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वाह रे सिस्टम... चित्रकूट में मुर्दे ने दिया बच्चे को जन्म! कहानी सुनकर चकरा जाएगा आपका भी दिमाग

Edited By Mamta Yadav,Updated: 01 Feb, 2025 03:05 PM

a dead person gave birth to a child in chitrakoot

सरकारी कामों में हेरा-फेरी और गड़बड़ी के मामले आए दिन सामने आते रहते हैं। ऐसा ही एक मामला चित्रकूट में आया है। यहां जिंदा व्यक्ति को मृत बताकर उसकी जमीन किसी और के नाम ट्रांसफर कर दी गई।

Chitrakoot News, (वीरेंद्र शुक्ला): उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जनपद में एक ऐसा मामला सामने आया जिसे सुनकर आप हैरान हो जाएंगे कि क्या मुर्दे भी बच्चा पैदा कर सकते है। जी हां आज हम आपको ऐसी खबर बताने जा रहे है जिसको सुनकर सब सोच में पड़ जाएंगे। क्या कभी आपने सुना है कि मुर्दे भी बच्चे पैदा करते हैं अगर नहीं सुना है तो देख लीजिए चित्रकूट में मुर्दे भी बच्चे पैदा कर रहे है। ऐसा हम नहीं कह रहे है बल्कि चित्रकूट के अधिकारी ही मुर्दों के बच्चे पैदा करने का सर्टिफिकेट देकर उसकी बेशकीमती जमीन दूसरों के नाम करा रहे हैं। अब मुर्दा इंसान अपने आपको जिंदा होने की गुहार लगाने के लिए अधिकारियों के चक्कर काट रहा है और कह रहा है साहब मैं जिंदा हूं।
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मृत्यु का फर्जी प्रमाण पत्र बनवाकर जमीन की वरासत
बता दें कि चित्रकूट जनपद के तहसील कर्वी के सीतापुर निवासी कल्लू उर्फ कन्नू कुशवाहा ने बताया कि वह रोजगार के लिए मध्य प्रदेश के जनपद सतना के कोठी में रहता है। गांव आने पर तहसील से खतौनी की नकल निकलवाया तो पता चला कि मेरी बेशकीमती जमीन को लेखपाल सहित अन्य अधिकारियों ने जमीन की बिना जांच पड़ताल किए ही मेरी जमीन को गैर बिरादरी युवक के नाम वरासत कर दिया है। पीड़ित ने बताया कि गांव निवासी कुट्टू रैकवार ने 1959 में मेरे मृत्यु का फर्जी प्रमाण पत्र बनवाकर करीब एक बीघा जमीन अपने नाम वरासत करा लिया है। जिसमें एक महिला व पुरुष ने फर्जी गवाही भी दी है। उसने आरोप लगाया कि हल्का लेखपाल ने बिना मौके पर गए ही झूठी रिपोर्ट लगाया है। जिसके बाद वरासत की गई है।
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पिता की मौत के 7 साल बाद बेटा कैसे हो गया ?
अधिवक्ता राजेश कुमार पांडेय ने बताया कि कुट्टू रैकवार ने न्यायालय में जो कागजात जमा किया है। उसमें उसके पिता की मृत्यु 1959 में हो गई है। जबकि कुट्टू रैकवार के आधार कार्ड में उसकी जन्मतिथि 1966 दर्ज है। अब सवाल यह है कि पिता की मौत के सात साल बाद बेटा कैसे हो गया। इसका मतलब तहसील के अधिकारियों ने फर्जी तरीके से वरासत की है। लेखपाल आलोक मिश्रा ने बताया कि नायब तहसीलदार न्यायालय से आदेश आया था, उसी पर मैंने रिपोर्ट लगाई है। बिना मौके पर गए रिपोर्ट लगाने व जन्मतिथि के संबंध में कोई जवाब नहीं दिया। नायब तहसीलदार मंगल यादव ने बताया कि लेखपाल की रिपोर्ट के आधार पर ही वरासत हुई होगी। पीड़ित ने प्रार्थना पत्र दिया है तो इसकी चांच की जाएगी। साथ ही गलत मिलने पर फर्जी वरासत कराने वाले और संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
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वहीं जिलाधिकारी शिवशरण अप्पा जी एन ने तत्काल मामले को संज्ञान लेते हुए लेखपाल को निलंबित कर दिया और इस प्रकरण में जांच में और भी जो अधिकारी दोषी पाएं जाएंगे उनके खिलाफ भी कड़ी कार्यवाही की जाएगी।

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