Edited By Anil Kapoor,Updated: 22 Dec, 2022 03:20 PM

गरीबी में जीवन गुजारने वाले बच्चों में भी प्रतिभा की कोई कमी नहीं होती है। बस उनको अच्छे गुरु और सही मार्गदर्शन की जरुरत होती है। अगर उनको यह मिल जाए तो वो दुनिया में देश का नाम रोशन कर सकते....
कानपुर(अंबरीश त्रिपाठी): गरीबी में जीवन गुजारने वाले बच्चों में भी प्रतिभा की कोई कमी नहीं होती है। बस उनको अच्छे गुरु और सही मार्गदर्शन की जरुरत होती है। अगर उनको यह मिल जाए तो वो दुनिया में देश का नाम रोशन कर सकते है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है उन्नाव की बेटी अर्चना देवी ने। अर्चना देवी का चयन अंडर-19 विश्व कप के लिए भारतीय क्रिकेट टीम में हुआ है।
गरीबी के दौर से गुजरा अर्चना देवी का बचपन
जानकारी मुताबिक मूल रूप से उन्नाव की बांगरमऊ तहसील के रतई पुरवा गांव की रहने वाली अर्चना देवी का बचपन गरीबी के दौर से गुजरा। उनके पिता का बचपन में ही निधन हो गया था। साल 2017 में उनके भाई की भी सांप काटने से मौत हो गई थी। बचपन में उनकी पढ़ाई कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में हुई। यहां की शिक्षिका पूनम गुप्ता को अर्चना के अंदर छुपी हुई प्रतिभा की पहचान हुई। अर्चना के पास क्रिकेट बैट लेने के भी पैसे नहीं थे। पूनम गुप्ता ने ना सिर्फ उसे क्रिकेट बैट दिलाई बल्कि उसको लेकर कानपुर आई। यहां कानपुर क्रिकेट संघ के चेयरमैन संजय कपूर और कोच कपिल देव पांडे ने प्रैक्टिस में उसकी बहुत मदद की।
अंडर-19 में अर्चना के चयन की खबर से गांव में जश्न का माहौल
अर्चना इन सब की मदद के बारे में बताते हुए कहती है कि अगर यह लोग ना होते तो मेरा क्रिकेट खेलने का सपना कभी पूरा नहीं होता। उसने आगे कहा कि मेरी मां ने हमेशा मेरा साथ दिया। घर का खर्च खेती से चलता है। गरीबी का आलम यह था कि खेलना तो दूर पढ़ने के लिए भी सोचना पड़ता था। लेकिन अब अर्चना देवी का चयन अंडर-19 में होने की खबर से उनके गांव में जश्न जैसा माहौल दिखाई दिया। वो जब गांव पहुंची तब उनके परिजनों ने फूलमाला पहनाकर उसकी आरती उतारी। अर्चना के संगी साथी क्लासमेट सब बस अर्चना को गले लगाकर उसको बधाई देना चाहते थे। अर्चना ने भी उनको निराश नहीं किया वो सबसे बड़े प्यार से मिली और सबके साथ सेल्फी भी ली।