 6 अफसरों की टीम ने चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस ट्रेन के लोको पायलट, मैनेजर, झिलाही और मोतीगंज के स्टेशन मास्टरों समेत कई कर्मचारियों के बयान और घटनास्थल का टेक्निकल मुआयना करने के बाद अपनी रिपोर्ट में झिलाही सेक्शन के इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट इस ट्रेन हादसे का जिम्मेदार बताया है। 

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