Edited By Purnima Singh,Updated: 16 Jan, 2025 01:18 PM
संगम तट पर लगे देश के सबसे बड़े आध्यात्मिक मेले महाकुंभ में कई रंग देखने को मिल रहे हैं। श्रद्धालु बाबाओं के अलग-अलग रूपों को देखकर आकर्षित हो रहे हैं और उनसे आशीर्वाद ले रहे हैं। इसी कड़ी में जूना अखाड़े का एक नन्हा बालक सनातन धर्म को समझना और...
प्रयागराज (सैय्यद आकिब रज़ा) : संगम तट पर लगे देश के सबसे बड़े आध्यात्मिक मेले महाकुंभ में कई रंग देखने को मिल रहे हैं। श्रद्धालु बाबाओं के अलग-अलग रूपों को देखकर आकर्षित हो रहे हैं और उनसे आशीर्वाद ले रहे हैं। इसी कड़ी में जूना अखाड़े का एक नन्हा बालक सनातन धर्म को समझना और पूर्ण रूप से सनातनी बनने के लिए पिछले 6 सालों से महंत और नागा संन्यासियों के साथ रह रहा है।
खास बात यह है कि बालक के माता-पिता ने 5 वर्ष की आयु में ही उसको जूना अखाड़े के महंत को सौंप दिया था। इसके बाद 5 साल की उम्र से 11 साल की उम्र तक बालक अपने गुरु के सानिध्य में बड़ा हो रहा है। अखाड़े के साधु संतों ने बालक का नाम मनमोहन पुरी रखा हुआ है। मनमोहन पुरी के गुरु बताते हैं कि हरिद्वार के गुरुकुल में मनमोहन पुरी की शिक्षा चल रही है। साथ ही इस बार के महाकुंभ में उसको अखाड़े के साधु संतों के साथ स्नान भी कराया गया है।
उसकी दिनचर्या पूरी तरीके से सन्यासी की तरह हो गई है और अब नियम के अनुसार 12 वर्ष से पहले कोई भी पुरुष नागा सन्यासी नहीं बन सकता इसकी वजह से अगले साल के बाद बालक को नागा संन्यासी बनाया जाएगा। जूना खेड़ा का यह नन्हा बालक सन्यासी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है । खास बातचीत में बालक मनमोहन पुरी कहते हैं कि उनका अध्यात्म और सनातन धर्म को समझना ही पहला मकसद है। माता-पिता की याद बिल्कुल नहीं आती है और उसे अखाड़े के साधु संतों के साथ रहना पसंद होता है। हालांकि गौर करने की बात यह है कि जिस उम्र में बच्चे मोबाइल और खेलने में दिलचस्पी रखते हैं उसे उम्र में बच्चे ने बड़ा फैसला लिया है। बालक मनमोहन पुरी महाराज यह भी कहते हैं कि जब उनके माता-पिता उनसे मिलने आते हैं तो वह बेटे की तरह नहीं बल्कि महाराज की तरह उनसे मिलते हैं।