Edited By ,Updated: 28 Oct, 2015 03:14 PM
उत्तर प्रदेश के बुलन्दशहर में एक अस्पताल में जन्मी जुड़वा बच्चियों को वहीं की एक महिला चिकित्सक ने अपनाकर एक मिसाल...
बुलन्दशहर: उत्तर प्रदेश के बुलन्दशहर में एक अस्पताल में जन्मी जुड़वा बच्चियों को वहीं की एक महिला चिकित्सक ने अपनाकर एक मिसाल पैदा की है। दोनों को जन्म के बाद ही उनकी मां लावारिस हालत में अस्पताल में ही छोड़कर चली गई थी। मासूमों का इलाज कर रही अविवाहित महिला चिकित्सक ने नन्ही बच्चियों को कानूनी प्रक्रिया के तहत अपनाकर ‘‘ बेटी बचाओ ‘‘ मुहिम की एक अदभुत मिसाल पेश की। बुलन्दशहर में गुलावठी कस्बा के ईसेपुर गांव की निवासी डाक्टर कोमल यादव फर्रुखाबाद के एक निजी अस्पताल में तैनात हैं।
डा कोमल के अनुसार उनकी ड्यूटी के दौरान एक महिला ने दो जुड़वा बेटियों को जन्म दिया था। जन्म देने वाली मां को जब यह पता चला कि दोनों बेटियां हैं तो वह बच्चियों को अस्पताल में छोड़कर चुपचाप वहां से चली गई। बच्चियों को जन्म देने वाली महिला को काफी ढुंढवाया गया। इसी दौरान वह महिला अस्पताल से घर जाते हुए मिल गई। महिला को अस्पताल से बच्चियों को ले जाने के लिए समझाया गया लेकिन पति की मौत तथा गरीबी और पहले से ही ज्यादा बच्चे होने की बात कह कर महिला ने उनके पालन पोषण में असमर्थता जताई।
बाद में महिला दोनों बच्चियों को छोड़ कर चली गई। अस्पताल प्रबन्धन ने पुलिस को सूचना दी और दोनों बच्चियों को अनाथालय भेजने की तैयारी कर ली। डा. कोमल यादव ने बच्चियों को अपनाने का प्रस्ताव रखा। प्रबन्धन ने डा. कोमल को समझाया और जिन्दगी के उतार चढ़ाव बताए परन्तु इसके बाद भी डा. कोमल ने अपने निर्णय को नही बदला जिस पर प्रबन्धन ने सभी कानूनी प्रक्रिया पूरी कराकर दोनों बच्चियों को डा. कोमल को सौंप दिया।
उन्हे लेकर वह कल देर शाम अपने गांव ईसेपुर पहुंची तो सभी ग्रामीणों ने उनकी इस पहल का स्वागत किया। करीब 29 वर्षीय डा. कोमल अविवाहित हैं। उनका कहना है कि वह इन दोनों बालिकाओं को एक मां का प्यार देंगी और उनकी परवरिश करेंगी। उन्हे पढ़ा लिखा कर योग्य बनाउंगी।