Edited By Nitika,Updated: 14 Jun, 2019 03:57 PM
आईटीबीपी (भारत-तिब्बत सीमा पुलिस) के महानिदेशक सुरजीत सिंह देसवाल ने कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए किए गए इंतजामों की समीक्षा की। इसके साथ ही श्रद्धालुओं से अपील करते हुए कहा कि वह हिमालय और इसकी पारिस्थितिकी को स्वच्छ रखने के उद्देश्य के साथ...
पिथौरागढ़ः आईटीबीपी (भारत-तिब्बत सीमा पुलिस) के महानिदेशक सुरजीत सिंह देसवाल ने कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए किए गए इंतजामों की समीक्षा की। इसके साथ ही श्रद्धालुओं से अपील करते हुए कहा कि वह हिमालय और इसकी पारिस्थितिकी को स्वच्छ रखने के उद्देश्य के साथ तीर्थयात्रा करें।
कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए व्यवस्थागत मदद उपलब्ध करवाने वाले आईटीबीपी के डीजी ने अन्य अधिकारियों के साथ उत्तराखंड में 17,000 फुट की ऊंचाई पर स्थित लिपुलेख दर्रे तक की यात्रा की । चीन से सटी भारतीय सीमा की हिफाजत की जिम्मेदारी संभालने वाला अर्धसैनिक बल आईटीबीपी 1981 में इस तीर्थयात्रा की शुरुआत के समय से ही श्रद्धालुओं को सुरक्षा, मेडिकल सहायता और संचार में मदद उपलब्ध करवाता रहा है।
वहीं आईटीबीपी के एक प्रवक्ता ने कहा कि पहली बार बल का कोई सेवारत डीजी पैदल चलकर इतनी ऊंचाई पर स्थित लिपुलेख दर्रे तक पहुंचा है। डीजी ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ पहुंचने के बाद कूड़ा इकट्ठा कर इलाके की सफाई की और इकट्ठा किए गए कूड़े को निस्तारण के लिए बेस तक ले गए। उन्होंने बताया कि डीजी देसवाल ने सभी नागरिकों और श्रद्धालुओं से अपील करते हुे कहा कि उन्हें हिमालय को स्वच्छ रखने का प्रयास करना चाहिए और इसकी पारिस्थितिकी को संतुलित बनाए रखने में अपना योगदान करना चाहिए।
प्रवक्ता ने कहा कि बल के जवानों से भी यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि पहाड़ साफ-सुथरे रहें, जवान खुद कूड़ा इकट्ठा करें और चिह्नित जगहों पर ही इनका निस्तारण करें। उन्होंने कहा कि 58 श्रद्धालुओं के पहले जत्थे की अगले हफ्ते ऊंचाई वाले इलाके में पहुंचने की संभावना है। वहां से वह लिपुलेख दर्रे के रास्ते कैलाश मानसरोवर के लिए आगे की ओर कूच करेंगे।