CM ने शंकराचार्य के गांव का किया दौरा, पर्वतीय लोक संग्रहालय का किया अनावरण

Edited By Nitika,Updated: 13 Jun, 2019 01:42 PM

cm visit shankaracharya village

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत बुधवार को रुद्रप्रयाग जिले के बैंजी गांव पहुंचे, जो ज्योतिष्पीठाधीश्वर शंकराचार्य माधवाश्रम जी महाराज का पैतृक गांव भी है।

देहरादूनः उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत बुधवार को रुद्रप्रयाग जिले के बैंजी गांव पहुंचे, जो ज्योतिष्पीठाधीश्वर शंकराचार्य माधवाश्रम जी महाराज का पैतृक गांव भी है।
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जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री ने अगस्त्यमुनि के बैंजी गांव में श्री तुंगनाथ महायज्ञ समिति द्वारा आयोजित ब्रहमलीन ज्योतिष्पीठाधीश्वर शंकराचार्य माधवाश्रम जी महाराज की पुण्य स्मृति में आयोजित श्रीमछ्वागवत गीता, श्रीमद देवी भागवत महापुराण, शिव महापुराण कथा एवं शिव चंडी यज्ञ में भी भाग लिया। उन्होंने बैंजी गांव में पर्वतीय लोक संग्रहालय का अनावरण करते हुए लोगों को गंगा दशहरा की बधाई दी और कहा कि ब्रह्मलीन ज्योतिष्पीठाधीश्वर शंकराचार्य माधवाश्रम ऐसे संत थे, जिन्होंने देश को एक दिशा दी। उनके व्यक्तित्व के अनुरूप उनके गांव बैंजी में जमीन उपलब्ध होने पर विशाल संग्रहालय बनाया जाएगा।
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वहीं सीएम ने कहा कि शंकराचार्य स्वामी माधवाश्रम जी महाराज किसी पहचान के मोहताज नहीं है। दुनिया भर में वेदांत व संस्कृत के प्रकाण्ड विद्वानों में वह अग्रणी थे। साथ ही पहले उत्तराखण्ड़ मूल के शंकराचार्य थे जो कि आदिगुरू शंकराचार्य द्वारा स्थापित चारधामों में से सर्वोच्च भगवान बद्रीनाथ धाम के जोशीमठ तीर्थ स्थित ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य रहे। शंकराचार्य स्वामी माधवाश्रम महाराज काफी लम्बे समय से बीमार रहे और 20 अक्टूबर 2017 को उन्होंने चंड़ीगढ़ के पीजीआई अस्पताल में अन्तिम सांस ली। स्वामी माधवाश्रम जी महाराज ने अपने जीवन में अपने शिष्यों को 4 सूत्र दिए। गाय, गंगा, चोटी और बेटी, इन चार सूत्रों पर शंकाराचार्य जी अपने आप भी जीवन भर काम करते रहे। वे इन चार सूत्रों को हिन्दु धर्म की रक्षा के लिए सबसे महत्वपूर्ण मानते थे।
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बता दें कि शंकराचार्य स्वामी माधवाश्रम जी महाराज का जन्म उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के अगस्त्यमुनि विकासखण्ड के बैंजी ग्राम में हुआ था। इनका मूल नाम केशवानन्द था। प्रारम्भिक विद्यालयी शिक्षा के पश्चात इन्होंने हरिद्वार, अम्बाला में सनातन धर्म संस्कृत कॉलेज वृंदावन में बंशीवट में श्री प्रभुदत्त ब्रह्मचारी के आश्रम एवं वाराणसी सहित देश के विभिन्न स्थानों पर वेदों और धर्मशास्त्रों की दीक्षा ली और सन्यास धारण कर लिया।

 

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