अयोध्या मामले में पक्षकारों की अलग-अलग प्रतिक्रिया, न्यायालय सबूतों के आधार पर करें फैसला

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 11 Jul, 2019 02:43 PM

ayodhya case different reactions of parties

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका जिसमें यह कहा गया था कि कोर्ट दिन प्रतिदिन सुनवाई करें और जल्द से जल्द निर्णय दे। शुरुआत में मुख्य पक्षकार रहे गोपाल सिंह विशारद के पुत्र ने याचिका दायर की थी। कोर्ट ने इस मामले को संज्ञान में लिया और उनकी...

अयोध्याः सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका जिसमें यह कहा गया था कि कोर्ट दिन प्रतिदिन सुनवाई करें और जल्द से जल्द निर्णय दे। शुरुआत में मुख्य पक्षकार रहे गोपाल सिंह विशारद के पुत्र ने याचिका दायर की थी। कोर्ट ने इस मामले को संज्ञान में लिया और उनकी याचिका को स्वीकार किया तथा कोर्ट ने यह भी कहा कि मध्यस्था पैनल काम कर रहा है या नहीं 18 जुलाई तक इसकी रिपोर्ट दिया जाए।

साथ ही माननीय सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर मध्यस्था ढंग से कार्य नहीं कर रही है तो दिन प्रतिदिन सुनवाई पर भी विचार किया जा सकता है। इसको देखते हुए अयोध्या के पक्षकारों ने अपनी अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं। जहां रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कोर्ट के इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि कोर्ट का यह निर्णय स्वागत योग्य है। मध्यस्था कोई काम नहीं कर रहा है। मध्यस्था पैनल का विवरण दें क्या रहा है? साथ ही मध्यस्था का अगर कोई कार्य नहीं है तो फिर दिन पर दिन सुनवाई कर जल्द से जल्द राम भक्तों की भावना का कद्र करते हुए निर्णय लेना चाहिए।

वहीं इस पूरे मामले के मुस्लिम पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा कि कोर्ट ने जो किया है वह ठीक कह रहा है। मध्यस्था पैनल के लिए अपना काम कर रहे हैं हिंदू पक्षकार भी बुलाए गए थे। मुस्लिम भी बुलाए गए। राम जन्म भूमि मामला हिंदुस्तान का है सबूतों के आधार पर फैसला होना है, फैसला मध्यस्था फाइनल करें या फिर सुप्रीम कोर्ट करें दोनों का ही निर्णय मान्य होगा।

वहीं हिंदू पक्षकार धर्म दास ने कहा कि राम जन्म भूमि का जो मुकदमा चल रहा है वह खत्म होना चाहिए। सुलह के द्वारा अगर यह मामला खत्म होता है तो बहुत बड़ी बात है हिंदू मुसलमान सभी चाहता है कि राम जन्मभूमि बने राम सबके पूर्वज थे समझौता रद्द करना भी गलत होगा कोर्ट और समझौता पैनल दोनों को धन्यवाद है यह सब का राष्ट्र है। यह व्यक्ति विशेष का राष्ट्र नहीं है शांति का प्रस्ताव रखना अत्यंत जरूरी था महाभारत में जानते हुए भी कृष्ण शांति का प्रस्ताव रखा था जो लोग समझौते में कुछ नहीं है वह लोग दरखास्त दे रहे हैं यह सारा कार्य विश्व हिंदू परिषद के चंपत राय और त्रिलोकी नाथ पांडे के इशारे पर हो रहा है।

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