Edited By Nitika,Updated: 03 Mar, 2021 01:29 PM
गंगा संरक्षण से जुड़ी 4 मांगों को लेकर यहां मातृसदन आश्रम में अनशनरत संत ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद ने मंगलवार को घोषणा की कि वह 8 मार्च से जल भी त्याग देंगे।
हरिद्वारः गंगा संरक्षण से जुड़ी 4 मांगों को लेकर यहां मातृसदन आश्रम में अनशनरत संत ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद ने मंगलवार को घोषणा की कि वह 8 मार्च से जल भी त्याग देंगे।
पर्यावरण संरक्षण को समर्पित संस्था मातृ सदन के प्रमुख स्वामी शिवानंद सरस्वती के 26 वर्षीय शिष्य ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद अभी नींबू, जल और शहद के सहारे तपस्या कर रहे हैं। प्रसिद्ध पर्यावरणविद दिवंगत स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद की 4 मांगों, गंगा तथा अलकनंदा और भागीरथी जैसी उसकी सहायक नदियों पर सभी निर्माणाधीन और प्रस्तावित बांधों को रद्द करने, खनन तथा नदी में स्टोन क्रशर की अनुमति बंद करने तथा गंगा भक्त परिषद के गठन-को लेकर आत्मबोधानंद ने 23 फरवरी से अनशन शुरू किया था।
यहां मातृ सदन आश्रम में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद ने आरोप लगाया कि उनकी मांगों पर हठधर्मिता दिखाते हुए उत्तराखंड सरकार ने बिना उनसे कोई वार्ता किए 25 फरवरी से गंगा में खनन को फिर खोल दिया है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार के इस कदम के विरोध में उन्होंने 8 मार्च से जल त्यागने का निर्णय लिया है और अब वह बिना जल के ही तपस्या जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि गंगा रक्षा के लिए वे अपने प्राणों की आहुति देने से भी पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने कहा, ' उत्तराखंड सरकार माफियागिरी कर रही है और इसके कारण वह साधुगिरी करने के लिए मजबूर हैं।'
वहीं इस मौके पर स्वामी शिवानंद ने घोषणा की कि कुंभ के दौरान वह अपना शरीर छोड़ देंगे लेकिन इसके पूर्व अनेक प्रमाण छोड़ जाऐंगे ताकि दुनिया के सामने सरकार और खनन माफियाओं की सच्चाई सामने आ सके। स्वामी सानंद ने भी इन्हीं मांगों को लेकर अनशन किया था और लंबे अनशन के बाद 2018 में उनका निधन हो गया था।