Ayodhya News: श्रीराम के पूर्वज महाराजा रघु ने बनाया था शिव मंदिर… 38 साल बाद अयोध्या में हुई पूजा, रामलला भी रहे मौजूद

Edited By Mamta Yadav,Updated: 09 Mar, 2024 12:55 AM

ayodhya news maharaja raja raghu ancestor of shri ram had built shiva temple

श्रीराम की जन्मभूमि पर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के बाद शिव भक्तों के लिए भी खुशखबरी आ गई है। मंदिर मस्जिद विवाद की काली छाया के बाद अब लगभग 38 वर्ष बाद शिव भक्तों को यह खुशखबरी मिली है। एक बार फिर श्री राम जन्मभूमि परिसर के कुबेर टीले पर...

Ayodhya News, (संजीव आजाद): श्रीराम की जन्मभूमि पर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के बाद शिव भक्तों के लिए भी खुशखबरी आ गई है। मंदिर मस्जिद विवाद की काली छाया के बाद अब लगभग 38 वर्ष बाद शिव भक्तों को यह खुशखबरी मिली है। एक बार फिर श्री राम जन्मभूमि परिसर के कुबेर टीले पर स्थित शिव मंदिर में इस शिवरात्रि को धूमधाम से भोले का अभिषेक भी हुआ और पूजन के समय खुद रामलला भी मौजूद रहे। इसके पहले मंदिर मस्जिद विवाद के बीच सुरक्षा कारणों से कुबेर टीला स्थित शिव मंदिर में पूजा न होने के कारण यह स्थान उजाड़ और क्षतिग्रस्त हो गया था। श्री राम जन्मभूमि निर्माण के साथ ही इसका भी जीर्णोधार हुआ है और यहां पूजन के साथ ही मंदिर निर्माण का कार्य शुरू हुआ था।
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बता दें कि श्रीराम की जन्मभूमि से जब विवाद की काली छाया हटी तो इसी परिसर में स्थित कुबेर टीले पर शिव मंदिर के अच्छे दिन भी आ गए। पहले इस स्थान को पुरातात्विक धरोहर माना जाता था लेकिन 1992 में परिसर में हुए विध्वंस के बाद इसे भी अधिग्रहण के दायरे में शामिल कर लिया गया था। यह स्थान अत्यंत प्राचीन है और इसकी स्थापना श्रीराम के पूर्वज महाराजा रघु के समय में हुई बताई जाती है। पहले महाशिवरात्रि के समय यहां विशाल मेले का आयोजन भी होता था और रात्रि में शिव बारात भी निकलती थी।
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सुप्रीम कोर्ट से श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के पक्ष में फैसला आने के बाद जब श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का गठन हुआ तब उसके बाद अधिग्रहित जमीन के साथ कुबेर टीले की भूमि भी ट्रस्ट को मिल गई और श्री राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के पहले बाकायदा इस स्थान पर पूजन-अर्चन भी किया गया था। श्रीराम मंदिर निर्माण के साथ इस स्थान का भी अब जीर्णोधार हो गया है। इसीलिए इस बार वैदिक मंत्रों के साथ बाकायदा पूजन के साथ रुद्राभिषेक और दुग्ध अभिषेक हआ। इस दौरान रामलला की चल यानि उत्सव मूर्ति भी वहां लाई गई। इस तरह महाशिवरात्रि के पर्व पर खुद रामलला भी भोले शंकर के पूजन में शामिल हुए। यही नहीं रामलला के भक्त भी भोले का दर्शन करने पहुंचे।
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मंदिर मस्जिद विवाद के समय श्रीराम जन्मभूमि परिसर में ना तो शंकर जी की पूजा होती थी और ना ही कुबेर टीले को सहेजने का ही किसी को ध्यान था। समय का पहिया घूमा, रामलला अपनी जन्मभूमि पर प्राण प्रतिष्ठित हुए तो उनके पूर्वज महाराज रघु द्वारा स्थापित शंकर जी के मंदिर का भी कायाकल्प हो गया। इसीलिए हम कह रहे हैं कि इस बार की महाशिवरात्रि शिव भक्तों के लिए बेहद खास रही।
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