Edited By Ajay kumar,Updated: 03 Aug, 2023 09:15 PM

दुष्कर्म से जुड़े एक मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपी को जमानत देते हुए कहा कि आजकल यौन अपराध के मामले में झूठे आरोप लगाने की परंपरा बढ़ी है और ऐसे मामलों से निपटने में सावधानी की आवश्यकता है।
प्रयागराज: दुष्कर्म से जुड़े एक मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपी को जमानत देते हुए कहा कि आजकल यौन अपराध के मामले में झूठे आरोप लगाने की परंपरा बढ़ी है और ऐसे मामलों से निपटने में सावधानी की आवश्यकता है।

अदालतों में बड़ी संख्या में आ रहे ऐसे मामले
पुलिस स्टेशन सारनाथ, वाराणसी में आईपीसी की विभिन्न धाराओं व पॉक्सो एक्ट की धारा 3/4 के तहत दर्ज मामले में आरोपी विवेक कुमार मौर्य की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सावधानीपूर्वक सुनने के बाद ऐतिहासिक फैसला सुनाया। न्यायमूर्ति वने अपने फैसले में कहा कि अदालतों में बड़ी संख्या में ऐसे मामले आ रहे हैं, जिनमें लड़कियां और महिलाएं आरोपी के साथ लंबे समय तक शारीरिक संबंध बनाने के बाद झूठे आरोपों पर प्राथमिक दर्ज कराकर आरोपी से अनुचित लाभ उठाती हैं। वर्तमान मामले में एक नाबालिग लड़के के खिलाफ अपहरण, दुष्कर्म और विभिन्न यौन अपराधों के आरोप शामिल थे। कोर्ट ने कहा कि कानून पुरुषों के प्रति बहुत अधिक पक्षपाती है, जिसके कारण बेबुनियाद आरोप लगाकर किसी को भी दुष्कर्म में फंसाना बहुत आसान हो गया है।

सामाजिक पारिवारिक मांनदंडों को खंडित कर रहे युवा
कोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया, फिल्मों, टीवी शो आदि द्वारा फैलाई जा रही खुलेपन की सांस्कृति का अनुकरण कर लड़के-लड़कियां सामाजिक और पारिवारिक मानदंडों को खंडित कर रहे हैं। कोर्ट ने प्राथमिकी दर्ज करने की प्रक्रिया में सुधार की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला। आरोपियों को जमानत देते हुए कोर्ट ने निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित करने और उनके अधिकारों की रक्षा के महत्व पर भी जोर दिया, विशेषकर यौन अपराधों से जुड़े मामलों में।