24 का चक्रव्यूहः आजमगढ़ सांसद निरहुआ को उपचुनाव में मिली जीत बरकरार रखने की चुनौती, धर्मेंद्र यादव हार का बदला लेने को आतुर

Edited By Ajay kumar,Updated: 26 Apr, 2024 06:40 PM

azamgarh mp nirahua faces challenge to maintain victory in by election

आजमगढ़ संसदीय सीट पर भाजपा और सपा में कांटे की टक्कर होने की उम्मीद है। बसपा ने पहले इस सीट पर भीम राजभर को मैदान में उतारा था बाद में उनका टिकट काट दिया और दूसरी सीट से उम्मीदवार बना दिया।

लखनऊः आजमगढ़ संसदीय सीट पर भाजपा और सपा में कांटे की टक्कर होने की उम्मीद है। बसपा ने पहले इस सीट पर भीम राजभर को मैदान में उतारा था बाद में उनका टिकट काट दिया और दूसरी सीट से उम्मीदवार बना दिया। अब मतदाताओं को बसपा के प्रत्याशी का इंतजार है। सपा ने यहां से पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव को मैदान में उतारा है तो भाजपा ने वर्तमान सांसद दिनेश लाल यादव निरहुआ को। उप चुनाव में जीते दिनेश लाल यादव जहां जीत बरकरार रखने के लिए छटपटा रहे हैं तो धर्मेंद्र यादव हार का बदला लेने को आतुर दिख रहे हैं।

Dinesh Lal Yadav Nirhua won by-election from Azamgarh Lok Sabha seat - जिस  निरहुआ के लिए अखिलेश यादव ने की थी पेंशन की व्यवस्था, उसी ने सपा का गढ़  उजाड़ दिया |

आजमगढ़ की कुल 5 विधानसभा सीट पर है सपा विधायक
आजमगढ़ संसदीय सीट के तहत 5 विधानसभा क्षेत्र हैं। सभी सीटों पर समाजवादी पार्टी के विधायक हैं। पड़ोस की लालगंज संसदीय सीट की पांचों विधानसभा सीटों पर भी भाजपा का कोई विधायक नहीं है। 2019 के संसदीय चुनाव में भाजपा ने समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव के खिलाफ दिनेश लाल यादव को मैदान में उतारा था पर अखिलेश ने भोजपुरी सिनेमा के स्टार दिनेश लाल यादव 2,59,874 मतों के अंतर से पटखनी दी। 2022 में विधायक चुने जाने के बाद अखिलेश ने यहां से त्यागपत्र दिया। सीट पर उपचुनाव हुआ तो यहां से दिनेश लाल यादव निरहुआ सपा के उम्मीदवार धर्मेंद्र यादव हरा दिया था। तब उनकी हार में बसपा के गुड्डू जमाली की अहम भूमिका थी। गुड्डू अब सपा के साथ हैं तो धर्मेंद्र को जीत की उम्मीद है। बसपा ने भी अपना उम्मीदवार बदल दिया है। 

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बसपा प्रमुख मायावती के दांव पर लगी निगाहें 
अब सपा,भाजपा हर किसी की निगाह बसपा प्रमुख मायावती के अगले कदम पर है। वह किसे उम्मीदवार बनातीं हैं। उम्मीद है कि पार्टी किसी मुस्लिम चेहरे पर दांव लगाएगी।

किसी की जीत आसान क्यों नहीं?
आजमगढ़ लोकसभा सीट से निरहुआ या धर्मेंद्र यादव किसी को भी सीधे तौर पर आगे दिखाना बहुत जल्दबाजी होगी। इसकी सबसे बड़ी वजह है कि निरहुआ भी यादव हैं और वो अपने संसदीय क्षेत्र में बीते कुछ समय से काफी एक्टिव रहे हैं। भाजपा लगातार यादव-मुस्लिम वोट को अपनी ओर करने की कोशिश कर रही है। इसके अलावा भाजपा के साथ इस बार ओम प्रकाश राजभर और दारा सिंह चौहान भी हैं। वहीं, अगर बसपा यहां फिर से किसी अच्छे प्रत्याशी को टिकच देती है को यहां का मुकाबला एक बार फिर से दिलचस्प हो सकता है।

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