केदारघाटी के पास बर्फीली झील बनने से 2013 त्रासदी की यादें ताजा, प्रशासन ने WIHG को किया अलर्ट

Edited By Deepika Rajput,Updated: 22 Jun, 2019 01:28 PM

snowflake lake near kedarnath dham

केदारघाटी में वर्ष 2013 की आपदा को याद कर आज भी लोग सहम जाते हैं। अब हालांकि केदारघाटी इस सदमे से उबर चुकी है, लेकिन 6 साल बाद केदारनाथ में आई आपदा की मुख्य वजह चोराबाड़ी झील के दोबारा पुनर्जीवित होने का दावा किया जा रहा है।

रुद्रप्रयागः केदारघाटी में वर्ष 2013 की आपदा को याद कर आज भी लोग सहम जाते हैं। अब हालांकि केदारघाटी इस सदमे से उबर चुकी है, लेकिन 6 साल बाद केदारनाथ में आई आपदा की मुख्य वजह चोराबाड़ी झील के दोबारा पुनर्जीवित होने का दावा किया जा रहा है। दरअसल, उत्तराखंड में केदारनाथ धाम के पास एक खतरनाक बर्फीली झील बन गई है, जिसकी खबर मिलते ही प्रशासन के हाथ-पांव फूलने लगे हैं।
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झील की जांच करने जा रही WIHG की टीम
केदारनाथ धाम में स्वास्थ्य कैंप चला रहे डॉक्टरों ने करीब 5 किलोमीटर ऊपर ग्लेशियर में बनी एक झील के चोराबाड़ी झील होने का दावा किया है। रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन ने देहरादून स्थित वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी (WIHG) को अलर्ट किया है। चोराबाड़ी झील जिसे गांधी सरोवर भी कहा जाता है, साल 2013 में आई विनाशकारी आपदा के बाद लगभग गायब हो गई थी। क्षेत्र समतल भूमि के रूप में दिखाई देने लगा था। वहीं अब इस झील के दिखने की जानकारी WIHG के वैज्ञानिकों को दी गई है। जल्द ही WIHG की टीम जांच करने जा रही है। WIHG के भू-वैज्ञानिक डॉ. डीपी डोभाल ने बताया कि कुछ दिन पहले रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन ने हमे जानकारी दी थी, जिसके तहत कुछ लोग केदारनाथ से करीब 5 किलोमीटर ऊपर गए थे। इस दौरान उन्होंने ग्लेशियर के बीच एक झील बने होने की बात बताई। जो झील बताई जा रही है, वह चोराबाड़ी नहीं है।
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चोराबाड़ी झील केदारनाथ से मात्र 2 किलोमीटर की दूरी पर है, लेकिन जिस झील के बारे में बताया जा रहा है वह केदारनाथ से 5 किलोमीटर की दूरी पर है। पिछले दिनों डॉक्टर और SDRF ने पुलिस और जिला प्रशासन की टीम के साथ चोराबाड़ी झील का दौरा किया था। जहां उन्होंने देखा कि झील फिर से पानी से घिर गई है। मौजूदा समय मे चोराबाड़ी झील लगभग 250 मीटर लंबी और 150 मीटर चौड़ी बताई जाती है। हालांकि ये झील बारिश, पिघलती बर्फ और हिमस्खलन से भर जाती है। केदारनाथ स्थित आर्मी के सिक्स सिग्मा हॉस्पिटल के सीईओ ने इस झील का मुआयना किया और खतरे के बारे में बताया। 2013 की आपदा में झील और इसकी भूमिका का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों ने दावा किया था कि इसे फिर से पुनर्जीवित नहीं किया जाएगा।
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चोराबाड़ी झील के पुनरुद्धार की संभावना नहीं
वाडिया के वैज्ञानिक ने बताया कि वो केदारनाथ में पिछले 10 सालों से काम कर रहे हैं और चोराबाड़ी झील के पुनरुद्धार की कोई भी संभावना नहीं है। साल 2013 में आई केदारनाथ धाम में आपदा से चोराबाड़ी झील पूरी तरह से तहस-नहस हो गई थी। अब ऐसे में चोराबाड़ी झील के पुनर्जीवन का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता है।

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