Edited By Mamta Yadav,Updated: 09 Oct, 2024 07:35 PM
उत्तर प्रदेश के जनपद शामली में बकाया गन्ना भुगतान को लेकर किसानों का धरना लगातार जारी है। जहां करीब 3 दिनों तक हाइवे जाम किए जाने के बाद अब किसान कलेक्ट्रेट में जा घुसे हैं। जहां हजारों की संख्या में एकत्र हुए किसानों के द्वारा धरना प्रदर्शन किया जा...
Shamli News, (पंकज मलिक): उत्तर प्रदेश के जनपद शामली में बकाया गन्ना भुगतान को लेकर किसानों का धरना लगातार जारी है। जहां करीब 3 दिनों तक हाइवे जाम किए जाने के बाद अब किसान कलेक्ट्रेट में जा घुसे हैं। जहां हजारों की संख्या में एकत्र हुए किसानों के द्वारा धरना प्रदर्शन किया जा रहा है। किसानों का साफ तौर पर कहना है जब तक उनका भुगतान नहीं मिलेगा तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
बता दें कि शामली के अपर दोआब शुगर मिल पर करीब 188 करोड़ रुपए के गन्ना बकाया भुगतान को लेकर किसानों द्वारा करीब 12 दिनों से धरना प्रदर्शन किया जा रहा है। जहां करीब 3 दिनों तक किसानों द्वारा हाईवे जाम किए जाने के बाद बैकफुट पर आए जिला प्रशासन ने किसानों को कलेक्ट्रेट के अंदर धरना प्रदर्शन किए जाने की अनुमति दी है। जिसके बाद किसानों ने पुलिस प्रशासन के अधिकारियो के अनुरोध पर कलेक्ट्रेट परिसर में धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है। जहां हजारों की संख्या में किसानों ने धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है।
इस दौरान धरना प्रदर्शन कर रहे किसानों ने जानकारी देते हुए बताया कि जिला प्रशासन हो या शुगर मिल के अधिकारी सभी ने किसानों के प्रति उदासीन रवैया अपना रखा है। अगर इस मामले में किसान डीएम से कहते हैं तो वे गेंद को डीसीओ के पाले में फेंक देते हैं और कही से भी किसानों को कोई ठोस आश्वासन नहीं मिल रहा है। जहां जिला प्रशासन और शुगर मिल अधिकारियों की हठधर्मिता के चलते भुगतान न मिलने के कारण किसान की कमर आर्थिक तौर पर पूरी तरह टूट चुकी है। किसानों को अपने रोजमर्रा के खर्च चलाने के लिए भी साहूकारों से ब्याज पर पैसा लेना पड़ रहा है। लेकिन अब किसान के सब्र का बांध पूरी तरह टूट चुका है।
किसान शुगर मिल से कोई भीख नहीं बल्कि अपनी फसल का मूल्य मांग रहे हैं। पिछले साल भी किसानों को प्रसासनिक अधिकारी द्वारा दिए गए आश्वासन के बाद करीब 95 दिनों तक चलाए गए आंदोलन को ख़त्म कर दिया गया था। लेकिन अब किसान करो या मरो वाली स्तिथि में आ चुका है। इसलिए अब किसान किसी के भी झूठे आश्वासन में नहीं आएगा और चाहे जब तक भी इस आंदोलन को चलाना पड़े, जब तक किसानों को उनका हक नहीं मिलेगा तब तक किसान इस आंदोलन को ख़त्म नहीं करेंगे।